पूर्व विधायक बालमुकुंद गौतम लड़ पाएंगे चुनाव, HC से जमानत के साथ बाकी सजा पर भी लगी रोक, हत्या के प्रयास में हुई थी 7 साल की सजा

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BP Shrivastava
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पूर्व विधायक बालमुकुंद गौतम लड़ पाएंगे चुनाव, HC से जमानत के साथ बाकी सजा पर भी लगी रोक, हत्या के प्रयास में हुई थी 7 साल की सजा

संजय गुप्ता, INDORE. धार से एक बार फिर कांग्रेस की ओर से बालमुकुंद गौतम चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। जबलपुर हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास में इंदौर सेंट्रल जेल में बंद गौतम की जमानत याचिका के साथ ही सजा पर रोक लगाने की याचिका भी मंजूर कर ली है। सजा पर रोक पर स्टे होने के चलते वह अब फिर से चुनाव लड़ने के योग्य हो गए हैं। जमानत याचिका में भी तर्क यही दिया गया है कि वह राजनीतिक दल के चुनाव में प्रत्याशी हो सकते हैं और बहुत संभावना है कि वह चुनाव भी लड़ें। वह विधायक भी रह चुके हैं। इन सभी तर्कों को सुनन के बाद हाईकोर्ट ने एक लाख के मुचलके पर उन्हें और साथ ही पंकज गौतम और पम्मू उर्फ वीरेंद्र गौतम सभी को जमानत देते हुए बाकी सजा पर रोक लगा दी। जमानत के कागज आने पर वह शनिवार, 19 अगस्त सुबह जेल से बाहर आ सकते हैं। 



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हाईकोर्ट में रखा गया तर्क, सुरेश को लगी चोट गंभीर नहीं थी



हाईकोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि जिसके हत्या के प्रयास में सजा सुनाई गई है, उन सुरेश को कोई गंभीर चोट नहीं थी। कोई गन शाट भी नहीं था और ना ही उनसे जब्त बंदूक से गोली चली। ऐसे में वह सजा के पात्र नहीं है। सभी तर्कों को सुनने के बाद सजा पर रोक लगा दी गई। 



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26 जून को सुनाई गई थी सजा



धार के पूर्व विधायक बालमुकुंद गौतम को उनके भाईयों मनोज, राकेश गौतम सहित छह आरोपियों को हत्या के प्रयास में सात-सात साल की सजा जिला कोर्ट इंदौर से 26 जून को सुनाई गई। दो-तीन जून 2017 में हुए इस घटनाक्रम में बालमुकुंद गौतम ने भी चंदन सिंह, उनके बेटे महेंद्र सिंह, समंदर पटेल, घनश्याम, रघुनाथ कवाडिया, अर्जुन डोडिया, अर्जुन सिंह राजपूत, कैलाश सोलंकी सुरेश सिंह सोलंकी, राहुल कवाडिया, रघुनाथ चौधरी, इंदर सिंह, अर्जुन सिंह पंवार पर हत्या का केस भी कराया था। इसमें सभी आरोपी स्पेशल कोर्ट से दोषमुक्त हो गए, वहीं एक आरोपी महेंद्र सिंह घटना के बाद से ही फरार है।



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बालमुकुंद नहीं तो उनकी पत्नी प्रभा का भी दावा 



इस पूरे घटनाक्रम से कांग्रेस में भारी नाराजगी थी, खासकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की तीखी प्रतिक्रिया थी कि हत्या करने वाले छूट गए और हत्या के प्रयास में जेल हो गई। बालमुकुंद गौतम के भाई मनोज गौतम के बदनवार से लड़ने की तैयारी थी, उधर, धार में बालमुकुंद या फिर उनकी पत्नी प्रभा गौतम उम्मीदवार बनने की तैयारी में थीं। इस फैसले के बाद बालमुकुंद सहित उनके भाईयों की दावेदारी खारिज हो गई थी।  इसे कांग्रेस धार में राजनीतिक हत्या करार कर रही थी । इस पूरे घटनाक्रम में जिस तरह सिंह और कांग्रेस खुलकर गौतम के समर्थन में आई, इससे माना जा रहा है कि बालमुकुंद या फिर उनकी पत्नी प्रभा का धार से कांग्रेस से टिकट तय था। बीते चुनाव में प्रभा बीजेपी की नीना वर्मा से हारी थीं।

 


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