इंदौर भूमाफियाओं की सुनवाई टली, HC में जज उपलब्ध नहीं, रिपोर्ट लिफाफे में हुई बंद, कालिंदी के अलावा किसी कॉलोनी में राहत नहीं

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Chandresh Sharma
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इंदौर भूमाफियाओं की सुनवाई टली, HC में जज उपलब्ध नहीं, रिपोर्ट लिफाफे में हुई बंद, कालिंदी के अलावा किसी कॉलोनी में राहत नहीं

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के भूमाफियाओं को फिलहाल फौरी राहत मिल गई है। कालिंदी गोल्ड, फोनिक्स और सेटेलाइट हिल कॉलोनियों के पीड़ितों को लेकर सौ से ज्यादा केसों की सुनवाई कर रहे जस्टिस के उपलब्ध नहीं होने से मंगलवार को तय सुनवाई टल गई है। अब नया रोस्टर आने पर ही यह सुनवाई तय होगी। माना जा रहा है कि इसमें करीब सप्ताह भर का समय और भूमाफियाओं को मिल गया है। उधर सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट बना ली है और इसे बंद लिफाफे में हाईकोर्ट को पुटअप कर दिया गया है।

हाई कोर्ट कमेटी के सामने भी नहीं माने भूमाफिया, नहीं हुए निराकरण



हाई कोर्ट कमेटी के सामने भी मई माह से सुनवाई की गई जो 14 अगस्त तक चलती रही। इसमें ढाई सौ करीब शिकायतें कमेटी के सामने पेश हुई। लेकिन कमेटी की पुरजोर कोशिश के बाद भी ले देकर कालिंदी गोल्ड के ही मामलों में कुछ हल निकला है। बाकि फोनिक्स और सेटेलाइट हिल्स में भूमाफियाओं ने आपस में ही एक-दूसरे पर जिम्मेदार ढोलकर बचने की कोशिश की है और कोई निराकरण नहीं किए हैं। डायरियों पर हुए सौदों को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है कि कितनी राशि भूमाफिया देंगे, वहीं ब्याज दर 12 फीसदी देने के लिए भी भूमाफिया तैयार नहीं है। वहीं प्लॉट तो अधिकांश पीड़ितों को दे ही नहीं रहे, भले ही उनकी रजिस्ट्री हो। 




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  • क्या है रिपोर्ट में?



    सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कमेटी ने हर कॉलोनी के हिसाब से बताया है कि इतने केस इस कॉलोनी में आए और इतने निराकरण हुए। जो निराकरण नहीं हुए, उसमें क्या समस्या आई। फोनिक्स में लिक्विडेटर की स्थिति के चलते निराकरण नहीं हुए हैं औऱ् लिक्विडेटर कह चुके हैं कि चंपू अजमेरा इसमें सहयोग नहीं कर रहा है। इसी तरह यहां 13 प्लाट को लेकर प्रदीप अग्रवाल को चल रहे विवाद में भी कमेटी लिखित में दे चुकी है कि इसका निराकरण कमेटी स्तर पर नहीं हो सकता है। इसी तरह मैडीकैप्स के रमेश मित्तल और चंपू अजमेरा के विवाद में भी जिसमें 30 से ज्यादा प्लाट है, कमेटी लिख चुकी है कि यह भी कमेटी स्तर पर निराकृत नहीं हो सकता है। यहां कैलाश गर्ग और चंपू का भी विवाद चल रहा है, जिसमें गर्ग कमेटी के सामने ही चंपू को मारने के लिए दौड़ गए थे। कमेटी ने मूल रूप से हर कॉलोनी की स्थिति और भूमाफियाओं द्वारा किए गए काम का फैक्ट लिखा है। बाकी जिनका निराकरण नहीं हुआ वह रिपोर्ट में बता दिए गए हैं। 



    हाई कोर्ट को अब तय करना है जमानत रहे या रद्द करें



    हाई कोर्ट को अब सुनवाई के दौरान रिपोर्ट देखने के बाद आगे तय करना है कि इस मामले में भूमाफियाओं की जमानत जारी रखी जाना चाहिए या फिर रद्द कर जेल भेजना है। हालांकि जब भी सुनवाई होगी तो पहले हाईकोर्ट रिपोर्ट देखेगी और इसके अध्ययन के लिए सभी पक्षकारों को कुछ समय देगी और फिर अगली सुनवाई पर ही इसमें बहस होकर कोई फैसला संभावित है। 



    सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सब कर चुका हाई कोर्ट



    सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2021 में भूमाफियाओं को इस शर्त पर जमानत दी थी कि यह पीड़ितों का निराकरण करेंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पहली रिपोर्ट पेश होने के बाद इस मामले को हाईकोर्ट इंदौर को इन निर्देश के साथ भेज दिया था कि हाईकोर्ट स्पीडी सुनवाई करेगा, जरूरत होने पर हर केस को सुनेगा, रिटायर जज की कमेटी भी बना सकता है और भूमाफियाओं की जमानत भी रद्द कर सकता है। हाईकोर्ट फरवरी 2023 से लगातार सुनवाई कर रहा है, फिर मई में कमेटी बना दी, इसने लगातार सुनवाई की और रिपोर्ट बनाई और अब हाईकोर्ट को तय करना है कि वाकाई क्या भूमाफियाओं ने सहयोग किया है और नही किया तो जमानत रद्द हो। इसके पहले शासन-प्रशासन की ओर से लगातार इन सुनवाई में तर्क रखा जा चुका है कि यह सहयोग नहीं कर रहे हैं और जमानत रद्द होना चाहिए। 



    कमेटी के सामने यह तो कभी आए ही नहीं



    कमेटी के सामने जमानत का पूरा लाभ लेने और पुलिस कार्रवाई तक से रोक लगाने का आदेश पाने पर भी भूमाफिया नीलेश अजमेरा कभी कमेटी के सामने पेश ही नहीं हुआ, हालांकि सूत्रों के अनुसार वह इंदौर आता-जाता रहा। इसके अलावा सुनीता अजमेरा, योगिता अजमेरा, पवन अजमेरा यह भी पेश नहीं हुए। केवल चंपू अजमेरा, चिराग शाह, हैप्पी धवन, निकुल कपासी, महावीर जैन, रजत वोहरा ही आए। ऐसे में हाईकोर्ट को यह भी देखना है कि इस राहत के बाद भी भूमाफियाओं का रवैया कितना सहयोगात्मक रहा और क्या जमानत रद्द करना चाहिए। वहीं जिन पीड़ितों का कोई निराकरण नहीं हुआ चाहे वह डायरी वाले हो या प्लाट के बदले प्लाट चाहने वाले पीड़ित या पूरी राशि नहीं मिलने वाले पीडित वह भी हाईकोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे। ऐसे में खुद इंटरविनर बनकर इसमें प्रवेश करेंगे और जमानत का विरोध करेंगे और न्याय मांगेगे।


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