सूर्यप्रताप सिंह, BHOPAL. स्वर्ण रेखा नदी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में डबल बेंच ने स्वर्ण रेखा के सीवरेज लाइन ड्रेनेज प्रोजेक्ट को लेकर सुनवाई की है। इस दौरान एक बार फिर नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान प्रोजेक्ट को लेकर कहा कि क्या अधिकारीगण न्यायालय को मूर्ख समझ रहे हैं, जो हम कुछ भी कहकर निकल जाएंगे। भोपाल में मूर्खों की जमात बैठी है।
क्या है पूरा मामला
नगरीय प्रशासन की ओर से हाईकोर्ट को एक हलफनामा सौंपा गया था। उस हलफनामे को जब न्यायाधीश और न्यायालय द्वारा बारीकी से देखा और समझ गया तो इसमें स्थानीय कार्य पालिका यंत्री के सिंचाई विभाग के हस्ताक्षर थे। जब उन्हें तलब किया गया तो उन्होंने कहा कि इस योजना के संबंध में मुझे कोई जानकारी ही नहीं है। इसी बात को लेकर माननीय न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की और निगम आयुक्त सहित सभी अधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाई।
हाईकोर्ट बोला- भोपाल में मूर्खों की जमात बैठी है
कोर्ट ने जब सौंपे गए एफिडेविट को ध्यान से देखा समझ गए कि ये फर्जी है। इस पर कोर्ट ने निगम आयुक्त को जमकर फटकार लगाई और कहा यदि ठीक से स्वर्ण रेखा के प्रोजेक्ट को पेश नहीं किया तो सभी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। कोर्ट ने निगम कमिश्नर को 24 जनवरी को स्वर्ण रेखा के विस्तृत प्लान रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।
याचिकाकर्ता ने क्या कहा ?
इस मामले पर हाईकोर्ट के अधिवक्ता और याचिकाकर्ता विश्वजीत रतौनिया ने बताया कि न्यायालय में चल रहे स्वर्ण रेखा नदी मामले पर न्यायालय हमेशा से ही यही कहा है कि कोई ठोस मसौदा पेश किया जाए, लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मसौदा पेश नहीं कर पाया है। उसमें भारी-भरकम कमियां पाई गई हैं। उसमें एक झूठा एफिडेविट लगाया गया है। जिस अधिकारी का एफिडेविट लगाया गया था, उसे जब न्यायालय में बुलाया गया तो उसने साफतौर पर इनकार कर दिया और कहा कि उसे इस रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। रतौनिया ने कहा कि उस अधिकारी ने बताया कि मुझे सिर्फ इस रिपोर्ट पर साइन करने के लिए कहा गया था। इस पर बड़ी टिप्पणी करते हुए माननीय न्यायालय ने कहा है कि इस पर नए सिरे से बैठक करके एक रिपोर्ट तैयार करके दी जाए।