भोपाल के कलियासोत 'नो-कंस्ट्रक्शन' जोन पर हाईकोर्ट का स्टे, 700 से ज्यादा लोगों को बड़ी राहत

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Vikram Jain
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भोपाल के कलियासोत 'नो-कंस्ट्रक्शन' जोन पर हाईकोर्ट का स्टे, 700 से ज्यादा लोगों को बड़ी राहत

BHOPAL. कलियासोत नदी के 'नो-कंस्ट्रक्शन' जोन मामले में रहवासियों के लिए राहत की खबर है। कलियासोत के नो-कंस्ट्रक्शन जोन मामले में एमपी हाईकोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला दिया है। भोपाल के कोलार इलाके में हाईकोर्ट ने BMC की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने भोपाल नगर निगम से चार हफ्ते में इस पूरे मामले को लेकर जवाब भी मांगा है। हाईकोर्ट ने इस केस में स्टे दे दिया है। बता दे कि द सूत्र ने पीड़ितों के समर्थन में मुहिम छेड़ी है।

700 से अधिक परिवारों को दिए नोटिस

नगर निगम ने 33 मीटर के दायरे में आ रहे निर्माण कार्यों को लेकर 700 से अधिक लोगों को नोटिस दिए हैं। इन्हीं नोटिस की कार्रवाई को रोकने के लिए स्टे दिया गया है। बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश के बाद नगर निगम ने कलियासोत नदी के 33 मीटर के दायरे में आ रहे निर्माण करने वालों को नोटिस दिया है। अब तक 700 से अधिक लोगों को नोटिस दिए जा चुके हैं।

रहवासियों का तर्क

रहवासियों का कहना है कि नगर निगम समेत अन्य एजेंसियों की अनुमति के आधार पर ही मकानों का निर्माण किया गया है, फिर यह अवैध कैसे हो सकते हैं। मामले में रहवासियों ने निगम कमिश्नर फ्रैंक नोबल ए. के सामने भी पक्ष रखा था।

33-33 मीटर के ग्रीन बेल्ट को किया जाए आरक्षित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 11 अगस्त को आदेश दिया था कि भोपाल की नदी कलियासोत के 33-33 मीटर के ग्रीन बेल्ट को आरक्षित किया जाए। इसके लिए 31 दिसंबर तक चिन्हांकन सीमांकन कर अतिक्रमण को हटाया जाकर ग्रीनरी डेवलप की जाए। इस अवधि में जिला प्रशासन ने सीमांकन का काम पूरा कर लिया। वहीं, नगर निगम ने लोगों को नोटिस भी दे दिए। मामले में शासन को आदेश के पालन की एक रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के समक्ष 15 जनवरी से पहले सौंपना है। हालांकि, इससे पहले निगम के नोटिस पर रहवासियों को स्टे मिला है।

पीड़ितों के समर्थन में द सूत्र की मुहिम

बता दे कि द सूत्र ने पीड़ितों के समर्थन में मुहिम छेड़ी है। द सूत्र का सीधा आरोप है कि इस गुनाह के वे सब गुनहगार हैं जिन्होंने कलियासोत के कैचमेंट में आवासीय कॉलोनी बसाईं। जनता को ठगने के इस पूरे खेल में बिल्डर समेत आधा दर्जन सरकारी एजेंसियां भी शामिल हैं जिनकी आंखों में इतनी बड़ी सच्चाई दिखाई नहीं दी। सजा तो इन गुनहगारों को भी मिलना चाहिए। और छोटी-मोटी नहीं ये सब बड़ी सजा के हकदार हैं।







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