JAIPUR. राजस्थान हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि रीट पात्रता परीक्षा में 82 अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को पास माना जाए। कोर्ट ने यह फैसला राजेश कुमार यादव, मुकेश व अन्य लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया। जस्टिस सुदेश बंसल की अदालत ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को आदेश दिया है कि आरक्षित वर्ग के वे अभ्यर्थियों जिनके 82 अंक हैं, उन्हें रीट की पास पात्रता प्रमाण पत्र जारी करें। जिन लोगों ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा दी है और जो मैरिट में आ रहे हैं, लेकिन रीट में उनके 82 अंक हैं, उन्हें भी रीट में पास मानकर मैरिट में स्थान दिया जाए। कोर्ट ने सरकार को एक जनरल आदेश जारी करने का निर्देश दिया है, जिससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को रीट पास पात्रता प्रमाण पत्र जारी हो सके।
बता दें कि रीट पात्रता परीक्षा में आरक्षित वर्ग के लिए 55 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा और रामप्रताप सैनी ने कोर्ट को बताया कि रीट परीक्षा पास करने के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 60 प्रतिशत अंक लाने होते हैं। वहीं आरक्षित वर्ग (एससी, एसटी, ओबीसी नॉन क्रीमिलेयर, एमबीसी ईडब्ल्यूएस) के अभ्यर्थियों को रीट पात्रता परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य हैं। लेकिन रीट का एग्जाम 150 नम्बर का है, उसका 55 प्रतिशत 82.5 अंक के होते हैं। रीट के अंक पैर्टन में या तो अभ्यर्थी 82 नम्बर ला सकता है या फिर 83 अंक। इस परीक्षा में 82.5 अंक पाने का कोई प्रावाधन ही नहीं हैं। वहीं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 82 अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को रीट पास पात्रता प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा था। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि अन्य राज्यों में 82 अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को सफल माना जाता हैं। ऐसे में हमें भी 82 अंक लाने पर रीट पात्रता परीक्षा में पास माना जाए।