JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने बहुचर्चित पटवारी भर्ती परीक्षा पर रोक के खिलाफ याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और कर्मचारी चयन मंडल (Emmployee Selection Board) को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है। इस याचिका में तर्क दिया गया है कि मुख्यमंत्री (CM) को पटवारी नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि इसकी परीक्षा कर्मचारी चयन मंडल आयोजित कराता है।यह याचिका जबलपुर निवासी उम्मीदवार प्रयागराज दुबे ने याचिका दायर की है। मामले की अगली सुनवाई अब 21 अगस्त को होगी।
भर्ती पर रोक का फैसला एकतरफा
याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट आदित्य संघी ने हाईकोर्ट को बताया कि विगत 13 जुलाई को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ट्वीट के माध्यम से सूचना देते हुए पटवारी भर्ती की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि वो एक सामान्य श्रेणी का छात्र है। उसने कई सालों तक कोचिंग करने के बाद पटवारी भर्ती की परीक्षा दी और उसके 88.86% नंबर आए। परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर उसे भरोसा था कि उसे निश्चित रूप से पटवारी की नौकरी मिल जाएगी, लेकिन ग्वालियर में पटवारी भर्ती परीक्षा के एक केंद्र में फर्जीवाड़े के आरोपों के आधार पर सीएम ने एक तरफा फैसला लेते हुए भर्ती निरस्त कर दी।
सीएम को भर्ती पर रोक लगाने का अधिकार नहीं
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सीएम ने अपने अधिकारों से बाहर जाकर पटवारी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है। जबकि भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने का अधिकार सिर्फ कर्मचारी चयन मंडल को ही है। मुख्यमंत्री को यह बिल्कुल भी अधिकार नही है कि वह सिर्फ आरोपों और आशंकाओं के आधार पर भर्ती पर रोक लगाने का इतना बड़ा फैसला लें। एडवोकेट संघी ने बताया कि पहले भी व्यावसायिक परीक्षा मंडल ( व्यापमं) की हर परीक्षा संदेह के घेरे में रही है। प्रदेश में पिछले पांच सालों से किसी ना किसी कारण सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्तियां नहीं हो रही थीं। लंबे समय बाद बड़ी मुश्किल से पटवारी भर्ती की परीक्षा हुई थी।
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अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी
परीक्षा में सफल होने के बाद याचिकाकर्ता प्रयागराज दुबे को उम्मीद थी कि जल्द ही भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे पटवारी के पद पर पोस्टिंग मिल जाएगी, लेकिन चुनावी साल के चलते विवाद बढ़ने के कारण पूरी पर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी जो कि किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। सोमवार को जस्टिस एमएस भट्टी की बेंच ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई अब 21 अगस्त को होगी।