इंदौर में कमिश्नरी के बाद भी गृहमंत्री को बोलना पड़ रहा- इंदौर के गुंडे संभल जाएं नहीं तो संभाल दिए जाएंगे

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Puneet Pandey
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इंदौर में  कमिश्नरी के बाद भी गृहमंत्री को बोलना पड़ रहा- इंदौर के गुंडे संभल जाएं नहीं तो संभाल दिए जाएंगे

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में पुलिस कमिशनरी है, पुलिस को मजिस्ट्रियल पॉवर भी मिल चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को बोलना पड़ रहा है कि गुंडे संभल जाएं नहीं तो संभाल दिए जाएंगे। सीएम शिवराज सिंह चौहान लॉ एंड आर्डर पर अधिकारियों की बैठक ले चुके और उन्हें निर्देश देना पड़ रहे हैं कि गुंडे, बदमाश और असामाजिक तत्वों पर कठोरता से कार्रवाई की जाए। बजरंग दल कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और पलासिया चौराहे को ट्रैफिक जाम से मुक्त कराया, लेकिन आमजन ने पुलिस की कार्रवाई को सराहा ही, जब पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की बात उठी तो पुलिस ने खाकी का भी तो मान है ना अभियान चलाया और सभी ने इसे सही माना। लेकिन जिस तरह से गुंडे बैखोफ हैं और ट्रेजर टाउन में गुंडों से परेशान होकर मकान बेचने की बात सामने आई, इसके बाद लोग भी पुलिस के लिए बोल रहे हैं आप भी तो खाकी का मान रखो ना। लोगों के साफ आरोप है कि पुलिस को कई शिकायतें करने के बाद भी कॉलोनी में पुलिस का कोई मूवमेंट नहीं हुआ। 





पुलिस ही कठघरे में, वसूली से लेकर मिलीभगत तक की शिकायतें



-  पुलिस कमिशनरी के बाद और पावरफुल हुई पुलिस पर ही अब गंभीर आरोप लगने लगे हैं। गुंडों से मिलीभगत के आरोपी में सेंट्रल कोतवाली टीआई मनोज मेहरा को लाइन अटैच किया गया।



- हाल ही में एक कारोबारी के सुसाइड करने के मामले में मिले सुसाइड नोड में पुलिस के एसआई महेश चौहान और सिपाही प्रशांत परिहार के भी नाम परेशान करने वालों और वसूली करने वालों में लिखे हुए थे।



- लसूडिया पुलिस पर बलात्कार पीड़िता की मदद नहीं करने के आरोप लगे



- क्राइम ब्रांच टीआई धनेंद्र भदौरिया के लिए तो खुद सीएम को कहना पड़ा था वसूलीबाज टीआई को हटाओ, जरूरत पड़े तो ईओडब्ल्यू की जांच कराओ। हालत यह है कि उन्हें हटाया गया, लेकिन बाद में ट्रांसफर होकर शिवपुरी पदस्थ हो गए, ईओडब्ल्यू से कोई जांच की बात ही नहीं हुई। 



- ड्रग्स केस में बीजेपी नेता कमाल खान का बेटा बिलाल खान, पुलिस के नाक के नीचे ही इंदौर में घूमता रहा और बजरंग दल के प्रदर्शन के बाद जाकर पुलिस ने उसे पकड़ा।



- हर बार-पब में देर रात नशोखोरी चल रही है, ड्रग्स रैकेट खुला चल रहा है, पुलिस और आबकारी की जांच में तो कुछ नहीं मिलता है, लेकिन जब कलेक्टर जांच कराते हैं तो पब वाले पकड़े जाते हैं, प्रशासन तीन पबों के लाइसेंस निरस्त करा चुका है। 



- विजयनगर थाने में बीते साल छात्र मोहित को बंद कर पीटने का मामला भी सामने आ चुका है। 





गुंडों, माफियाओं के घर और हाथ-पैर दोनों टूटना बंद





तत्कालीन डीआईजी और फिर पुलिस कमिशनर रहे हरिनारायणचारी मिश्रा ने गुंडों के घर तोड़ने की मुहिम चलाई। कई लोगों के घर तोड़े गए। लेकिन अब यह मुहिम खत्म हो गई है और कई गुंडों ने उससे बड़े घर फिर से खड़े कर लिए हैं। खनन से लेकर भूमाफियाओं के हौंसले बुलंद है और जमकर अवैध खनन चल रहा है और रही बात भूमाफियाओं की ती यह भी बैखोफ हैं। किसी भी बड़े भूमाफिया का आज तक घर, बंगला, दफ्तर नहीं तोड़ा गया है। वहीं तत्कालीन डीआईजी संतोष सिंह के खौफ के बाद कई गुंडों के हाथ-पैर तक टूट गए थे, लेकिन अब गुंडों को पकड़ने में भी पुलिस संकोच करने लगी है। 





फील्ड मूवमेंट खत्म, कौन गुंडा कब छूटा, क्या कर रहा पता ही नहीं 





इस हालत की सबसे बड़ी वजह पुलिस अधिकारियों का फील्ड मूवमेंट ही खत्म होना है। इंटेलीजेंस ठप हो गई है। यह बजरंग दल मामले में ही देख चुके हैं, इतने लोग जमा होंगे और ट्रैफिक जाम होगा, यह तक पुलिस को खबर नहीं थी। कौन गुंडा कब किस थाने का छूट रहा है और क्या कर रहा है? इसकी भी खबर पुलिस के पास नहीं हैं। खुद पुलिस कमिशनर मकरंद देउस्कर ही अभी लीड लेकर टीआई की कार्यशैली पर नजर रखते हुए और कार्रवाई करते नजर नहीं आ रहे हैं। पूरा सिस्टम डीसीपी के भरोसे चल रहा है और वह टीआई के भरोसे हैं। उधर एक महीने के भीतर शहर के आधे थानों के टीआई के ट्रांसफर होने जा रहे हैं, ऐसे में उच्च स्तर पर बैकअप प्लान, क्राइम कंट्रोल का प्लान भी अभी तैयार नहीं है।



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