इंदौर में 114 कॉलोनियों के सैकड़ों पीड़ित भूखंडधारकों ने आईडीए को घेरा, जमकर की नारेबाजी; बोले- प्लॉट नहीं तो वोट नहीं

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BP Shrivastava
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इंदौर में 114 कॉलोनियों के सैकड़ों पीड़ित भूखंडधारकों ने आईडीए को घेरा, जमकर की नारेबाजी; बोले- प्लॉट नहीं तो वोट नहीं

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में आईडीए की स्कीम से परेशान 114 कॉलोनियों के सैकड़ों पीड़ित भूखंडधारकों ने अपने चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत बुधवार (23 अगस्त) को आईडीए को घेरकर की। नारे लगाए गए कि प्लॉट नहीं तो वोट नहीं। काफी देर तक आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा, विधायक महेंद्र हार्डिया के साथ पीड़ितों की गहमागहमी चली और तीखी बहस हुई। बाद में बंद कमरे में बात हुई। जिसमें कुछ पदाधिकारियों ने साफ कह दिया कि चावड़ा जी यही हालत रहा तो मप्र में भी पार्टी (बीजेपी) की हालत कर्नाटक जैसी हो जाएगी और इसका जिम्मेदार सिर्फ प्राधिकरण होगा। हम सभी 50 हजार पीड़ित लोग है, यानी दो लाख मतदाता। चावड़ा और हार्डिया ने फिर पीड़ितों को आश्वासन दिया कि हम इन कॉलोनियों को स्कीम से मुक्त करने पर काम कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि द सूत्र लगातार इन पीड़ितों की बात उठा रहा है और बता रहा है कि मद्दा, संघवी जैसे भूमाफिया से मुक्ति के बाद भी इन लोगों के लिए आईडीए सबसे बड़ा भूमाफिया बन गया है और इनकी जमीन नहीं छोड़ रहा है। 



प्रदर्शन की खबर के बाद भोपाल से आया फोन, मिलने आ जाओ



इस प्रदर्शन की खबर सुनने के बाद प्लाट पीड़ित महासंघ के पदाधिकारियों को भोपाल से मंत्री भूपेंद्र सिंह के यहां से फोन आ गया कि भोपाल आ जाइए मिलने के लिए आपकी मांगों पर काम कर रहे हैं। देर शाम को उनसे मुलाकात होगी। उधर, नगरीय प्रशासन प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का भी गुरूवार को इंदौर आने का कार्यक्रम है। इनसे भी मुलाकात होगी। 



36 महीने से एक्ट का ही पालन नहीं कर रहा आईडीए



इंदौर में चले भूमाफिया अभियान के बाद जब जमीनों को मुक्त कराया गया तब सीएम इंदौर आए थे और कहा गया था कि इन्हें इनका कब्जा दिलाएंगे। सितंबर 2020 में मप्र शासन ने एक्ट जारी किया जिसमें नियम 19 के उपनियम 24 में था कि स्कीम से मुक्त के लिए प्रारूप का प्रकाशन कर इसके विकास में खर्च राशि को लिया जाएगा और दो माह में यह राशि लेकर स्कीम खत्म की जाएगी। लेकिन 36 महीने में आईडीए ने यह कदम ही नहीं उठाया और स्कीम का पालन ही नहीं किया। जब यह बात बंद कमरे में उठी तो आईडीए के अधिकारी और लॉ के जानकार बगले झांकने लगे, उनसे ज्यादा कानून की जानकारी पीड़ितों को थी, पह नहीं बता के आखिर एक्ट का एक्जीक्यूशन क्यों नहीं किया गया?



अब आईडीए देर रहा सफाई



मंगलवार को जब आईडीए के खिलाफ महासंघ ने प्रेस कांफ्रेंस की तो आईडीए ने चालाकी दिखाते हुए मामले को दबाने के लिए शाम को प्रेस नोट जारी कर कुछ कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया की जानकारी दी। फिर प्रदर्शन नहीं करने के लिए भी कहा, लेकिन पीड़ित नहीं माने। प्रदर्शन के दौरान चावड़ा सफाई देते नजर आए कि 20-25 साल से सभी परेशान हैं इसलिए हमने स्कीम 171 को नोटिफाई करने का प्रस्ताव शासन के पास भेज दिया है। धार 57 के तहत शासन जमीन लेती है और आईडीए स्कीम डालती है, शासन के प्रस्ताव से ही डिनोटिफिकेशन हो सकता है। हमने स्कीम छोड़ने के बोर्ड से प्रस्ताव पास कराए लेकिन हमे यह समझ नहीं आया था कि शासन से डिनोटिफिकेशन करना है। अब हम स्कीम 171 का प्रस्ताव शासन को भेज चुके हैं। पांच और स्कीम का भेज रहे हैं, जिसमें 66 कॉलोनियां मुक्त होंगी, इनमें भी सालों से काम नहीं हुआ है। साथ ही दस स्कीम और ऐसी है जिन्हें मुक्त करना है। इसमें 60 कॉलोनियां हैं। आईडीए कुल 125 कॉलोनियों को मुक्त करने के लिए काम कर रहा है। वहीं हार्डिया ने इस काम के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि यह उनके समय लाई गई स्कीम थी, जो उनके पाप हम धो रहे हैं।



पीड़ित महासंघ का इस तरह चलेगा आंदोलन, सीएम निवास घेरेंगे



पीड़ित महासंघ की प्रेस कांफ्रेस में मुख्य तौर पर अयोध्यापुरी कॉलोनी यानि देवी अहिल्या सोसायटी, मजदूर पंचायत सोसायटी की पुष्पविहार कॉलोनी के पीड़ित, न्याय नगर संस्था के पीड़ित, तुलसीनगर का रहवासी संघ, श्री महालक्ष्मी नगर संघ के सदस्य मौजूद थे। आंदोलन इस तरह चरणबद्ध चलेगा-




  • बुधवार को सुबह साढ़े 11 बजे आईडीए में प्रदर्शन करेंगे। यह हो गया है। 


  • 24 अगस्त गुरुवार को कलेक्टर परिसर में प्रदर्शन, समय दोपहर एक बजे

  • 25 अगस्त शुक्रवार को नगर नगिम परिसर में महापौर व अधिकारियों से मुलाकात और अधिकारियों की हठधर्मिता को लेकर विरोध

  • चार सितंबर सोमवार को चलो भोपाल आंदोलन, सीएम निवास पर प्रदर्शन करेंगे।



  • आईडीए क्यों है सबसे बड़ा माफिया



    द सूत्र ने पहले भी लगातार यह न्यूज चलाई है कि दीपक मद्दा, सुरेंद्र संघवी जैसे भूमाफिया ने पहले भूखंडधारियों का हक मारा और अब आईडीए इन सभी से बड़ा भूमाफिया साबित हुआ है। सालों से वह स्कीम घोषित कर बैठा है, लेकिन ना खुद विकास कर रहे हैं, ना लोगों को एनओसी जारी कर मकान बनाने की मंजूरी दे रहे हैं और ना ही नगर निगम को एनओसी जारी कर रहा है कि वह इन्हें वैध कर सकें। अयोध्यापुरी को लेकर तो सालों पहले ही एनओसी जारी हो चुकी है, लेकिन इसे ही रद्द कर मामला शासन स्तर पर पहुंचा दिया गया। उधर, अयोध्यापुरी रहवासियों का आरोप है कि उधर, जिला प्रशासन ने एक शिकायत पर संबंधित प्लॉट्स की जांच की जगह पूरी कॉलोनी की ही जांच खोल दी और किसी भी संस्था की जांच नहीं हो रही है। वहीं पुष्पविहार वाले भी सालों से आईडीए से एनओसी मांग रहे हैं, लेकिन नहीं मिल रही है। मजदूर पंचायत सोसायटी में ही 13 कॉलोनियों के कई पीड़ित हैं। इसी तरह अयोध्यापुरी में करीब 400 पीड़ित हैं। उधर, तुलसी नगर रहवासी संघ भी नियमितीकरण में ठगा महसूस कर रहा है, जबकि वैध करने की इंदौर में मांग उन्हीं के द्वारा सबसे पुरजोर तरीके से उठाई गई थी और उनका ही नाम पहली सौ वैध कॉलोनी की सूची से गायब रहा। उधर, पिंटू छाबड़ा, हनी-टनी यानि केशव नाचानी, ओमप्रकाश धनवानी जैसे कई बड़े भूमाफियाओं ने सोसायटी की जमीन खरीद कर अपने पास रख ली।


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