Raipur. छत्तीसगढ़ में घोटालों को लेकर बीजेपी ने तमाम सवाल उठाए, रायपुर स्मार्ट सिटी में हुई धांधली और चावल की कालाबाजारी को लेकर बीजेपी नेता केंद्र तक पहुंच गए। केंद्रीय मंत्रियों से शिकायत हुई वहीं केंद्र से टीम भी आई। केंद्रीय दल ने आरोपों की जांच भी की। लेकिन जांच रिपोर्ट का अबतक पता ही नहीं चल पा रहा है। ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर ये जांच रिपोर्ट जनता के सामने क्यों नहीं आ पाती?
स्मार्ट सिटी को लेकर हुई थी जांच, लेकिन रिपोर्ट नहीं!
छत्तीसगढ़ चुनाव नजदीक हैं, घोटालों को लेकर आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं। बीजेपी ने प्रदेश में हुई धांधली को लेकर जमकर निशाना साधा और फिर केंद्र के पास पहुंचे शिकायत की। जिन कथित घोटालों को लेकर बीजेपी ने केंद्र से शिकायत की उनमें रायपुर स्मार्ट सिटी और चावल घोटाला शामिल है। इसमें रायपुर स्मार्ट सिटी के खिलाफ पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने धरना प्रदर्शन किया और 11 जनवरी 2023 को पूर्व मंत्री राजेश मूणत के पार्षद प्रतिनिधिमंडल ने रायपुर नगर निगम क्षेत्र में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 148 कार्यों में हुए और हो रहे भ्रष्टाचार की सूची सौंपकर जांच की मांग की। जांच समिति आई जांच की औऱ चली गई। जांच रिपोर्ट का पता ही नहीं। जब पूर्व मंत्री से जवाब मांगा गया तो घूमा फिराकर यह कहा गया कि सारे तथ्य हैं और डिपार्टमेंटली कार्रवाई चल रही है।
चावल घोटाले को लेकर भी जांच हुई थी
दूसरा मामला चावल घोटाले का है, जिसमें पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत करीब 1.50 करोड़ क्विंटल चावल जिसकी बाजार की कीमत 5 हजार 127 करोड़ होगी, के घोटाले का आरोप लगाया था। इस संबंध में केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल चिट्ठी लिखी थी, इस मामले में भी जांच टीम आई और जांच करके चली गई... रिपोर्ट का पता नहीं।
कांग्रेस ने साधा निशाना
पूरे मामले को लेकर इधर कांग्रेस ने इस गेंद को अपने पाले में ले लिया है। जांच रिपोर्ट पेश नहीं होने पर कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और कह दिया है कि सब आरोप अनर्गल हैं। हमारी सरकार ने कोई स्पेस ही नहीं दिया तो खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली बात है।
अब खुद सोचिए की बीजेपी के आरोप पर जांच तो हो गई। लेकिन आखिर क्या कारण है जो केंद्र दल की जांच रिपोर्ट ही सामने नहीं आ पा रही है?