Chhatarpur. छतरपुर की बिजावर तहसील में पदस्थ पटवारी शुभम श्रीवास्तव ने 19 जून को झांसी के बरुआ डैम में कूदकर खुदकुशी की थी। जब उसका 10 पेज का सुसाइड नोट सामने आया तो लोग दंग रह गए। दरअसल शुभम ज्योतिष और नक्षत्रों की गणना का जानकार था। उसने कई दिन तक अपना इतना लंबा सुसाइड नोट तैयार किया था। आध्यात्म से भरपूर सुसाइड नोट में रामचरित मानस की एक चौपाई भी है, जिसमें राजा दशरथ के मृत्युपूर्व कहे गए शब्दों को भी लिखा है। शुभम ने डैम में कूदते वक्त जिस जगह अपना बैग और सामान छोड़ा था, वहीं उसने जमीन पर स्वर्ग का द्वार भी लिखा था। शुभम द्वारा उठाए गए इस कदम से उसका परिवार गमगीन है, वहीं उसके दोस्त, नातेदार और पड़ोसी उसके सुसाइड नोट को पढ़कर चकरा रहे हैं।
- यह भी पढ़ें
सोशल मीडिया पर भी डाली थी पोस्ट
शुभम के भाई सुधांशु ने बताया कि उसके भाई को देखकर लगा ही नहीं कि वह परेशान है। उसने ज्यादा गर्मी की वजह से छुट्टी ले रखी थी, इस दौरान उसने अपना सुसाइड नोट लिखा था। वह डेली अपडाउन करता था, लेकिन घटना दिनांक को उसने घर में बताया था कि मीटिंग के कारण वह रात अमरपुरा में ही रुकेगा। रात 11 बजे उसके दोस्तों के फोन आने लगे। उन्होंने बताया कि शुभम ने एक पोस्ट डाली है, जिसमें सुसाइड करने की बात लिखी है। इसके बाद हमने काफी फोन लगाए, लेकिन फोन रिसीव ही नहीं हुआ।
मोबाइल लोकेशन के जरिए पहुंची पुलिस
सुधांशु की सूचना पर पुलिस ने शुभम के मोबाइल की लोकेशन निकाली तो वह झांसी के बरुआ सागर डैम की निकली। इसके बाद शुभम की सर्चिंग शुरू हुई, अगले दिन उसकी बॉडी डैम से मिली।
राजा दशरथ को किया कोड
अपने सुसाइड नोट में शुभम ने कई संस्कृत के श्लोक लिखे हैं, वहीं रामचरित मानस की एक चौपाई ‘ सो तनु राखि करब मैं काहा। जेहि न प्रेम पन मोर निबाहा’ लिखी है। सुसाइड नोट में इसका हिंदी अनुवाद भी है ‘ उस शरीर को रखकर मैं क्या करूं, जिससे प्रेम का निर्वाह ही संभव होता नहीं दिखता। दरअसल यह वृतांत राजा दशरथ की मृत्यु से पूर्व का है।