छग में 5 विधायकों को पहली बार मंत्री बनने का मिला मौका, यह फॉर्मूला MP और राजस्थान में चला तो कई सीनियर्स मंत्री नहीं बन पाएंगे

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The Sootr
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छग में 5 विधायकों को पहली बार मंत्री बनने का मिला मौका, यह फॉर्मूला MP और राजस्थान में चला तो कई सीनियर्स मंत्री नहीं बन पाएंगे

BHOPAL. छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को हुए मंत्री मंडल के गठन ने राजस्थान और मध्यप्रदेश के सीनियर्स विधायकों में खलबली मचा दी है। दरअसल, हुआ यूं है कि 9 विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। इनमें से 5 मंत्री ऐसे हैं, जिन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया है। इसका मतलब साफ है कि पहले से मंत्री बनते चले आ रहे सीनियर्स की जगह नए विधायकों को मौका दिया गया है। यदि ऐसा मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी किया जाता है तो यहां भी कई बार मंत्री रह चुके विधायकों की जगह उन चेहरों को तवज्जो दी जाएगी, जिन्हें पहले कभी मंत्री बनने का मौका नहीं मिला है।

नए चेहरे बने सीएम

भारतीय जनता पार्टी ने हाल के विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई है। यहां मध्यप्रदेश में सरकार रिपीट हुई है, जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर सूबे में अपना मुख्यमंत्री बैठाया है। इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने नए चेहरों को मुख्यमंत्री के बाद पर बैठाया है। तीनों ही मुख्यमंत्री ऐसे चेहरे हैं, जिनके नाम की किसी ने दूर दूर तक उम्मीद नहीं की थी। इसमें राजस्थान में सबसे ज्यादा बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने चौंकाया । यहां पहली बार के विधायक बने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री की कमान दी गई है।

तीनों ही राज्यों में यह है समानता

बीजेपी के मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह की बात की जाए तो मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पूरी तरह से समानता है। तीनों ही जगह मुख्यमंत्री के साथ दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं। तीनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री बनाए जाने में जातिगत समीकरण का ध्यान रखा गया है। सबसे खास बात तीनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री के साथ ही उपमुख्यमंत्री भी ऐसे चेहरों को बनाया गया है, जिनके नाम की राजनीतिक हलकों में चर्चा नहीं थी।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में क्या होगा

अब यदि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के चयन के पैमाने को देखा जाए तो यह पूरी तरह समान है। अब इनमें से छत्तीसगढ़ में सबसे पहले मंत्री मंडल का गठन हो गया है। अब छत्तीसगढ़ के मंत्रीमंडल के आधार को पैमाना बना कर यह कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान में भी मंत्री मंडल के गठन का यही आधार हो सकता है। ऐसे में इन दोनों ही राज्यों में पहले से मंत्री बनते चले आ रहे विधायकों में से अधिकांश को मौका शायद ही मिले। इन दोनों ही जगह पर नए चेहरों को मौका मिल सकता है।

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