ज्ञानेंद्र पटेल, Indore. इंदौर में अधिकारियों के कारण खनन माफिया तेजी से पनप रहा है। अब यह माफिया तालाबों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। लिम्बोदी तालाब में चौंकाने वाला मामला सामने आया है, यहां पर चैनल्स को ठीक करने के नाम पर एक किमी लंबी चैनल को 20 फीट गहरा तक खोद दिया गया और फिर इसकी मुरम निकालकर बेच दी गई, वह भी ढाई करोड़ की मुरम। इसमें सीधे तौर पर निगम अधिकारियों, मस्टरकर्मियों की मिलीभगत है। जिसमें एक डंपर पर 500 रुपए तक का कमीशन गया और यह कमीशन ही 25 लाख रुपए से ज्यादा का हो गया।
यह है मामला
इंदौर नगर पालिका निगम सीमा क्षेत्र के जोन 13 में आने वाले लिंबोदी तालाब के पास केचमेंट चैनल के कार्य के नाम पर बगैर अनुमति ,पीली मिट्टी व मुरम माफियाओं ने 20 फीट तक गहरा खोदकर पांच हजार डंपर मुरम निकाल ली। इस पर सरकार को कोई रायल्टी नहीं चुकाई। जिसे बाहर जाकर सड़क निर्माण करने वाली एक कंपनी और शहर के पास बस रही अवैध कॉलोनियों को बेच दिया गया। द सूत्र की पड़ताल में सामने आया है कि करोड़ों रुपए की इस बिक्री में निगम के आला अधिकारियों का कमीशन भी शामिल है। यह कमीशन 15 से 20रु. फिट तक रहता है। सामान्य भाषा में एक गाड़ी पर अधिकारियों को 400 से 500रु. तक का कमीशन मिलता है। वहीं एक दिन में सौ से डेढ़ सौ तक डंपर, केचमेंट एरिया से खोद कर निकाले जा रहे थे। जिसकी जानकारी द सूत्र को वहां कार्य करने वाले ठेकेदारों ने ही ऑन कैमरा दी है।
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ठेकेदार ने ही किया खुलासा
ठेकेदार ने कहा कि अब तक लगभग 5000 से अधिक डंपर पीली मिट्टी व मुरम कैचमेंट से निकाली जा चुकी है, जिसमें निगम के जोनल अधिकारी और इंजीनियर शामिल हैं। यह खेल कई महीनों से चल रहा है। इस खेल में सबसे बड़ा खिलाड़ी राहुल सिलावट है, जो अपने आपको निगम का मस्टर कर्मी बताता है, उसी के अनुमति से ठेकेदार कैचमेंट में मशीन उतारता है और वही ठेकेदार, बड़े अधिकारियों के बीच कमीशन की कड़ी है। राहुल सिलावट कई वर्षों से जोन नंबर 13 में मस्टर कर्मचारी है और वहीं बिलावली और लिंबोदी तालाब में कमीशन का खेल खेलता है। निगम के इंजीनियर मनीष मेहता और सुनील गुप्ता से 20रु. क्यूबिक मीटर का कमीशन फिक्स है। जब कार्रवाई के नाम पर प्रशासन यहां आता है तो यही हमको सूचना देते हैं कि हट जाओ अभी काम नहीं करना है। तालाब के पास में अतुल कंस्ट्रक्शन द्वारा सड़क का काम चल रहा है, यहां की पीली मिट्टी मनोज पटेल नाम का ठेकेदार निकालकर बेच रहा है।
जब मंजूरी ही नहीं दी तो फिर खुदाई कैसे हो रही है
इस मामले में जोन 13 के जोनल अधिकारी गितेश तिवारी कहते हैं कि हमने खुदाई की मंजूरी नहीं दी है। यही बात खुद इंजीनियर मनीष मेहता भी कह रहे हैं कि हमने चैनल खोदने की मंजूरी नहीं दी है। मास्टरकर्मी राहुल सिलावट कहता है कि निगम इंजीनियर सुनील गुप्ता जी को सब मालूम है, उन्हीं के आदेश से सब हो रहा है। वहीं सुनील गुप्ता कहते हैं कि मिट्टी तो किसानों के लिए होती है और सब तरफ से तालाब खुलेगा तो पानी रुकेगा, इसमें परेशानी क्या है।। किसान की जगह ठेकेदार मिट्टी ले जाकर बेच रहे हैं, लेकिन जब पूछा गया कि मिट्टी बेच कैसे सकते हैं। इस सवाल पर कहा कि- मैं दिखाता हूं, मिट्टी कहां चल रही है, हम तो किसानों के लिए मिट्टी निकालने देते हैं, यह काम हर साल होता है। अगर मिट्टी बाहर बेची जा रही है तो काम बंद करवाता हूं।
बिलावली तालाब में बिल्डर की करतूत आई थी सामने
लिम्बोदी ही नहीं बिलावली तालाब में भी बिल्डर मुकेश व अभिषेक जवेरी द्वारा बिलावली तालाब में खुदाई कर मिट्टी का अपनी कॉलोनी के निजी उपयोग में लेने का खुलासा भी द सूत्र ने किया था। निगमायुक्त हर्षिका सिंह को इसकी जानकारी दी तो फिर उन्होंने शुक्रवार को टीम भेजी और मशीन जब्त कराकर काम बंद कराया। यहां भी निगम के अधिकारियों की मिलीभगत साफ थी, और उन्हें यह तक पता था कि यह मिट्टी खुदाई जवेरी ग्रुप ही कर रहा है और खुद इंजीनियर गुप्ता ने यह बात कही कि जवेरी को मना कराता हूं। लेकन दो दिन तक गुप्ता ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद द सूत्र ने निगमायुक्त को जानकारी दी और फिर कार्रवाई रूकी। लेकिन अभी तक इन पर अवैध खनन का कोई केस नहीं बना है, जबकि इस तरह के मामले में खनन करने वालों पर भारी जुर्माना लगता है, जैसे कि शुक्रवार को जिला प्रशासन ने बारोला गांव में अवैध खनन पर 13.40 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई है।