जिला कोर्ट ने पुलिस से मांगा सबूत मिटाने के मामले में प्रतिवेदन, 106 दिन बाद भी 36 मौतों का कोई दोषी नहीं

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Chandresh Sharma
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जिला कोर्ट ने पुलिस से मांगा सबूत मिटाने के मामले में प्रतिवेदन, 106 दिन बाद भी 36 मौतों का कोई दोषी नहीं

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में रामनवमी के दिन 30 मार्च को श्री बेलेशवर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए बावड़ी हादसे में 36 लोगों की मौत के मामले में लगी एक याचिका पर जिला कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि बावड़ी हादसे के बाद एक और मजिस्ट्रियल जांच बैठाई गई, वहीं दूसरी ओर हादसे की जांच के साक्ष्य मिटाने का काम करते हुए नगर निगम, प्रशासन सभी ने मिलकर मंदिर और बावड़ी को ही पूरी तरह से तोड़ दिया। हादसे में 36 मौतों को 106 दिन हो गए और आरोपी भी खुले घूम रहे हैं, किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। साक्ष्य मिटाने वालों पर कार्रवाई की जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि इसके लिए पहले प्रतिवेदन जरूरी है, इसके बाद कोर्ट ने पुलिस को मामले में जांच प्रतिवेदन पेश करने के लिए कहा है। अब अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को रखी गई है। उधर हाईकोर्ट में भी याचिकाएं लगी हुई है, जिसमें सभी पक्षकारों को नोटिस गए हुए हैं। 




12 लोगों के खिलाफ प्रतिवेदन की मांग है




फरियादी दिलीप कौशल, रवि गुरनानी ने कहा कि हमने याचिका में 12 लोगों के खिलाफ साक्ष्य मिटाने का कृत्य करने को लेकर कार्रवाई और गिरफ्तारी की मांग की है। इसमें तत्कालीन निगमायुक्त के साथ ही जोनल अधिकारी, रिमूवल अधिकारी सहित अन्य शामिल है। साथ ही जिला न्यायालय में आवेदन देकर दोषियों पर अपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की हुई है। सुनवाई के दौरान कौशल के अभिभाषक  मनोहर दलाल, लोकेन्द्र जोशी एवं  विक्की चौहान ने जिला न्यायलय के समक्ष पुलिस प्रतिवेदन तत्काल मंगाए जाने की मांग की जिस पर न्यायलय अगली तारीख तय की है। 




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  • 15 दिन में आना थी जांच रिपोर्ट, सौ दिन हो गए




    रामनवमी के दिन 30 मार्च को इंदौर के श्री बेलेशवर महादेव झूलेलाल मंदिर की बाव़ड़ी धंसने से 36 लोगों की अकाल मौत हो गई थी। खूब हल्ला मचा, सीएम से लेकर पूर्व सीएम और अन्य नेताओं ने दौरे किए, गुनेहगार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात हुई। फिर मंदिर भी तोड़ दिया गया और मजिस्ट्रियल जांच भी बैठा दी गई। लेकिन घटना के सौ दिन बाद भी पुलिस और प्रशासन, सरकार को कोई गुनेहगार नहीं मिला है। मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट 15 दिन में देने का बात हुई थी और सौ दिन हो गए हैं, अब तो जांच करने वाले अधिकारी भी कलेक्टर बनकर ट्रांसफर हो गए हैं। 




    किसे माना गया था दोषी




    बावड़ी घटना के बाद नगर निगम ने मंदिर ट्रस्ट को नोटिस देकर कार्रवाई नहीं करने वाले दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था, इसके बाद उनके यहां से कार्रवाई खत्म हो गई। वही मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी के खिलाफ जूनी इंदौर पुलिस थाने में गैर इरादतन हत्या का केस हुआ। लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं हुई और पुलिस भी भी तक जांच ही कर रही है। 




    हाईकोर्ट में भी लग गई तीन याचिकाएं




    इस मामले में हाईकोर्ट में भी एक-दो नहीं तीन याचिकाएं दायर हो गई, जिसमें दोषियों को सजा दिलाने की मांग की गई। इसमें पक्षकारो को नोटिस तो हो गए हैं लेकिन अभी सुनवाई बाकी है, शासन और प्रशासन फिलहाल इस मामले को ठंडा ही रखना चाहता है। 




    इधर मंदिर का भूमिपूजन भी हो गया




    वहीं गुनेहगारों को सजा दिलाने और मृतकों के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए तो कोई आंदोलन नहीं हुआ लेकिन मंदिर फिर से बनाने के लिए सतत संघर्ष चलता रहा और इसके लिए विधायक मालिनी गौड़ से लेकर आकाश विजयवर्गीय तक का सहयोग सभी को मिला। आखिरकार जहां मंदिर तोड़ा गया था. वहां भूमिपूजन कर अस्थाई शेड बना दिया गया और मंदिर निर्माण की तैयारी पूरी हो गई है। सीएम शिवराज सिहं चौहान भी आश्वासन दे चुके हैं कि मंदिर बनेगा, प्रशासन मदद करेगा। लेकिन अब गुनेहगार और उन्हें सजा दिलाने की बात कोई नहीं करता है।


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