MP पटवारी परीक्षा: एक ही एग्जाम सेंटर से 7 टॉपर, विपक्ष और कैंडिडेट्स ने लगाया घोटाले के आरोप, सरकार और MPESB का सिलसिलेवार खंडन!

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Ruchi Verma
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MP पटवारी परीक्षा: एक ही एग्जाम सेंटर से 7 टॉपर, विपक्ष और कैंडिडेट्स ने लगाया घोटाले के आरोप, सरकार और MPESB का सिलसिलेवार खंडन!

BHOPAL: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और शिवराज सरकार हर दिन किसी न किसी नई कंट्रोवर्सी में घिरती नज़र आ रही है। कभी महाकाल लोक का भ्रष्टाचार तो कभी आदिवासी व्यक्ति पर भाजपा प्रतिनिधि द्वारा पेशाब करने का मामला। इसी कड़ी में नया मामला है जुड़ा है पटवारी भर्ती घोटाले के आरोपों का। दरअसल, मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (जो पहले व्यापमं के नाम से जाना जाता था) में हुई संयुक्त भर्ती परीक्षा (पटवारी) रिजल्ट के आने के बाद से ही सवालों के घेरे में घिर गई है और इस भर्ती पर विवाद शुरू हो गया है। विवाद की वजह बना है ग्वालियर का एक परीक्षा सेंटर एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट। दरअसल, रिजल्ट में सफल उम्मीदवारों की जो लिस्ट जारी हुई है उसमें टॉप टेन में आए सभी आवेदकों का जो सेंटर था वो यही एनआरआई कॉलेज था। जिसके मालिक बीजेपी विधायक संजीव सिंह कुशवाहा हैं। अब रिजल्ट आने के बाद जो मुख्य सवाल उठ रहा है वो ये कि क्या ये महज़ एक संयोग है या फिर जानबूझकर की गई गड़बड़ी। मामला राजनैतिक रंग ले चुका है और मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन इसी मुद्दे को लेकर गरमाया रहा। परीक्षा देने वाले मध्य प्रदेश के युवाओं के साथ ही कांग्रेस के नेताओं ने इस परीक्षा को रद्द करके फिर से पारदर्शी तरीके से परीक्षा कराए जाने की मांग की है। पूरा मामला जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट...



क्या है पूरा मामला और रिजल्ट में गड़बड़ी के आरोप लगने के कारण



मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की ओर से मार्च-अप्रैल 2023 में ग्रुप 2 (सबग्रुप 4) के लिए पटवारी भर्ती परीक्षा, 2022 आयोजित की गई थी। मंडल ने हाल ही में पोस्ट वाइज, कैटेगरी वाइज कटऑफ, मेरिट लिस्ट और मार्क्स की डिटेल्स के साथ परीक्षा की रिजल्ट जारी लिए। रिजल्ट में टॉप 10 कैंडिडेट्स की लिस्ट में से 7 ग्वालियर से, 2 भोपाल से, 1 सागर से हैं। बड़ी बात ये कि लिस्ट में शामिल 7 टॉपर ग्वालियर के एक ही परीक्षा केंद्र एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट से हैं। बता दें कि इस पटवारी परीक्षा में कुल 14 लाख कैंडिडेट्स शामिल हुए थे, जिनमें से 9 हज़ार कैंडिडेट्स सेलेक्ट हुए। इन 9 हज़ार कैंडिडेट्स में से लगभग 1 हज़ार चयनित अभ्यर्थियों का सेंटर एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट (NRI) कॉलेज था। यह सेंटर भिंड के विधायक संजीव सिंह कुशवाहा का है। बस यही से मामला गरमा गया और एक ही सेंटर से इतनी बड़ी तादाद में कैंडिडेट्स चुने जाने के बाद से परीक्षा रद्द करने की मांग तेज होने लगी।



आरोप क्या हैं?




  • रिजल्ट लिस्ट में टॉप 10 में शामिल 7 टॉपर ग्वालियर के एक ही परीक्षा केंद्र एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट से हैं। इन 7 टॉपर्स ने कुल 200 अंक में से 174.88 से 183.36 तक पाए हैं। इस एक केंद्र से ही परीक्षा देने वाले 114 आवेदक पटवारी पद के लिए चयनित हुए हैं।


  • सातों टॉपर आवेदकों के रोल नंबर की सीरीज एक जैसी ही है - रोल नंबर 2488 7991 से 2488 9693 तक, जो लगभग लगभग 1,700 उम्मीदवारों के पूल से हैं।

  • टॉप टेन में आए अधिकांश उम्मीदवारों ने हिंदी में एकदम सीधे सपाट हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें उनके सरनेम भी नहीं दिख रहे हैं।

  • एक्टिविस्ट राधे जाट ने तो ये आरोप भी लगाया की एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट सेंटर से कैंडिडेट्स को स्क्रीन शेयर करवा कर चीटिंग करवाई गई।



  • मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल अधिकारी ने सभी आरोपों का सिलसिलेवार खंडन



    इस मामले में द सूत्र ने मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की, तो नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने सभी आरोपों का सिलसिलेवार खंडन करते हुए बताया:




    • मंडल के पास एग्जाम और रिजल्ट दोनों के लिए एक स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) है जिसके अनुसार काम होता है।


  • जिस सॉफ्टवेयर के जरिये परीक्षा आयोजित करवाई जाती है उसमें फायरवाल सॉफ्टवेयर इन्स्टालेड होता है, जिसकी वजह से उसे हैक करना इतना आसान नहीं है।

  • साथ ही एग्जाम सेंटर्स पर CCTV कैमरा लगे होते हैं जिनसे लाइव निगरानी की जाती है।

  • रिजल्ट में किसी भी तरह की गड़बड़ियों को पकड़ने के लिए सॉफ्टवेयर रिजल्ट ट्रेंड नोटिस करता है। अगर कोई भी ऐसी गड़बड़ी हुई होती जिसके आरोप लग रहे हैं तो वो पकड़ में आ जाते।

  • साथ ही ये आरोप भी निराधार है कि एक ही सेंटर से 114 कैंडिडेट्स का सिलेक्शन हो गया है, क्योंकि देखा जाए तो ये कुल सिलेक्टेड का महज़ 1.32% ही हैं।

  • और ऐसा भी नहीं है कि ग्वालियर में NRI कॉलेज को ही प्राथमिकता से एग्जाम सेंटर बनाया गया। क्योंकि उसी क्षेत्र में एलएनसीटी कॉलेज और मालवा कॉलेज जैसे सेंटर भी दिए गए।



  • परीक्षा करवाने में कॉलेज का कोई रोल नहीं: संजीव सिंह कुशवाहा, एनआरआई कॉलेज के मालिक 



    इस मामले पर बीजेपी विधायक संजीव सिंह कुशवाहा ने भी सफाई दी है। द सूत्र के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, 'परीक्षा करवाने में कॉलेज का कोई रोल नहीं होता है। कॉलेज तो सिर्फ अपनी बिल्डिंग और कंप्यूटर उस एजेंसी को ठेके पर देते हैं जो एजेंसी परीक्षा करवाती है।'



    मामले ने लिया राजनैतिक रंग, विधानसभा में गूंजा मामला



    संजीव सिंह कुशवाहा की सफाई के बावजूद, भर्ती घोटाले के आरोप के बाद से ही कांग्रेस और बीजेपी में वार-पलटवार का सिलसिला जारी है। विपक्ष इस भर्ती घोटाले के तार बीजेपी विधायक संजीव कुमार कुशवाह से जोड़ रहा है। आज विधानसभा के मानसून सत्र के दुसरे दिन पटवारी परीक्षा भर्ती में गड़बड़ियों के आरोपों से सदन गूंजता रहा। विपक्ष ने परीक्षा में लगे आरोपों के बाद सीबीआई इन्क्वाइरी की मांग ही है।



    शिवराज सरकार से तो जांच की मांग करना भी बेकार: कमलनाथ, पूर्व सीएम



    राज्य के पूर्व सीएम कमलनाथ ने इसपर कहा कि प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। कई टॉपर एक ही सेंटर पर परीक्षा देकर सफल हुए। कमलनाथ ने आगे कहा कि व्यापम, नर्सिंग, आरक्षक भर्ती, कृषि विस्तार अधिकारी और ऐसी कितनी ही भर्ती परीक्षाओं ने अंत में घोटाले का रूप लिया है।  कमलनाथ ने आगे कहा कि शिवराज सरकार से तो जांच की मांग करना भी बेकार है, क्योंकि हमेशा बड़ी मछलियों को बचा लिया जाता है।



    मामले के सीबीआई जांच हो: अरुण यादव, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री



    इस पूरे मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन भी किया। उन्होंने कहा की पहले शिवराज सरकार ने व्यापम घोटाला करके इतना बड़ा कांड किया था कि व्यापम का नाम बदलकर कर्मचारी चयन मंडल करना पड़ा। अब सरकार ने पटवारी भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर व्यापम पार्ट 3 कर दिया है। अभ्याथियो ने हिंदी में सिग्नेचर किए, एक सेंटेंस भी ठीक नहीं लिख सकते उन्हें 200 में से 185 नंबर मिल गए। कॉलेज बीजेपी विधायक संजीव कुशवाह का है। मामले में अरुण यादव ने सीबीआई जांच कराने की मांग की, साथ ही संजीव कुशवाह समेत आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। ये भी कहा की चयनित लोगों की जांच पत्रकारों की समिति से भी कराई जाए।



    पटवारी भर्ती परीक्षा में कोई घोटाला नहीं हुआ: नरोत्तम मिश्रा,गृह मंत्री



    वहीं MP के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने द सूत्र को बताया की पटवारी भर्ती परीक्षा में कोई घोटाला नहीं हुआ है। इसके पहले उन्होंने मामले पर कांग्रेस को घेरा और बोला कि चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस ने परीक्षा में गड़बड़ी का मामला उठाना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरीके से कांग्रेस की साजिश है। नरोत्तम मिश्रा ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में 8000 से अधिक पटवारी परीक्षा में चयनित होकर आए हैं। 13 जिलों में सेंटर बनाए गए और 35 दिन परीक्षाएं चलीं। 70 से अधिक प्रश्न पत्र आए। वह बोले कि कांग्रेस की तरफ से लगाए गए गड़बड़ी के सभी आरोप झूठे हैं, जिस सेंटर पर आरोप लगा रहे हैं वहां से 114 लोग कुल सेलेक्ट हुए हैं।



    व्यापम से लेकर कर्मचारी चयन मंडल की विवादित हिस्ट्री



    दरअसल, मध्यप्रदेश में साल 2010 के बाद से ही व्यावसायिक परीक्षा मंडल की प्रवेश परीक्षाएं विवादों में घिरी रही हैं। बाद में सरकार ने व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) का नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेश बोर्ड यानि (PEB) कर दिया था। विवाद उसके बाद भी समाप्त नहीं हुआ तो संगठन का स्वरूप ही बदलकर कर्मचारी चयन मंडल (ESB) कर दिया। लेकिन, वर्ष 2020 में कर्मचारी चयन मंडल (ESB) ने कृषि विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ विस्तार अधिकारी की भर्ती परीक्षा आयोजित की और उसमें भी पेपर लीक हो गया। जिसमें पाया गया की आवेदकों ने 195 नंबर तक हासिल कर लिए थे, बाद में जांच में सामने आया था कि इस परीक्षा का पेपर बाहर किसी अन्य कंप्यूटर सेंटर में लीक हुआ था। विवाद सामने आने के बाद मंडल ने इस परीक्षा को रद्द कर दिया था।


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