संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हाईकोर्ट द्वारा तीन कॉलोनियों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए गठित की गई हाईकोर्ट रिटायर जज की कमेटी के सामने भूमाफिया एक के बाद एक चालबाजी कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ केस कमेटी के सामने बुधवार को पहुंचे, जिसमें हैप्पी उर्फ जितेंद्र धवन द्वारा कालिंदी गोल्ड के डायरी पर हुए सौदे को फर्जी बताया। इस पर फरियादी ने बाणगंगा थाने में हुई एफआईआर की कॉपी ही कमेटी के सामने रख दी। उसमें पुलिस ने शिकायत को सही पाते हुए और सौदे को मान्य करते हुए हैप्पी धवन के साथ ही निकुल कपासी और महावीर जैन पर साल 2020 में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। फरियादी ने उलटे कमेटी से ही पूछ लिया कि जब पुलिस एफआईआर हुई है यानि पुलिस ने डायरी और इस पर हुए सौदे को सही माना है तो फिर अब डायरियां फर्जी कैसे बताई जा सकती हैं। इस मामले में विवाद होने पर कमेटी ने तय किया है कि विवादित मामलों में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से रिपोर्ट बुलाई जाएगी।
डायरी में सौदे भी कम राशि के बताए गए
फरियादी राधामोहन माहेश्वरी द्वारा प्रस्तुत डायरी को फर्जी करार देने पर फरियादी ने कहा कि मेरे द्वारा कालिंदी में दो भूखंड लिए और लगभग 16 लाख पचास हजार रुपए दिए गए। लेकिन, डायरी में कंपनी द्वारा 5 लाख को 5000 रुपए दर्शाया गया 81,250 रुपए को 812.50 रुपए ही दर्शाया गया। साथ ही हर किश्त मेरे द्वारा कंपनी के कार्यालय में हैप्पी धवन के समक्ष जमा करवाई गई जिसके एवज में रसीद ना देते हुए हैप्पी धवन द्वारा हस्ताक्षर कर सहमति दी जाती थी। निकुल कपासी, नीलेश अजमेरा और महावीर जैन द्वारा मेरी शिकायत के निराकरण व लेनदेन हेतु हैप्पी उर्फ जितेंद्र धवन को जिम्मेदार बताया गया। जबकि हैप्पी उर्फ जितेंद्र धवन द्वारा प्रस्तुत जवाब में हैप्पी उर्फ जितेंद्र धवन द्वारा एक झूठा शपथपत्र प्रशासन के समक्ष देकर मेरे द्वारा खरीदे गए भूखंडों की डायरी को फर्जी करार दिया गया है। हैप्पी उर्फ जितेंद्र धवन द्वारा बार बार कहा जाता है कि यह भूखंड (डायरी) बेचने वाले दलाल (सोनू मूंदडा) द्वारा कोई धोखाधड़ी द्वारा बनाई गई। इसी मामले में बाणगंगा थाने में 591/2020 केस नंबर दर्ज है। इसी तरह एक अन्य फरियादी विनय यादव की डायरी को भी हैप्पी ने फर्जी बताया।
हैंडराइटिंग हैप्पी की निकली तो होगा एक और केस
उधर जानकारों ने बताया कि यदि हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट में हैप्पी धवन के ही हस्ताक्षर पाए जाते हैं तो इसमें फरियादी हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने झूठा शपथपत्र देकर गलत साक्ष्य देने के आरोप में आईपीसी धारा 340 के तहत आरोपी बनता है। फरियादी को यह अधिकार है और कमेटी को भी वह कि केस करा सकता है। साथ ही भुगतान तो करना ही पड़ेगा।
इधर चंपू ने सील, रसीद फर्जी बताने का तरीका अपनाया
उधर चंपू अजमेरा ने भी फिनिक्स के कुछ मामलों में यही तरीका अपनाया है। उसने कुछ केस में कह दिया कि इस तरह की रसीदें मेरे द्वारा कभी नहीं दी गई और ना ही ऐसी सील थी। यह सील तो बाजार में किसी ने बनवाकर लगवा ली और यह गलत रसीद बनाई है। इसमें मेरा लेना-देना नहीं है। इसमें फरियादी ने कहा है कि आरोपी सेटलमेंट नहीं मानेगा तो हाईकोर्ट में इन्हें चेंलेज किया जाएगा।
मैडीकैप्स के मित्तल के वकील भी पहुंचे
वहीं फिनिक्स मामले में मैडीकैप्स यूनविर्सिटी कें प्रमुख रमेश चंद मित्तल का नाम चंपू अजमेरा द्वारा लिए जाने के बाद कमेटी के सामने उनके वकील भी आए और जवाब मांगने के लिए समय लिया। चंपू अजमेरा ने कहा है कि फिनिक्स में आरके इंफ्रास्ट्रक्चर जिसमें रमेश मित्तल और उनकी पत्नी कुसुम भी हिस्सेदार थी, उनकी भी जिम्मेदारी है कि वह पीड़ितों का भुगतान करें। जबकि मित्तल द्वारा जो प्रारंभिक दस्तावेज पेश किए गए इसमें सामने आया कि साल 2008-09 में तीनों एक साथ पार्टनर थे, लेकिन बाद में मित्तल दंपती बाहर हो गए। बाद में दो ही डायरेक्टर बचे एक चंपू अजमेरा दस फीसदी का हिस्सेदार और दूसरा उसी की कंपनी फिनिक्स डेवकान 90 फीसदी की हिस्सेदार बनी। वहीं 29 मार्च 2023 को अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर द्वारा भी इस मामले की सुनवाई कर आदेश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कंपनी में और फिनिक्स में मित्तल का कोई लेना-देना नहीं पाया गया है। फिनिक्स में उस समय चंपू के ही कर्मचारी डायरेक्टर बने थे और जो भी रजिस्ट्री फिनिक्स डेवकान ने कराई अपने कर्ताधर्ताओं के कहने पर ही कराई गई।