Gwalior. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सामने आई गफलत पर नाराजगी व्यक्त की है। साथ ही आरोपी को जमानत देते हुए अदालत ने मध्यप्रदेश के डीजीपी, आईजी और एसपी समेत नूराबाद थाने के दरोगा को कोर्ट में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। मामला एनडीपीएस एक्ट में गांजे की सैंपलिंग में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन न किए जाने का है।
अदालत में मांगा जाएगा स्पष्टीकरण
इस मामले में जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने कहा कि अनेक मर्तबा पुलिस को अवगत कराए जाने के बाद भी पुलिस अधिकारी एनडीपीएस की जांच में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में पुलिस अधिकारियों को अदालत में बुलाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचता। डीजीपी को कोर्ट में हाजिर होकर स्पष्टीकरण देना होगा कि पुलिस अधिकारी नियमों का पालन क्यों नहीं कर रहे।
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यह है मामला
दरअसल चंबल पुलिस जोन के मुरैना में एक मुखबिर की सूचना के बाद एक कार को पकड़ा गया था, जिसमें से गांजे के 57 बैग मिले थे। बरामद गांजे की मात्रा 54 किलो 200 ग्राम बताई गई थी। पुलिस ने इस गांजे की सैंपलिंग के लिए सभी 57 पैकिटों को तिरपाल बिछाकर एकसाथ मिलाया और 100-100 ग्राम गांजे के दो सैंपल बनाए थे। गांजे के साथ पकड़े गए आरोपी तनवीर खान और इस्तार खान की ओर से दायर जमानत याचिका में उनके वकील ने दलील दी कि सैंपलिंग की एक व्यवस्था है, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन न करके पुलिस ने याचिकाकर्ता को फंसाया है। दोष पूर्ण जांच के चलते अदालत ने आरोपी तनवीर खान को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए। वहीं इस गफलत पर डीजीपी, आईजी और एसपी समेत एसआई को अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं।
क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन
चर्चित नेतराम प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने मादक पदार्थों की सैंपलिंग के लिए गाइडलाइन निर्धारित की है। इसमें पुलिस को सभी पैकेट या बोरों के अलग-अलग सैंपल लेने होते हैं। 22 दिसंबर 2022 से मौके पर सैंपलिंग के प्रावधान भी खत्म कर दिए गए हैं। अब मादक पदार्थ को सील कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने सैंपलिंग कराने के निर्देश हैं।