उज्जैन में सिंहस्थ की रिसर्व जमीन का बदला लैंडयूज, 185 एकड़ जमीन पर कटेगी कॉलोनी, साधु-संतों का सवाल- मेला कहां लगेगा

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Neha Thakur
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उज्जैन में सिंहस्थ की रिसर्व जमीन का बदला लैंडयूज, 185 एकड़ जमीन पर कटेगी कॉलोनी, साधु-संतों का सवाल- मेला कहां लगेगा

UJJAIN. उज्जैन के सिंहस्थ के लिए रिसर्व रखी 872 एकड़ जमीन में से 185 एकड़ का लैंडयूज बदलकर कृषि से आवासीय कर दिया गया है। दरअसल, 2016 में सिंहस्थ के लिए मप्र सरकार ने इस जमीन को रिसर्व किया था। लैंडयूज बदलने से अब इस जमीन पर कॉलोनियां काटी जा सकेंगी। खास बात यह है कि इसमें उच्च शिक्षा मंत्री व उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव, उनकी पत्नी, बहन की जमीन भी शामिल है।



2028 में 10 करोड़ से ज्यादा लोग सिंहस्थ में होंगे शामिल



उज्जैन बीजेपी के वरिष्ठ विधायक पारस जैन अपने ही साथी मंत्री का नाम लिए बिना कहते हैं कि चाहे जिसके स्वार्थ के लिए ये किया गया हो, लेकिन ये फैसला पूरी तरह गलत है। सिंहस्थ 2028 में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान है। ऐसे में चिह्नित जमीन पर कॉलोनी बसाने का फैसला उज्जैन और सिंहस्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।



लैंडयूज की अधिकतर जमीन बीजेपी और बिल्डर के नाम



सूत्रों के मुताबिक सिंहस्थ मेला क्षेत्र से जमीन मुक्त करने के अलावा मास्टर प्लान की आड़ में जिन जमीनों का लैंडयूज बदला गया है, उनमें भी बीजेपी नेताओं को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाया गया है। क्योंकि कृषि से आवासीय हुई ज्यादातर जमीनों का मालिकाना हक मंत्री, उनकी पत्नी, जन अभियान परिषद के अध्यक्ष विभाष उपाध्याय और ऐसे ही कई प्रभावशाली नेताओं और बिल्डरों के नाम पर है। 26 दिसंबर 2014 को उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर कवींद्र कियावत के आदेश से सिंहस्थ मेला सैटेलाइट टाउन बनाने के लिए जून 2016 तक अस्थाई मेला क्षेत्र घोषित किया गया था। इसमें कुल 352 हेक्टेयर जमीन रिजर्व की गई थी। मास्टर प्लान के नाम पर रिजर्व जमीन में से 185 एकड़ जमीन को मुक्त कर दिया गया है।



ये जमीन महत्वपूर्ण क्यों



उज्जैन में हर 12 साल में सिंहस्थ मेला लगता है। अगला सिंहस्थ 2028 में होगा। लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं। साधु-संतों के पांडाल लगते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अस्थायी निर्माण भी किए जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सिंहस्थ मेला क्षेत्र नोटिफाइड किया जाता है। इस क्षेत्र में किसी भी तरह के आवासीय या व्यावसायिक निर्माण की अनुमति नहीं रहती है। जिस जमीन की यहां बात हो रही है, वो सिंहस्थ के सैटेलाइट टाउन की है। दरअसल, सिंहस्थ के दौरान यहां देश-दुनिया से आने वाले संतों की व्यवस्था के लिए अलग-अलग अस्थाई शहर बनाए जाते हैं। इन्हें सैटेलाइट टाउन कहा जाता है। उज्जैन शहर में एंट्री से पहले जहां से ट्रैफिक डायवर्ट किया जाता है, वहां ये सैटेलाइट टाउन बनते हैं।



मेले की जमीन के लिए मुआवजा भी



सिंहस्थ 2016 के लिए अधिग्रहीत की गई निजी जमीनों के लिए सरकार ने अलग-अलग तरह से कुल 26.27 लाख रुपए मुआवजा दिया था। परती भूमि के लिए 10 हजार रुपए, एक फसल देने वाली जमीन के लिए 20 हजार रुपए, 2 फसल के लिए 40 हजार रुपए और व्यावसायिक उपयोग की भूमि के लिए 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का मुआवजा निर्धारित था।


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