एमपी में में दो महीने पहले टमाटर के दाम 1 रु किलो मिल रहे थे तो खेत में दबा दिए, अब डिमांड बढ़ी तो बाहर से महंगा मंगाया जा रहा

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Atul Tiwari
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एमपी में में दो महीने पहले टमाटर के दाम 1 रु किलो मिल रहे थे तो खेत में दबा दिए, अब डिमांड बढ़ी तो बाहर से महंगा मंगाया जा रहा

BHOPAL. देश में इस समय टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं। भोपाल में 1 जुलाई को टमाटर 140 रु किलो तो रायसेन में 160 रु किलो तक बिका। रायसेन प्रदेश में टमाटर जिले के नाम से जाना जाता है। यहां से टमाटर देश के अलावा नेपाल, दुबई तक भेजा जाता है। इस बार हालात जरा अलग हैं। किसानों की लागत तक नहीं निकली और वे कर्जदार हो गए। उन्होंने 60 हजार रुपए प्रति एकड़ से खेत किराए पर लिए थे।





टमाटर का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले समनापुर गांव के किसान मोहन बाबू कुशवाह ने बताया कि सीजन (मार्च-अप्रैल) में व्यापारी 20-25 रुपए कैरेट (प्रति कैरेट 25-26 किलो) टमाटर मांग रहे थे यानी एक रुपए किलो। हमें तुड़वाई पर 20 रु प्रति कैरेट लग रहे थे। नुकसान कैसे सहते, इसलिए रोटावेटर चलाकर खेतों में ही दबा दिए।





कई किसानों एक जैसी कहानी





नुकसान सहने की ऐसी ही कहानी गौरीशंकर विश्वकर्मा की भी है। मोकलवाड़ा के अरुण कुमार लोधी बताते हैं कि सवा एकड़ में टमाटर लगाए थे। लागत 35 हजार आई थी, हाथ कुछ नहीं आया। इसलिए रोटावेटर चलाकर खेत में ही टमाटर खत्म कर दिए। इस नुकसान की भरपाई करने के लिए धान बोई है। इसी गांव के भभूत सिंह के पानी भरे खेत में अब भी टमाटर की फसल खड़ी है। कहते हैं ढाई एकड़ में टमाटर लगाया था। व्यापारी 20 से 25 रुपए कैरेट मांग रहे थे, मैंने कहा नहीं दूंगा, भले ही खेत में सड़ जाए। इसी तरह मालझीर, किबलाझीर, बकतरा, मोकलवाड़ा, हर्सिली, दूधतलाई, डूबी, आमोन समेत कई गांवों में किसानों को टमाटर के सही दाम नहीं मिले और खेतों में ही फसल खत्म हो गई।





ये रही कीमतें बढ़ने की वजह





उद्यानिकी विभाग के अनुसार, इस साल रायसेन जिले में 5800 हेक्टेयर में टमाटर लगाया गया था। पिछले साल 5500 हेक्टेयर में लगाया था। एक हेक्टेयर में 300 क्विंटल उत्पादन होता है। ज्यादा पैदावार होने से कीमतें घट गईं। हर्सिली के किसान जितेंद्र सिंह कहते हैं कि 15 मई के बाद टमाटर 50 रुपए कैरेट भी नहीं बिक रहा था तो किसानों ने खेतों में नष्ट कर दिया। अब डिमांड बढ़ी तो बाहर से महंगा खरीद रहे हैं।  





इसलिए नहीं लग सकता कैचअप प्लांट





रायसेन के किसानों को टमाटर के बेहतर दाम मिलें, इसलिए यहां कैचअप प्लांट लगाने का भी प्रपोजल था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। किसान जितेंद्र सिंह बताते हैं चूंकि रायसेन में जो टमाटर बोया जाता है, उसका कैचअप नहीं बनता। कैचअप बनाने वाले टमाटर की वैरायटी अलग होती है। इसे बोने की भी कोशिश की थी, लेकिन संभव नहीं हो पाया। वहीं, रायसेन में टमाटर की फसल 5 महीने की होती है, जबकि कैचअप प्लांट के लिए 8 महीने तक फसल होना चाहिए, तभी प्लांट चलेगा।





पांच फूड प्रोसेसिंग यूनिट खुलवाने की कोशिशें कर रहे- कलेक्टर





रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे का कहना है- जिले के बाड़ी क्षेत्र में टमाटर का बड़े स्तर पर प्रोडक्शन होता है। इसे देशभर के शहरों में भेजा जाता है। इस क्षेत्र में पांच फूड प्रोसेसिंग यूनिट खुलवाने की कोशिशें चल रही हैं। यदि यह यूनिट्स यहां पर स्थापित होती है तो क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के मौके भी विकसित होंगे।



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