इंदौर की 12 साल की बच्ची के स्कूल वर्क और आइडिया से शुरू हुआ कारोबार, आज टर्नओवर 50 लाख के पार, 30 से 40 लोगों को मिल रहा रोजगार

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Chandresh Sharma
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इंदौर की 12 साल की बच्ची के स्कूल वर्क और आइडिया से शुरू हुआ कारोबार, आज टर्नओवर 50 लाख के पार, 30 से 40 लोगों को मिल रहा रोजगार

ज्ञानेंद्र पटेल, INDORE. सोमवार 21 अगस्त को विश्व उद्यमिता दिवस है। युवा उद्यमी को बढ़ावा देने के लिए इंदौर में 12 साल की बच्ची ध्रुवी आर्य को सम्मानित किया गया। इस उम्र में भी वह मां के साथ नर्सरी का कारोबार कर रही है और 30 से 40 लोगों को रोजगार दे रही है। ध्रुवी ने कुछ साल पहले मां रत्ना आर्य को नर्सरी का कारोबार करने की सलाह दी थी। यह आइडिया उन्हें स्कूल वर्क (होमवर्क) में पर्यावरण, पौधारोपण से जुड़े विषय के कारण आया। इसमें घर-घर पौधे लगाने की बात थी। इसी आइडिया से उन्होंने इसे कमाई के साथ ही ग्रीन पर्यावरण का उद्देश्य बनाकर शुरू किया। इसके बाद यह कारोबार कुछ ही सालों में 50 लाख का टर्नओवर को पार कर गया है। 




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इस तरह हुई कारोबार की शुरूआत



नर्सरी का व्यापार कुछ साल पहले मात्र 14 हजार की लागत से शुरू हुआ जो अब 50 लाख  तक पहुंच गया। उद्यमी रत्ना आर्य ने प्लांट नर्सरी के बिजनेस को लेकर बताया कि उनकी बच्ची ने उन्हें प्लांटेशन के व्यापार में उतारने का आइडिया दिया।  आज मप्र के साथ ही प्रदेश के बाहर लुधियाना, औरंगाबाद, हरियाणा जैसे राज्यों तक अपने व्यापार को पहुंचा दिया। वह कहती हैं कि बहुत कम लोगों को पता है कि इस व्यापार को आगे बढ़ाने में उनकी बेटी ने बहुत बड़ा योगदान है स्कूल के छोटे से होमवर्क ने नर्सरी प्लांटेशन के व्यापार तक पहुंचने का आइडिया उन्हें उनकी बच्ची से ही मिला।



30 से 40 लोगों को दे रहे हैं रोजगार



रत्ना आर्य 50 लाख रुपए टर्नओवर का व्यापार खड़ा कर दिया जो 30 से 40 लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहा है बड़वाह की लोकेशन पर नर्सरी स्थापित की गई उसे समय के साथ छोटी नर्सरी ने बड़ी नर्सरी का रूप ले लिया और बिजनेस अच्छा खासा चलने लगा। रत्ना आर्य का प्लांटेशन का व्यापार प्रदेश के बाहर अन्य राज्यों में भी फैल चुका है पौधों के साथ कोकोपेट के उत्पादन क्षमता 100 टन तक पहुंच चुकी है। उनका कारोबार तेजी से फैला और आज शहर ग्राहक उनके पौधों की सजावट के कायल हो चुके हैं। इस बिजनेस के लिए ज्यादा पूंजी नहीं चाहिए थी न ही किसी तरह की आधुनिक मशीन की जरूरत थी जरूरत थी तो केवल साहस और आप विश्वास की जो उन्हें अपनी छोटी बच्ची धुर्वी आर्य से मिला। बड़वाह के पास की लोकेशन पर नर्सरी प्लांटेशन स्थापित किया गया।


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