इंदौर प्रशासन ने ग्रेटर रिंग रोड के सर्वे नंबर गजट नोटिफाइड होने पर भी 34 गांवों में रजिस्ट्री पर लगी रोक नहीं हटाई

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Pooja Kumari
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इंदौर प्रशासन ने ग्रेटर रिंग रोड के सर्वे नंबर गजट नोटिफाइड होने पर भी 34 गांवों में रजिस्ट्री पर लगी रोक नहीं हटाई

संजय गुप्ता, INDORE. ग्रेटर इंदौर रिंग रोड के दायरे में आ रहे इंदौर के हातोद, सांवेर और देपालपुर तहसील के 34 गांवों में तीन माह से रजिस्ट्री व अन्य राजस्व काम ठप हैं। जिला प्रशासन के आदेश से पंजीयन विभाग ने रजिस्ट्री रोक दी तो वहीं संबंधित राजस्व अधिकारियों ने बाकी काम भी ठप कर दिए। गजट नोटिफिकेशन होने तक तो ये उचित था, लेकिन इन गांवों में असल में कौन सी जमीन इस प्रोजेक्ट में आ रही है, इसका 29 दिसंबर 2023 को गजट नोटिफिकेशन हो चुका है और जमीन क्लीयर हो चुकी है। इसके बाद भी सभी काम ठप हुए हैं, रजिस्ट्री से अभी तक रोक नहीं हटी है। इससे खुद मप्र शासन को ही रजिस्ट्री से होने वाली करोड़ों की आय का नुकसान हो रहा है।

इन तहसीलों के 34 गांव हो रहे प्रभावित

  • हातोद तहसील के - अरनिया, उषापुरा, पलादी, मिर्जापुर, बड़ोदिया पंथ, सिकंदरी, अकसोदा, कराडिया, पलासिया, नहरखेड़ा, जिंदाखेड़ा, बसांद्रा, जम्बूदी सरवर, अजनोटी, मांगलिया अरनिया
  • सांवेर तहसील - धतुरिया, बलोदा टाकुन, रतनखेड़ी, सोलसिंद्रा, कट्‌टक्या, कढवा, ब्राह्मण पिपल्या, मुंडला हुसैन, जैतपुरा, पीरकराडिया, बरलाई जागीर, सुकल्या काशीपुरा
  • देपालपुर तहसील - बडौदा पंथ, अम्बापुरा, किशनपुरा, लालेंदीपुरा, रोलाई, बेटमाखुर्द और मोहना।

सितंबर में लगाई गई थी रोक

सितंबर माह में परियोजना निदेशक परियोजा कार्यन्वयन इकाई के पत्र के आधार पर प्रशासन ने यह रोक लगाने का आदेश दिया था। इसमें था कि ग्रेटर इंदौर रिंग रोड़ (पश्चिमी रिंग रोड़) के निर्माण काम के अंतर्गत पड़ने वाले ग्रामों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई जाती है।

इधर जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों का विरोध, चार गुना मुआवजे की मांग

एनएचएआई के इस 34 किमी लंबे प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की कवायद शुरू हो गई है। इसे लेकर किसानों का विरोध है। संयुक्त किसान मोर्चे के रामस्वरूप मंत्री, बबलू यादव, शैलेंद्र पटेल, लाखन सिंह डाबी ने बताया कि सरकार ने जो मुआवजा राशि तय की है, वह बाजार भाव से एक चौथाई भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार बाजार भाव से चार गुना मुआवजा दिया जाना चाहिए, लेकिन शासन किसानों को गाइडलाइन के हिसाब से मुआवजा देने का मन बनाए हुए हैं। बायपास के लिए शासन द्वारा जरूरत से ज्यादा भूमि अधिग्रहित करने के नोटिस जारी किए गए हैं। यह निर्णय किसान विरोधी है। किसान नेताओं की मांग है कि जितनी जरूरी जमीन है, केवल वही अधिग्रहित की जाए। साथ ही जिन किसानों की भूमि ली जा रही है, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार बाजार भाव से चार गुना मुआवजा दिया जाए।

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