संजय गुप्ता, INDORE. मप्र के नए सीएम के तौर पर डॉ. मोहन यादव का नाम तय होने के साथ ही स्पीकर पर नरेंद्र तोमर और डिप्टी सीएम के दो पदों पर जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला का नाम घोषित हो गया। नाम तय होने के बाद से ही पूरे इंदौर में अब एक ही राजनीतिक सवाल सभी के जेहन में हैं कि- कैलाश विजयवर्गीय का क्या होगा? सीएम, डिप्टी सीएम, स्पीकर यह पद चले गए हैं, ले-देकर अब प्रदेशाध्यक्ष का पद बचा है (यदि पार्टी बदलाव करती है तो) या फिर मंत्रीमंडल में जगह, जिसे वह आठ साल पहले छोड़ चुके थे।
खट्टर बोले सीएम नहीं बना रहे, बड़ पद देंगे
विधायक दल की बैठक में सोमवार को भोपाल में हुए घटनाक्रम में आब्जर्वर मोहन खट्टर ने बैठक से पहले ही कैलाश विजयवर्गीय को बुलाकर साफ कर दिया कि हाईकमान उन्हें सीएम नहीं बना रहा है, बड़ा पद दिया जाएगा। अब विजयवर्गीय के कद के हिसाब से बात करो तो केवल प्रदेशाध्यक्ष का ही पद है, जिस पर उनका नाम चल रहा है। अभी इस पद पर वीडी शर्मा है। माना जा रहा है कि इस पद पर सामान्य वर्ग से ही किसी को लाया जाएगा, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पहले शर्मा केंद्र में जाएं, इसके बाद ही पद खाली होगा। इसलिए अभी इस पद के लिए तो अभी देखो और इंतजार वाला ही मामला है।
फिर विजयवर्गीय के लिए पार्टी के पास क्या विकल्प?
विजयवर्गीय के लिए पार्टी क्या सोच रही है? यह कोई नहीं जानता, लेकिन यदि संभावनाएं देखें तो पहली निकट की संभावना तो यही है कि वह मंत्रीमंडल में शामिल हो। वैसे यह पद उनके कद के हिसाब से तो उपयुक्त बिल्कुल नहीं कहा जाएगा, और यह होगा भी उनके नहीं हाईकमान के चाहने से ही। संभव है कि यादव को काम करने में कोई परेशानी नहीं हो, इसलिए दिग्गजों को मंत्रीमंडल से ही बाहर रखा जाए। वैसे विजयवर्गीय से यादव के संबंध मधुर है और वह बड़े भाई की तरह ही देखते हैं, लेकिन हाईकमान किस तरह का मंत्रीमंडल चाहता है, इस पर ही यह तय होगा। विजयवर्गीय नहीं तो फिर रमेश मेंदोला को समायोजित किया जा सकता है। विजयवर्गीय साल 2003 से जुलाई 2015 तक उमा भारती, बाबूलाल गौर और फिर शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री काल में कैबिनेट मंत्री पद पर रहे हैं, इसके बाद इस्तीफा दे दिया था।
केंद्र में जाने संबंधी विकल्प के भी कयास
इसके अलावा यह भी विकल्प के कयास है कि चार-पांच माह में ही लोकसभा चुनाव है तो फिर विजयवर्गीय को लोकसभा का टिकट दिया जाए और सांसद बनाकर केंद्र में लेकर आया जाए। ऐसे में शंकर लालवानी का पत्ता कट जाएगा। ऐसे में विधायक दल की बैठक के बाद अब विजयवर्गीय के लिए हाईकमान के पास कम ही विकल्प बचे हैं।
पार्टी मुझे बड़ी जिम्मेदारी देगी, खाली विधायक बनने नहीं आया हूं
विजयवर्गीय पार्टी के लिए लगातार खुद को झोंकते आ रहे हैं, चाहे हरियाणा प्रभार हो पश्चिम बंगाल हो या फिर कोई चुनाव हो। चाहे महापौर चुनाव हो या फिर इस बार के मप्र के विधानसभा चुनाव। इसके बाद भी बड़े पद उनसे दूर ही भागते रहे हैं। जब उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया तो तब उन्होंने कहा था कि नड्डा जी से बात हुई, वह बोले बनाना तो कुछ और चाहता था। यानि बीजेपी के के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उन्हें बड़े पद पर देखना चाहते हैं लेकिन हाथ बंधे हुए हैं। चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि मैं खाली विधायक बनने नहीं आया हूं, पार्टी बड़ी जिम्मेदारी देगी। एक और बयान याद आता है भोपाल से ही बोल दूंगा तो काम हो जाएगा, यानि चुनाव बाद भोपाल में रहेंगे। इस घटनाक्रम से विजयवर्गीय के समर्थक, कार्यकर्ताओं में भारी निराशा है और इंदौर एक में डॉ. मोहन यादव के नाम को लेकर बड़े जश्न जैसी कोई बात नहीं हुई।