संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के भूमाफियाओं चंपू अजमेरा, नीलेश अजमेरा, हैप्पी धवन, चिराग शाह सहित अन्य के खिलाफ हाईकोर्ट में बुधवार (23 अगस्त) को सुनवाई हुई। इसमें हाईकोर्ट के रिटायर जज ईश्वर सिंह श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई। हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट को देखा और इसके बाद इसमें अगली तारीख 26 सितंबर तय की, इस रिपोर्ट के आधार पर अब सभी पक्षों को अपनी बात रखना है। हालांकि शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि अधिक लंबा समय अब नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन भूमाफियाओं की ओर से चार सप्ताह का समय मांगा गया, जिसे मंजूर कर लिया गया।
नीलेश अजमेरा कभी कमेटी के सामने आया ही नहीं
सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ताओं ने कहा कि कई लोगों ने हाईकोर्ट की रियायत और निर्देश के बाद भी कमेटी में पेश होना ही उचित नहीं समझा। नीलेश अजमेरा जो पहले से ही भगोड़ा है वह कमेटी में एक बार भी नहीं आया, ऐसी ही कुछ और लोग नहीं आए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आदेश देंगे। वहीं अधिक समय दिए जाने पर शासकीय अधिवक्ता की आपत्ति पर हाईकोर्ट ने कहा आप क्या चाहते हैं जेल भेज दे पहले से ही सभी को? पहले रिपोर्ट देख लेते हैं और सभी के जवाब लेंगे।
कमेटी की रिपोर्ट ही होने वाली है जमानत रद्द करने या बहाल रहने का आधार
हाईकोर्ट की इस सुनवाई से तय है कि कमेटी की रिपोर्ट काफी अहम होने जा रही है। इसी रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि भूमाफियाओं ने कमेटी को कितना सहयोग किया और पीड़ितों का निराकरण किया। हाईकोर्ट कमेटी द्वारा भूमाफियाओं के लिए लिखे गए एक-एक शब्द और खासकर सहयोग हुआ या नहीं यह काफी अहम होगा। इस रिपोर्ट को पढ़ने औऱ् जवाब देने के लिए भूमाफियाओं को भी अब एक महीने का समय मिल गया है। वैसे भी वह नवंर 2021 से ही जमानत पर है।
क्या है रिपोर्ट में?
सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कमेटी ने हर कॉलोनी के हिसाब से बताया है कि इतने केस इस कॉलोनी में आए और इतने निराकरण हुए। जो निराकरण नहीं हुए, उसमें क्या समस्या आई। फोनिक्स में लिक्विडेटर की स्थिति के चलते निराकरण नहीं हुए हैं औऱ् लिक्विडेटर कह चुके हैं कि चंपू अजमेरा इसमें सहयोग नहीं कर रहा है। इसी तरह यहां 13 प्लाट को लेकर प्रदीप अग्रवाल को चल रहे विवाद में भी कमेटी लिखित में दे चुकी है कि इसका निराकरण कमेटी स्तर पर नहीं हो सकता है। इसी तरह मैडीकैप्स के रमेश मित्तल और चंपू अजमेरा के विवाद में भी जिसमें 30 से ज्यादा प्लाट है, कमेटी लिख चुकी है कि यह भी कमेटी स्तर पर निराकृत नहीं हो सकता है। यहां कैलाश गर्ग और चंपू का भी विवाद चल रहा है, जिसमें गर्ग कमेटी के सामने ही चंपू को मारने के लिए दौड़ गए थे। कमेटी ने मूल रूप से हर कॉलोनी की स्थिति और भूमाफियाओं द्वारा किए गए काम का फैक्ट लिखा है। बाकी जिनका निराकरण नहीं हुआ वह रिपोर्ट में बता दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सब कर चुका हाईकोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2021 में भूमाफियाओं को इस शर्त पर जमानत दी थी कि यह पीड़ितों का निराकरण करेंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पहली रिपोर्ट पेश होने के बाद इस मामले को हाईकोर्ट इंदौर को इन निर्देश के साथ भेज दिया था कि हाईकोर्ट स्पीडी सुनवाई करेगा, जरूरत होने पर हर केस को सुनेगा, रिटायर जज की कमेटी भी बना सकता है और भूमाफियाओं की जमानत भी रद्द कर सकता है। हाईकोर्ट फरवरी 2023 से लगातार सुनवाई कर रहा है, फिर मई में कमेटी बना दी, इसने लगातार सुनवाई की और रिपोर्ट बनाई और अब हाईकोर्ट को तय करना है कि वाकाई क्या भूमाफियाओं ने सहयोग किया है और नही किया तो जमानत रद्द हो। इसके पहले शासन-प्रशासन की ओर से लगातार इन सुनवाई में तर्क रखा जा चुका है कि यह सहयोग नहीं कर रहे हैं और जमानत रद्द होना चाहिए।
कमेटी के सामने यह तो कभी आए ही नहीं
कमेटी के सामने जमानत का पूरा लाभ लेने और पुलिस कार्रवाई तक से रोक लगाने का आदेश पाने पर भी भूमाफिया नीलेश अजमेरा कभी कमेटी के सामने पेश ही नहीं हुआ, हालांकि सूत्रों के अनुसार वह इंदौर आता-जाता रहा। इसके अलावा सुनीता अजमेरा, योगिता अजमेरा, पवन अजमेरा यह भी पेश नहीं हुए। केवल चंपू अजमेरा, चिराग शाह, हैप्पी धवन, निकुल कपासी, महावीर जैन, रजत वोहरा ही आए। ऐसे में हाईकोर्ट को यह भी देखना है कि इस राहत के बाद भी भूमाफियाओं का रवैया कितना सहयोगात्मक रहा और क्या जमानत रद्द करना चाहिए। वहीं जिन पीड़ितों का कोई निराकरण नहीं हुआ चाहे वह डायरी वाले हो या प्लाट के बदले प्लाट चाहने वाले पीड़ित या पूरी राशि नहीं मिलने वाले पीडित वह भी हाईकोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे। ऐसे में खुद इंटरविनर बनकर इसमें प्रवेश करेंगे और जमानत का विरोध करेंगे और न्याय मांगेगे।