हाईकोर्ट इंदौर की बावड़ी हादसे में निगम-पुलिस को फटकार, 11 जुलाई से जांच रखकर बैठे हैं, पुलिस ने अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं की ?

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Rahul Garhwal
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हाईकोर्ट इंदौर की बावड़ी हादसे में निगम-पुलिस को फटकार, 11 जुलाई से जांच रखकर बैठे हैं, पुलिस ने अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं की ?

संजय गुप्ता, INDORE. श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर में 30 मार्च 2023 को रामनवमीं के दिन हुए बावड़ी हादसे में 36 मौतों को लेकर हाईकोर्ट डबल बेंच ने बुधवार को सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ताओं को जमकर फटकार लगाई। बेंच ने कहा कि जब मजिस्ट्रियल जांच 11 जुलाई को सबमिट हो चुकी है तो अभी तक क्या कार्रवाई की गई ? नगर निगम की कार्रवाई पर खासी आपत्ति ली गई और साथ ही पुलिस से सख्ती से पूछा कि अभी तक गिरफ्तारी कर जिम्मेदारों से पूछताछ क्यों नहीं हुई ? बावड़ी बंद करने पर भी नाराजगी जाहिर की गई और कहा गया कि यदि सड़क पर एक्सीडेंट होगा तो क्या सड़क बंद कर दोगे ? फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। याचिकाकर्ता महेश गर्ग की याचिका पर अधिवक्ता मनीष यादव, अदिति यादव ने तर्क पेश किए।

इस तरह हुई हाईकोर्ट में सुनवाई, कैसे नाराज हुई बेंच

याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनीष यादव- यह जांच रिपोर्ट 11 जुलाई की है। यह खुद सरकार ने कराई थी। हाईकोर्ट बुलवाता नहीं तो यह रिपोर्ट भी सामने नहीं आती। मुआवजा राशि यदि दोषियों से नहीं दिलवाएंगे तो मतलब नहीं होगा। बीते माह हाईकोर्ट ने बुलाई तो यह रिपोर्ट सामने आई है।

हाईकोर्ट बेंच- इसमें एक्शन कब होगा ?

शासकीय अधिवक्ता- निगम ने पत्राचार कर जानकारी बुलाई है।

हाईकोर्ट बेंच- आप तो रिपोर्ट 11 जुलाई से रखे हुए हैं, एफआईआर में कोई कार्रवाई नहीं हुई।

शासकीय अधिवक्ता- एफआईआर में पुलिस जांच चल रही है।

हाईकोर्ट बेंच- क्या जांच चल रही है ? मजिस्ट्रियल जांच हो गई और पुलिस की चल ही रही है।

शासकीय अधिवक्ता- जांच में जो दोषी पाए गए हैं, वह तत्कालीन अधिकारी नामजद नहीं है, तो यह पता करना है कि बावड़ी ढंकी कब गई है। वह स्टेटमेंट में नहीं आया है। पुलिस अपने स्तर पर पत्राचार कर रही है, कौन से साल में बावड़ी ढंकी गई है ?

हाईकोर्ट बेंच- यह कैसे पता चलेगा जब तक उन्हें आरोपी बनाकर पूछताछ नहीं करेंगे, आप तो आरोपी भी नहीं बना रहे हैं ?

याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनीष यादव- अभी तक रिकॉर्ड भी नहीं बुलाया है।

हाईकोर्ट बेंच- किसी को गिरफ्तार कर पूछताछ नहीं करेंगे तो फिर पता कैसे चलेगा आपको।

शासकीय अधिवक्ता- पुलिस जांच कर रही है।

हाईकोर्ट बेंच- आपकी खुद की जांच क्या कर रही है ? मजिस्ट्रियल जांच पर निर्भर रहेंगे क्या आप ? ऐसे तो 10 साल आपकी जांच चलती रहेगी। आपने ट्रस्ट से पूछा बुलाकर कब बनी यह। घटना तो पूरी दुनिया को पता है आप क्या कर रहे हैं। किसी एक्सपर्ट को बुलाया क्या ?

शासकीय अधिवक्ता- सर, इसमें विशेषज्ञ से भी जांच हुई है। पत्र लिख रहे हैं।

हाईकोर्ट बेंच- क्या पत्र लिखकर पुलिस कार्रवाई करती है। इतने दिन तक एविडेंस वहां रहते हैं, वह भी खत्म हो जाएगा।

शासकीय अधिवक्ता- सर वह अगले दिन बावड़ी भर दी गई।

हाईकोर्ट बेंच- तो आपने वह भी भर दी। एविडेंस ही खत्म कर दिए जिससे पता चले कि कब का स्लैब था ? सड़क पर घटना हो तो सड़क बंद कर देना चाहिए या सावधानी बरतनी चाहिए ?

याचिकाकर्ता अधिवक्ता अदिति यादव- पूरे शहर की बावड़ियां बंद कर दी गई, जो प्राचीन प्राकृतिक जलस्त्रोत थे।

हाईकोर्ट बेंच- बावड़ी बंद करना क्या रास्ता है। पूरे शहर की क्यों बंद कर दी ?

शासकीय अधिवक्ता- सर प्रेशर ज्यादा था, इसलिए किया।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनीष यादव- सभी प्राकृतिक जल स्त्रोत थे, लेकिन इन्हें बंद कर दिया गया कब्जे भी हो गए। इन्हें पूरी तरह पैक कर दिया गया।

द सूत्र लगातार मुद्दा उठा रहा, अधिकारी की बहाली तक हो गई

द सूत्र बावड़ी हादसे के बाद से ही लगातार मुद्दा उठा रहा है। साथ ही मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट आने के बाद भी खुलासा किया कि जिसे दोषी मानकर सस्पेंड किया गया, इसमें से एक अधिकारी की तो निगमायुक्त ने बहाली भी कर दी। पुलिस भी पूरे मामले में चुप्पी साधकर बैठी है और एक बार भी आरोपी बनाए गए मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरल सबानानी से पूछताछ नहीं की गई है। दोनों पर 31 मार्च को 304 और 34 की धारा में केस दर्ज हुआ था। वहीं निगमायुक्त हर्षिका सिंह कह रही हैं कि अधिकारियों की भूमिका साफ होने पर और उन्हें सुनवाई का एक अवसर देने पर कार्रवाई करेंगे। वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी कार्रवाई करने की जगह नियमानुसार कार्रवाई की बात कह रहे हैं।


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