इंदौर हाई कोर्ट ने दिग्विजय की गोलवरकर पर टिप्पणी के मामले में फैसला सुरक्षित रखा, सरकार से मांगा जवाब

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Chandresh Sharma
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इंदौर हाई कोर्ट ने दिग्विजय की गोलवरकर पर टिप्पणी के मामले में फैसला सुरक्षित रखा, सरकार से मांगा जवाब

Indore. आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव राव गोलवरकर के खिलाफ सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस मामले में उन पर अनेक एफआईआर हुईं। दिग्विजय ने इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाकर मांग की थी कि इंदौर को छोड़कर अन्य जिलों में हुई एफआईआर निरस्त की जाएं। उनकी दलील थी कि एक कृत्य के लिए एक से ज्यादा एफआईआर दर्ज नहीं हो सकतीं। शिकायतकर्ता एक ही संगठन से जुड़े लोग हैं। धाराएं भी समान हैं। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक रूसिया की अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए सरकार से दो हफ्ते में जवाब पेश करने कहा है। 



याचिका में यह भी कहा गया है कि इंदौर के तुकोगंज थाने में सबसे पहले एफआईआर हुई थी। हम उसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं बल्कि हमने उस मामले में न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा है। दिग्विजय सिंह की ओर से रवींद्र सिंह छाबड़ा ने यह याचिका लगाई है जिसकी पैरवी एडवोकेट विभोर खंडेलवाल ने की। 



यह था मामला



जुलाई माह की शुरुआत में दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर गुरु गोलवरकर को लेकर एक पोस्ट किया था। जिसके बाद 8 जुलाई को एडवोकेट राजेश जोशी ने इंदौर के तुकोगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि सोशल मीडिया पर संघ की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से दिग्विजय सिंह ने गुरु गोलवरकर की फोटो के साथ मिथ्या और अनर्गल पोस्ट डाली थी। इसके बाद इस मामले में देवास, उज्जैन, गुना और राजगढ़ में भी मामले दर्ज किए गए। दिग्विजय सिंह पर आईपीसी की 505, 469 धारा और अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण अधिनियम की धाराओं में एफआईआर की गई है। 



कड़ी सजा का है प्रावधान



काननूविदों की मानें तो धारा 469 और 505 के तहत दोषी पाए जाने पर 3 से 6 साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की धाराओं में भी लंबी सजा का प्रावधान है। ऐसे में दिग्गी राजा की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। 


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