इंदौर ने बनाया ग्रीन कॉरिडोर का अर्धशतक, दुर्घटना में ब्रेन डेड युवक के परिवार ने लिया फैसला, लोकल मरीजों को होंगे ट्रांसप्लांट

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Chandresh Sharma
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इंदौर ने बनाया ग्रीन कॉरिडोर का अर्धशतक, दुर्घटना में ब्रेन डेड युवक के परिवार ने लिया फैसला, लोकल मरीजों को होंगे ट्रांसप्लांट

Indore. इंदौर शहर केवल स्वच्छता के लिए ही देश में पहले नंबर पर नहीं है। अंगदान के क्षेत्र में भी इंदौर ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। इंदौर जिला प्रशासन की मदद से सड़क हादसे में ब्रेन डेड हुए एक युवक की किडनियां, आंखें और त्वचा परिजनों ने डोनेट कर दीं। परिवार का यह फैसला लेने की देरी थी और जिला प्रशासन ने तत्काल ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अंगों को अस्पताल में भर्ती जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाया गया। खास बात यह है कि इस बार बने ग्रीन कॉरिडोर में अंगदान किए गए अंग इंदौर में ही भर्ती मरीजों को ट्रांसप्लांट किए जाएंगे। इंदौर मेें बना यह 50वां ग्रीन कॉरिडोर था, इस लिहाज से ग्रीन कॉरिडोर के मामले में इंदौर ने अपना अर्धशतक पूरा कर लिया है। 



परिवार ने समय रहते लिया अहम निर्णय




दरअसल बीते दिनों नंदबाग निवासी अक्षय कश्यप सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसके सिर पर गहरी चोट थी जिसके चलते उसे एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां से सीएचएल रेफर किए गए अक्षय को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। कुछ घंटों बाद अन्य डॉक्टरों की टीम ने भी ब्रेन डेथ की पुष्टि कर दी थी। जानकारी मिलने के बाद समाजसेवियों ने परिवार की काउंसलिंग की जिसके बाद परिवार अंगदान के लिए राजी हो गया। 




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  • परिवार के अंगदान करने के निर्णय लेने के बाद अक्षय की एक किडनी सीएचएल अस्पताल में ही एडमिट एक मरीज को ट्रांसप्लांट कर दी गई। जबकि दूसरी किडनी, आंखों और त्वचा के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। जो सीएचएल अस्पताल से बॉम्बे हास्पिटल के बीच बनाया गया। 




    अच्छी बातों को जल्दी ग्रहण करते हैं इंदौरी




    इंदौर में साल 2015 में पहली बार अंगदान के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। उस दौरान खेड़े परिवार ने साहस दिखाते हुए लीवर और किडनी दान की थी। तत्कालीन कमिश्नर संजय दुबे, इंदौर ऑर्गन डोनेशन सोसायटी और एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद महज 8 सालों में ही इंदौर ने 50वां ग्रीन कॉरिडोर बनाया है। जो इस बात को साबित करता है कि इंदौर के लोग अच्छी बातों को बहुत जल्दी ग्रहण कर लेते हैं। भारत के स्वच्छ भारत मिशन में भी इंदौर ने अपने इस गुण को सिद्ध किया है। 

     


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