संजय गुप्ता, INDORE. ग्वालियर में कुलपति के इलाज के लिए जज की कार छीनने पर दो छात्रों पर दर्ज हुए डकैती के केस के विरोध में सूत्र की मुहिम को व्यापक जनसमर्थन मिला है। अभियान के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित अधिकांश नेता सामने आ चुके हैं। इधर मामले में सोमवार को दोनों छात्र हिमांशु और सुकृत की जमानत हो गई है। अब इस मामले में इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच में जनहित याचिका दायर कर दी है।
याचिका में उठाया गया यह मुद्दा
याचिका में मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव को प्रतिवादी बनाया है और निवेदन किया गया है कि मध्य प्रदेश शासन तत्काल निर्देश जारी करे कि किसी भी प्रकार की मेडिकल इमरजेंसी में शासकीय वाहन का उपयोग करने की छूट प्रदान की जाए। दूसरी सहायता यह चाही गई है कि किसी भी प्रकार की मेडिकल इमरजेंसी में यदि कोई शासकीय कर्मचारी उसके आधिपत्य का शासकीय वाहन मेडिकल इमरजेंसी उपयोग हेतु प्रदान करता है तो उक्त शासकीय कर्मचारी अथवा ड्राइवर के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाए।
साथ ही एसपी ग्वालियर और थाना पड़ाव के थाना प्रभारी को प्रतिवादी बनाकर यह सहायता चाही गई है कि दोनों छात्र हिमांशु श्रोत्रीय व सुकृत शर्मा के विरुद्ध दर्ज की गई एफआइआर को निरस्त किया जाए क्योंकि उक्त दोनों छात्रों का कृत्य भारतीय दंड विधान की धारा 81 की श्रेणी में आने से अपराध की परिभाषा में नहीं आता है।
IPC (भारतीय दंड संहिता ) की धारा 81 के अनुसार
कार्य, जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किंतु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिए किया गया है, “कोई बात केवल इस कारण अपराध नहीं है कि वह यह जानते हुए की गई है कि उससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, यदि वह अपहानि कारित करने के किसी आपराधिक आशय के बिना और व्यक्ति या संपत्ति को अन्य अपहानि का निवारण या परिवर्जन करने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक की गई हो।”
यह है मामला
बता दे कि बता दें कि ABVP से जुड़े दो छात्र हिमांशु और सुकृत ने ग्वालियर में रेलवे स्टेशन पर बीमार कुलपति रणजीत सिंह यादव को लेकर पहले जीआरपी थाने और रेलवे अधिकारियों के पास पहुंचे थे। लेकिन उपचार में देरी होता देख वे स्टेशन से बाहर आए और वहां खड़ी एक जज की कार में उन्हें जबरन लेकर हॉस्पिटल पहुंचे और लेकिन उपचार के दौरान कुलपति की मौत हो गई। मामले में जज की शिकायत पर पड़ाव थाना पुलिस ने छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और डकैती की धाराएं लगा दी। इसके बाद पुलिस को कार जयारोग्य चिकित्सालय में खड़ी मिली। मामले में पुलिस ने छात्रों को गिरफ्तार किया था। मामले को लेकर द सूत्र ने मानवीय संवेदना के आधार पर अभियान चलाया और उसे जनता का समर्थन भी मिला। अब जज की कार छीनने के मामले में फंसे छात्रों को ग्वालियर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है।