इंदौर महापौर अब हुए आक्रामक, सीएम, प्रदेशाध्यक्ष और विजयवर्गीय के साथ ने बनाया मजबूत, बंबई बाजार कार्रवाई इसी का नतीजा

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Pratibha Rana
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इंदौर महापौर अब हुए आक्रामक, सीएम, प्रदेशाध्यक्ष और विजयवर्गीय के साथ ने बनाया मजबूत, बंबई बाजार कार्रवाई इसी का नतीजा

संजय गुप्ता, INDORE. महापौर का पद संभालने के बाद पुष्यमित्र भार्गव के हाथ 17 महीने से बंधे हुए थे, जो अब खुल गए हैं। नए सीएम डॉ. मोहन यादव का पूरा साथ भार्गव को मिल रहा है। वहीं पहले से ही प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा उन्हें छोटे भाई के रूप में ही तवज्जो देते रहे हैं और अब बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के भी प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने से राजनीतिक रूप से वह मजबूत हो चुके हैं। इस त्रिमूर्ति के साथ के चलते महापौर अब निगम को अपने तरीके से चलाने की ओर बढ़ चुके हैं। बंबई बाजार में 30 साल बाद इतनी बड़ी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई इसी का उदाहरण है। अब निगमायुक्त पद से जल्द हर्षिका सिंह की विदाई हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

शिवराज सिंह का नहीं मिला था साथ, ब्यूरोक्रेसी से बंधे थे हाथ

तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान, भार्गव की जगह डॉ. निशांत खरे को महापौर का टिकट दिलवाना चाहते थे, लेकिन संघ और संगठन ने उन्हें टिकट दिया। बाद में कैलाश विजयवर्गीय ने खुलकर भार्गव का साथ दिया और उनके लिए रोड शो किए। शपथ ग्रहण में भी शिवराज सिंह चौहान नहीं पहुंचे। हालांकि इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का पूरा साथ मिला। लेकिन ब्यूरोक्रैसी ने भार्गव के शपथ लेने के बाद उनकी ओर से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया। ब्यूरोक्रैसी ने महापौर की बातों को अनसुना किया, इसके चलते वह चाहकर भी अपने मुताबिक निगम को नहीं चला सके।

पूर्व निगमायुक्त पाल के साथ अभी सिंह के साथ भी नहीं बैठी पटरी

पूर्व निगमायुक्त प्रतिभा पाल के साथ महापौर की पटरी नहीं बैठी। कई बार बैठकों में एमआईसी सदस्यों के साथ महापौर ने ब्यूरोक्रैसी को लेकर कहा कि यह लालफीताशाही नहीं चलेगी। महापौर ने एक बार तो सफाई को लेकर यहां तक कहा कि लगता है आप लोग डंडे की ही भाषा समझते हो प्रेम की नहीं। निगम में कई कार्रवाई, ट्रांसफर उन्हें बिना बताए ही होते रहे। पाल की जगह अप्रैल 2023 में जब हर्षिका सिंह आई, तब भी यही हाल रहा और स्थिति उससे और बुरी हुई। महापौर ने उस समय भी निगमायुक्त के तौर पर दो आईएएस अधिकारियों के नाम सुझाए थे, लेकिन भोपाल ने सुझाव को खारिज कर अपने हिसाब से निगमायुक्त बना दिया। इसके बाद और खींचतान जारी रही।

सीएम यादव के साथ क्यों बैठ रही पटरी

सीएम यादव एबीवीपी से रहे हैं, और संघ से जुड़े हुए हैं, उनके भार्गव के साथ पहले से अच्छे संबंध रहे हैं। इसी तरह तरह जब भार्गव एबीवीपी में थे तब वीडी शर्मा भी एबीवीपी में थे, दोनों के बीच बड़े और छोटे भाई वाला संबंध है। वहीं विजयवर्गीय तो शुरू से ही भार्गव के साथ है। इस नए गठबंधन में भार्गव राजनीतिक रूप से अब मजबूत हो चुके हैं।

यादव के पद संभालने के बाद एकदम तेजी में भार्गव

भार्गव ने यादव के पद संभालने के बाद निगम के कामों में तेजी का रूख कर लिया है। हुकमचंद मिल का ड्रीम प्रोजेक्ट उनका पूरा हो चुका है। सोलर पैनल जलूद के काम में जुटे हुए हैं। राजबाड़ा से लेकर बंबई बाजार में अतिक्रमण मुक्त करने का काम शुरू कर दिया है। खासकर बंबई बाजार में जिस तरह नगर निगम का दस्ता 30 साल बाद पुलिस बल के साथ घुसा है, उसकी पूरे शहर और प्रदेश में चर्चा है। यहां कभी भी इतनी बड़ी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की गई है। इससे साफ है कि महापौर ने भी ब्यूरोक्रैसी को संदेश दे दिया है कि निगम उनके हिसाब से चलेगा, ना कि अधिकारियों के मुताबिक।

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