इंदौर विधानसभा 4 में भी उठे प्रत्याशी बदलने के सुर तो गौड़ ने कार्यकर्ता सम्मेलन में दिखा दी ताकत, कांग्रेस के राजा का भी विरोध

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Pratibha Rana
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इंदौर विधानसभा 4 में भी उठे प्रत्याशी बदलने के सुर तो गौड़ ने कार्यकर्ता सम्मेलन में दिखा दी ताकत, कांग्रेस के राजा का भी विरोध

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर विधानसभा एक, पांच, राऊ और महू के बाद अब इंदौर में अयोध्या के नाम से पहचान रखने वाली विधानसभा चार से भी विरोध के सुर उठने लगे हैं। साल 1993 से गौड़ परिवार के नाम रही इस विधानसभा में अब प्रत्याशी बदलने की मांग उठने लगी है। कुछ बीजेपी कार्यकर्ता, मंडल अध्यक्ष इसे लेकर भोपाल जाकर अपनी बात रख आए हैं। हालांकि विरोध के लिए जिनके नाम खबरों में चल रहे हैं, उन सभी ने पल्ला झाड़ लिया है, उन्होंने यह तो माना कि वह भोपाल गए थे लेकिन किसी ने पारिवारिक कारण बताया तो किसी ने पार्टी की तैयारियों को लेकर जाने की बात कही। उधर कांग्रेस नेता राजा मंधवानी ने खुलकर प्रचार शुरू कर दिया है और वह कांग्रेस के प्रत्याशी की तरह ही विधानसभा चार में खुद को पेश कर रहे हैं। इससे सिंधी समाज के अन्य कांग्रेस नेता खासे नाराज है। 



गौड़ के विरोध करने वालों में इनके नाम चले



गौड़ की जगह नए प्रत्याशी की मांग करने वालों में सोशल मीडिया पर प्रकाश राठौर, जवाहर मंगवानी, भरत पारिख, ज्योति तोमर, वैभव शुक्ला सहित अन्य के नाम शामिल थे । हालांकि यह खुद कोई मजबूत दावेदार नहीं है। लेकिन यह विरोध किसने करवाया? यह बड़ा सवाल है, जहां भरत पारिख महापौर पुष्यमित्र भार्गव के खास है। महापौर भार्गव हो या सांसद शंकर लालवानी सभी की चाहत यहां से टिकट की है, क्योंकि बीजेपी का गढ़ होने के चलते यह सीधे झोली में गिरने वाली सीट है। मंगवानी कहते हैं कि वह तो पारिवारिक कारण से भोपाल आया था, पारिख बोल रहे है कि जनआर्शीवाद यात्रा को लेकर भोपाल गया था, ज्योति तोमर ने कहा कि मैं तो रक्षाबंधन के कार्यक्रम के लिए गई थी। 



उधर गौड़ ने दिखाई ताकत



उधर 2008 से ही इस विधानसभा का चुनाव भारी मतों से जीत रही मालिनी गौड़ ने गुजरात से आए प्रवासी विधायक कौशिक जैन के साथ हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में अपनी ताकत दिखा दी। इसमें भारी भीड़ रही, बीजेपी के भोपाल विधायक रामेशवर शर्मा भी इसमें शामिल हुए और चुनाव को भारत को रामराज्य बनाने की लड़ाई करार देते हुए सभी को कमर कसकर मैदान में उतरने की नसीहत दी। साथ ही कहा कि यह सेमीफाइनल है, फाइनल लोकसभा चुनाव है लेकिन फाइनल के पहले सेमीफाइनल जीतना होता है। गौड़ ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। 



गौड़ चाहती है बेटे के लिए टिकट, संकट दिखा तो खुद उतरी मैदान में



गौड़ लगातार अपने पुत्र एकलव्य के लिए यह सीट मांग रही है। अस्वस्थ होने के चलते सारी बागडौर उन्होंने एकलव्य को दे दी थी, लेकिन एकलव्य के विरोधी खेमे ने एक के बाद एक शिकायतों में उन्हें उलझाकर रख दिया। इसके बाद पार्टी ने साफ कर दिया एकलव्य तो नहीं, आपको लड़ना हो तो सोचेंगे। इसके बाद मालिनी गौड़ ने मैदान संभाला और फिर मैदान में सक्रिय हुई, वह संघ, पार्टी के कार्यक्रमों में फिर से जाने लगी। संदेश दे दिया है कि मैं अपनी अयोध्या किसी को नहीं दूंगी। 



सिंधी समाज का फैंका जा रहा है पासा



यह विधानसभा सिंधी समाज बाहुल्य क्षेत्र हैं, इसके चलते सांसद शंकर लालवानी लंबे समय से इस क्षेत्र से टिकट की चाहत में हैं। उन्होंने इससे इंकार भी नहीं किया दू सत्र के सवाल के जवाब में कहा कि पार्टी जो फैसला करेगी वह करूंगा। लालवानी उम्मीद में है कि यदि यहां से कांग्रेस राजा मंधवानी को टिकट मिलता है तो यदि टिकट बदला तो सिंधी नेता के नाते उन्हें भी टिकट मिल सकता है। 



कांग्रेस से राजा जुटे तो दूसरे नेता नाराज



उधर कांग्रेस खेमे से टिकट भले ही घोषित नहीं हुआ है लेकिन राजा मंधवानी ने खुद को प्रचार और तैयारियों में झोंक दिया है। वह एक प्रत्याशी की तरह ही विधानसभा चार में सक्रिय हो गए गए हैं। कांग्रेस पहले भी यहां से सिंधी समाज से गोविंद मंधानी को टिकट दे चुकी है लेकिन वह हार चुके हैं। उधर कांग्रेस के पुराने सक्रिय गोपाल कोडवानी, ईश्वर झामनानी जैसे नेता उनकी सक्रियता से खुश नहीं है। यह भी यहां से टिकट मांग रहे हैं, ऐसे में राजा की सक्रियता इन्हें खटक रही है। इसके साथ ही अक्षय बम भी लगे हुए हैं, जो यहां आयोजन करा रहे हैं, लेकिन फिलहाल सक्रियता में वह राजा से पीछे ही है।




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राजा मंधवानी




राजा मंधवानी को नहीं मिलना चाहिए टिकट



कांग्रेस के गोपाल कोडवानी का साफ कहना है कि किसी भी कांग्रेसी को टिकट विधानसभा चार से दिया जाए लेकिन राजा मंधवानी को नहीं दिया जाए। जो सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें ही टिकट दिया जाना चाहिए। पार्टी यदि फिर भी राजा को टिकट देती है तो फिर मुझे पार्टी के लिए तो काम करना ही है लेकिन यदि नहीं दें तो यह पार्टी के लिए बेहतर होगा। यह तो अभी नए-नए कांग्रेस में आए हैं और भरपूर पैसा है तो वह चुनाव में खर्च कर रहे हैं। पार्टी से यही कहूंगा कि चाहे सिंधी हो या कोई और भी बस पार्टी का पुराना कार्यकर्ता हो।

 


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