संजय गुप्ता, INDORE. मध्य प्रदेश एम्प्लाई सिलेक्शन बोर्ड (ESB) की पटवारी भर्ती परीक्षा में घोटाले के आरोपों के बाद मप्र शासन ने हाईकोर्ट के रिटायर जज राजेंद्र कुमार वर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बना दी थी। समय वैसे तो रिपोर्ट देने का 31 अगस्त रखा गया लेकिन फिर इसका कार्यकाल बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दिया गया, लेकिन कमेटी की जांच पूरी नहीं हुई है। ना ही शासन ने इसका आगे कार्यकाल बढ़ाया है।
द सूत्र ने कमेटी में ही उच्च स्तर पर की बात
द सूत्र ने इस मामले में कमेटी में ही उच्च स्तर पर अपने सूत्रों से बात की, उन्होंने साफ कहा कि कमेटी की जांच पूरी नहीं हो सकी है। चुनाव के चलते जो भी जानकारी कमेटी को चाहिए थी वह अभी पूरी तरह से नहीं मिली है, जांच के लिए अभी भी कई बिंदुओं पर जानकारी जुटाना बाकी है। इसलिए अभी जांच पूरी नहीं हो सकी है और इसमें समय लगेगा। यानि कि साफ है कि नई सरकार बनने के बाद जांच कमेटी को और समय दिया जाना होगा।
बीजेपी आई तो समय बढ़ेगा, कांग्रेस आई तो नई जांच होगी
वहीं तीन दिसंबर को नई सरकार के गठन के बाद इस मुद्दे में स्थिति स्पष्ट होगी। कारण है कि बीजेपी आई तो इस कमेटी का कार्यकाल आगे बढ़ाया जाएगा और सरकार अपने हिसाब से फैसला लेगी। वहीं कांग्रेस आई तो वह पहले ही इस मामले में जांच करने की बात कह चुकी है। यानि नए सिरे से फिर जांच होगी।
दस लाख अभ्यर्थी अटके ही रहेगें, आठ हजार चयनित पटवारी भी
ईएसबी की अप्रैल 2023 में हुई इस परीक्षा में करीब दस लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे, फार्म करीब 13 लाख ने भरा। पटवारी, सब ग्रुप टू, फोर के हजारों पदों पर उम्मीदवार चयनित हुए। चयनित हुए आठ हजार पटवारी रिजल्ट आने के बाद से ही जुलाई से ही अपनी नियुक्ति की राह देख रहे हैं वहीं जिनका चयन नहीं हुआ, वह लाखों अभ्यर्थी इसमें घोटाले की मांग करते हुए जांच करने और फिर से परीक्षा कराने सहित अन्य मांग लगातर उठा रहे हैं।
31 अगस्त थी पहले जांच कमेटी की समयसीम
पटवारी रिजल्ट के बाद घोटाले के आरोपों पर 19 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र हाईकोर्ट से रिटायर जज राजेंद्र कुमार वर्मा को गड़बड़ियों की जांच का जिम्मा सौंपा था। साथ ही समयसीमा 31 अगस्त 2023 तय की थी।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को लात-घूंसों से पीटा था
पटवारी भर्ती परीक्षा के चयनित उम्मीदवारों ने सितंबर माह में भोपाल के नीलम पार्क में जल्द से जल्द पोस्टिंग की मांग को लेकर प्रदर्शन कर पैदल मार्च किया था। इसे पुलिस प्रशासन ने बिना अनुमति प्रदर्शन माना था। साथ ही पार्क से बाहर जहांगीराबाद में सड़क पर पैदल मार्च करने पर पुलिस ने लात-घूंसों से चयनित उम्मीदवारों की पिटाई की थी। इसके 50 से ज्यादा चयनित उम्मीदवारों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने का केस दर्ज किया था।
एक ही कॉलेज के सात टॉपर आने पर हुआ था विवाद
पटवारी भर्ती परीक्षा 2022 के रिजल्ट में टॉप 10 स्टूडेंट की जो सूची जारी हुई तो उसमें ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज के एक ही सेंटर के 7 छात्र इसमें शामिल थे। इसके बाद पूरा रिजल्ट कठघरे में आ गया। इसके बाद सीएम ने जांच के आदेश दिए।
पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली का आधार ऐसे बना
घोटालों के लिए इस कारण लगे आरोप- मेरिट लिस्ट 10 दिन बाद आई। इसमें- टॉप-10 में से 7 अभ्यर्थियों का सेंटर एक ही कॉलेज में, कॉलेज के मालिक विधायक हालांकि उनका टिकट इस बार चुनाव में काट दिया गया, दिव्यांग कोटे से चयनित ज्यादातर मुरैना जिले के जौरा से और सबके उपनाम में त्यागी है, वहीं यह बात भी उठी कि कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी थे, वन रक्षक भर्ती परीक्षा में फिट है जबकि पटवारी भर्ती परीक्षा में विकलांग हैं।
यह हुआ पटवारी भर्ती में अभी तक
22 नवंबर 2022 ESB की ओर से ग्रुप-2 सब ग्रुप-4 और पटवारी की संयुक्त भर्ती परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया। 5 जनवरी 2023 से 19 जनवरी 2023 तक फॉर्म भरा। लगभग 13 लाख ने फार्म भरे। परीक्षा 15 मार्च से 25 अप्रैल 2023 तक चली जो मप्र के 78 केंद्रों पर अलग-अलग शिफ्ट में हुई और इसमें 9,78, 266 अभ्यर्थियों ने भाग लिया। इसके बाद 30 जून को रिजल्ट जारी हुआ, जिसमें 8600 चयनित हुए। इसके बाद मेरिट लिस्ट आई जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया।