BHOPAL. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मोदी-शाह के ताजातरीन एक्शन को बीजेपी का VRS स्कीम कह कर ठहाके लगाए जा रहे हैं वैसे तो स्वैच्छिक सेवानिवृति को ही शॉर्ट में वीआरएस कहते हैं, लेकिन बीजेपी नेता फिलहाल इसे अलग अर्थ में समझ रहे हैं। बता दें कि बीजेपी के वीआरएस स्कीम में V का मतलब वसुंधरा राजे है, जबकि R रमन सिंह के लिए है - और S शिवराज सिंह चौहान के लिए बताया जा रहा है। ऐसे में सीएम पद की घोषणा नहीं हुई थी, तब तक हर कोई अपने अपने हिसाब से कयास लगा रहा था।
राजनाथ सिंह की अगुवाई के लिए राजे पहुंची थी एयरपोर्ट
बता दें कि दिल्ली से जब राजनाथ सिंह जयपुर पहुंचे तो एयरपोर्ट पर राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अगवानी के लिए पहुंची हुई थी। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। एयरपोर्ट से दोनों नेता राजनाथ सिंह के साथ ही गाड़ी में बैठकर होटल पहुंचे। जानकारी के मुताबिक होटल में राजनाथ सिंह ने वसुंधरा राजे के साथ करीब दो के साथ करीब घंटे भर बंद कमरे में बातचीत की और अपने तरीके से हर बात समझाई।
राजस्थान में मुख्यमंत्री चुनने के लिए अपनाई अलग रणनीति
राजस्थान में मुख्यमंत्री चुनने के लिए मोदी-शाह ने मप्र और छत्तीसगढ़ से अलग ही रणनीति अपनाई। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाए जाने की वजह भी यूं ही नहीं लगती बल्कि वसुंधरा राजे के बहाने बीजेपी के हर नेता को सबक सिखाने और संदेश देने के लिए ही विशेष रूप से राजनाथ सिंह को राजस्थान भेजा गया था। वसुंधरा राजे के तीखे तेवर और बीजेपी नेतृत्व से टकराव के किस्से कोई नये नहीं हैं। जब राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते थे, तब भी कई मौके ऐसे आए जब वसुंधरा राजे ने नेतृत्व की हिदायतें मानने से साफ इनकार कर दिया था। बीजेपी विधायक दल की बैठक में भी जिस तरह से राजनाथ सिंह और वसुंधरा राजे के लिए कुर्सी रखी गयी थी, उसमें भी एक संदेश था और उसके आगे भी संदेश दिया जाना था। विधायकों की बैठक में राजनाथ सिंह और वसुंधरा राजे को एक साथ बिठाया गया था। हर किसी की निगाह दोनों नेताओं पर टिकी थी, और तभी राजनाथ सिंह ने जेब से संदेश पत्र निकाल कर वसुंधरा राजे को थमा दिया. कहते हैं, संदेश पढ़ते वक्त वसुंधरा राजे के मन की पूरी बात चेहरे पर पढ़ी जा सकती थी. संदेश पढ़ कर उनको गहरा धक्का लगा होगा।
संदेश पत्र पढ़कर वसुंधरा के उड़ गए थे होश
बता दें कि विधायकों की बैठकों से पहले राजनाथ सिंह ने वसुंधरा राजे को सिर्फ इतना ही बताया था कि नेतृत्व मुख्यमंत्री पद के लिए कोई नया चेहरा चाहता है, लेकिन वो नया चेहरा कौन होगा, ये नहीं बताया था। संदेश पत्र में मुख्यमंत्री के साथ- साथ दो डिप्टी सीएम के नाम भी लिखे हुए थे। वसुंधरा राजे को भले ही पत्र की इबारत एक पल के लिए धुंधली नजर आई हो, लेकिन संदेश पूरी तरह साफ था भजनलाल शर्मा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए फाइनल हो चुका था। माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान को फिर से मुख्यमंत्री बना कर बीजेपी नेतृत्व नये सिरे से मुसीबत मोल लेने के मूड में बिलकुल भी नहीं था। राजस्थान और मध्य प्रदेश में गुमनाम चेहरों को सत्ता सौंप कर पार्टी आलाकमान ने जो संदेश देने की कोशिश की है, वो तो नेताओं को मिल चुका है - लेकिन उसका असर भी होने वाला है।
शिवराज को सीएम पद से हटाने की वजह
मप्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी को शानदार जीत दिलाने के बावजूद, सीएम के रूप में शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल समाप्त हो गया है। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व - पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनकी जगह उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव को सीएम की कुर्सी सौंपी है। दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पृष्ठभूमि से आने वाले ओबीसी नेता हैं, लेकिन दोनों की राजनीतिक शैली एक-दूसरे से जुदा है, जहां मोदी ने बहुत विशाल छवि बना ली है, वहीं शिवराज ने विनम्र और सहज 'मामाजी' की छवि कायम रखी है। जानकारी के मुताबिक आडवाणी ने शिवराज को बीजेपी के संसदीय बोर्ड में शामिल करने की कोशिश की थी, ऐसा कहा जाता है कि इस कोशिश को मोदी और तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नाकाम कर दिया था।