इंदौर में मंदिर टूटे 20 दिन ही हुए, तोड़ने वाले बिल्डिंग इंस्पेक्टर को मिली क्रीम पोस्टिंग, ब्यूरोक्रेसी से फिर नाराज जनप्रतिनिधि

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Neha Thakur
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इंदौर में मंदिर टूटे 20 दिन ही हुए, तोड़ने वाले बिल्डिंग इंस्पेक्टर को मिली क्रीम पोस्टिंग, ब्यूरोक्रेसी से फिर नाराज जनप्रतिनिधि

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में सूर्यदेव नगर का निर्माणधीन शिव मंदिर 17 मई को निगम के रिमूवल गैंग ने तोड़ दिया, जिसमें जमकर हंगामा मचा। जनप्रतिनिधियों की शिकायत के बाद यहां जोन (13) के बिल्डिंग इंस्पेक्टर दीपक गरमटे को ट्रांसफर कर ट्रेचिंग ग्राउंड भेज दिया गया और बिल्डिंग ऑफिसर अनूप गोयल से इस जोन का प्रभार छीन लिया गया। लेकिन यह कार्रवाई 20 दिन भी नहीं ठहरी और निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने गरमटे को ट्रेचिंग ग्राउंड से हटाकर जोन 19 का बिल्डिंग इंस्पेक्टर बनाने के आदेश जारी कर दिया है। इससे एक बार फिर जनप्रतिनिधि खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं और फिर साबित हो गया है कि निगम में ब्यूरोक्रेसी के आगे उनकी नहीं चल रही है।



महापौर को बताएंगे अपनी बात, करेंगे विरोध



सूर्यदेव नगर निगम चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से जीत हासिल करने वाले पार्षदों में से एक एमआईसी सदस्य अभिषेक उर्फ बब्लू शर्मा के वार्ड में हैं, जो राउ विधानसभा में आता है। मंदिर टूटने पर भी उन्होंने सबसे ज्यादा आपत्ति ली थी और वहां बगीचे में धरने पर बैठे थे, जिसके बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी संज्ञान लिया और अनूप गोयल से जोन 13 के बिल्डिंग ऑफिसर का काम छीना और गरमटे को बिल्डिंग इंस्पेक्टर प्रभार से हटाकर ट्रेचिंग ग्राउंड भेजा। हालांकि गोयल को इससे फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उनके पास पहले से ही 4 जोन के प्रभार थे, तो एक ही हटा था, वहीं, अब गरमटे की भी पोस्टिंग हो गई। इस पर शर्मा ने आपत्ति ली है और कहा कि महापौर बाहर थे, अब इंदौर पहुंचे हैं, उनसे मिलकर इस मामले में आपत्ति लेंगे कि मंदिर तोड़ने वाले को फिर से क्रीम पोस्टिंग क्यों और कैसे दी जा रही है।



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निगमायुक्त तो पहले ही कह चुकी प्रशासनिक फेरबदल किया था



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इस पूरे मामले में निगमायुक्त हर्षिका सिंह कभी सामने आई ही नहीं और 2 दिन बाद जब मीडिया से बात भी की तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि यह सिर्फ प्रशासनिक बदलाव है, यानी गरमटे को उस समय भी ट्रेचिंग ग्राउंड भेजने के आदेश को उन्होंने कार्रवाई नहीं बताते हुए केवल प्रशासनिक आदेश ही कहा था। जबकि महापौर भार्गव और एमआईसी सदस्य से लेकर अन्य जनप्रतिनिधि इसे कार्रवाई ही बता रहे थे।



विरोध के बाद भी जनप्रतिनिधियों को नहीं मिली तवज्जो



नगर निगम में यह पहली बार नहीं है, इसके पहले भी पार्षद खुलकर अधिकारियों पर आरोप लगा चुके हैं कि यह सुनते नहीं है और अपनी मनमानी करते हैं। फाइलों को अटकाया जाता है या फिर लौटा दिया जाता है। इसके चलते हम वार्ड में काम ही नहीं करा पा रहे हैं। खुद महापौर को बोलना पड़ा था कि लालफीताशाही नहीं चलेगी। सफाई को लेकर कह चुके हैं कि प्रेम की भाषा नहीं समझते हैं डंडा लेकर चलना पड़ेगा। इन सभी के बाद भी दोनों के बीच सांमजस्य अभी तक नहीं आया है।

 


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