Jabalpur. मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने साल 2020 के बैच के एमडी-एमएस परीक्षाओं पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। दरअसल मप्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी की ओर से परीक्षा नियंत्रक अदालत में हाजिर हुए और अदालत को बताया कि अनेक पीजी छात्र लिखित में यह आवेदन दे चुके हैं कि वे परीक्षा देना चाहते हैं। वहीं अनेक छात्र ऐसे हैं जो चाहते हैं कि परीक्षा समय पर संपन्न हो। जिसके बाद जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की अवकाशकालीन डबल बेंच ने मामले पर 14 जून को अंतिम सुनवाई के निर्देश दिए हैं। अदालत ने परीक्षा नियंत्रक को अगली सुनवाई में उपस्थिति की आवश्कता नहीं होने की बात कही।
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एमयू की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सतीश वर्मा ने याचिका की प्रचलनशीलता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 6 से 14 जून तक परीक्षा होने है। उन्होंने दस्तावेज प्रस्तुत कर कहा कि छात्र हित में ही थीसिस जमा करने की तिथि बढ़ाई गई थी। गौरतलब है कि मप्र जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन जबलपुर के संयुक्त सचिव डॉ प्रतीक भदौरिया ने याचिका दायर कर बताया कि सामान्य तौर पर एमडी और एमएस का स्नातकोत्तर कोर्स 36 माह का होता है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने 34 माह बाद ही परीक्षाएं आयोजित कर दीं, जो कि अनुचित है। यह कोर्स विशेषज्ञ चिकित्सा का है, इसलिए सिलेबस के साथ ट्रेनिंग पूरी करना अनिवार्य है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अविरल विकास खरे ने बताया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परीक्षा संचालन में नेशनल मेडिकल काउंसिल के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। दलील दी गई थी कि विश्वविद्यालय का यह नियम है कि परीक्षा शुरू होने के 3 महीने पूर्व छात्रों द्वारा प्रस्तुत थीसिस अप्रूव होनी चाहिए। यह नियम विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी अपलोड है। एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार थीसिस जमा होने के 6 माह बाद परीक्षा शुरू करानी है। मेडिकल स्नातकोत्तर कोर्स कर रहे प्रदेश के छात्रों ने 20 जनवरी 2023 को थीसिस जमा कर दी हैं। याचिका में बताया गया था कि थीसिस अभी तक अप्रूव नहीं हुई हैं और परीक्षा की डेट डिक्लेयर कर दी गई।