वेंकटेश कोरी, JABALPUR. मध्य प्रदेश का सबसे पुराना जबलपुर नगर निगम इन दिनों आर्थिक तंगहाली के दौर से गुजर रहा है, हालात ऐसे हो गए हैं कि कर्मचारियों और पेंशनरों को भुगतान करने के लिए भी प्रशासन को सोचना पड़ रहा है। जबलपुर नगर निगम की ऐसी हालत पिछले दो से तीन माह से हैं लेकिन समय के साथ अब स्थितियां और भी ज्यादा विपरीत होती जा रही हैं। न तो पार्षद अनुशंसा के विकास कार्य शुरू हो पा रहे हैं और न ही पूर्व स्वीकृत कामों को ही रफ्तार मिल पा रही है। नगर निगम जबलपुर के आर्थिक हालात किस कदर बेपटरी हो चुके हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज की तारीख में नगर निगम को 80 से 90 करोड़ का भुगतान ठेकेदारों को करना है जिसके चलते हुए नए कामों को शुरू करने से वे भी कतरा रहे हैं।
महापौर ने लगाई प्रदेश सरकार से गुहार
जबलपुर में कांग्रेसी महापौर के हाथ में नगर सत्ता की कमान है, पिछले दिनों ही जबलपुर नगर निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने प्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात कर शहर विकास को गति देने के लिए 500 करोड़ की मदद की मांग की थी, उन्होंने जबलपुर नगर निगम के हालातों का ब्यौरा प्रदेश सरकार को देते हुए कहा है कि अगर इस सूरत में जबलपुर नगर निगम को प्रदेश सरकार से मदद नहीं मिली तो हालात और ज्यादा बिगड़ सकते हैं। महापौर ने फौरी तौर पर कम से कम 200 करोड़ की पहली किस्त जारी करने की गुहार भी नगरीय प्रशासन मंत्री से लगाई है। जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने कहा है कि पूर्व में प्रदेश सरकार से चुंगी क्षतिपूर्ति सहित अन्य मदों से राशि जारी की जाती थी लेकिन पिछले कुछ माह से यह राशि नहीं मिलने के कारण नगर निगम में आर्थिक आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं।
ये हैं नगर निगम के खर्चे
करीब 18 लाख की आबादी वाले जबलपुर शहर में सड़क, पानी, सफाई-नाली सहित अन्य सुविधाओं को मुहैया कराने की जिम्मेदारी नगर निगम संभलता है लेकिन आय के मुकाबले नगर निगम के खर्चे ज्यादा हैं, जिसके चलते निगम को प्रदेश सरकार से हमेशा ही मदद की आस लगी रहती है। निगम के खर्चों की ही बात करें तो निगम की आय का सबसे बड़ा हिस्सा विकास कार्यों के अलावा बिजली के बिल, डीजल, आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन के भुगतान, निगम के अपने नियमित खर्चों के साथ ही ADB और हुडको का पूर्व से चले आ रहे लोन की किस्त के रूप में जाता है।
पिछले दिनों ठेकेदार ने की थी आत्महत्या
नगर निगम के बद से बदतर होते जा रहे आर्थिक हालातों के चलते अब ठेकेदारों ने भी काम करने से इनकार कर दिया है, यहां तक कि आए दिन पुराने भुगतान पाने के लिए ठेकेदार निगम के चक्कर लगाते नजर आते हैं। पिछले दिनों ही नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में सफाई का ठेका चलाने वाले भगवान सिंह नाम के ठेकेदार ने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। कहा जा रहा है कि ठेकेदार भगवान सिंह की नगर निगम जबलपुर में 70 से 75 लाख की रकम फंसी हुई थी जिसे पाने के लिए वह लगातार अधिकारियों के चक्कर भी लग रहा था लेकिन जब किसी ने उसकी बात नहीं सुनी और काम कराने के बदले की रकम वापस नहीं मिली तो ठेकेदार ने खुदकुशी का रास्ता अख्तियार कर लिया।