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Gwalior. बीते विधानसभा चुनावों में बीजेपी को गच्चा देने में ग्वालियर-चंबल संभाग की विधानसभा सीटों ने अहम भूमिका निभाई थी। यही कारण है कि अब 2023 के विधानसभा चुनाव में इसी क्षेत्र से बड़ी लीड दिलाने जमीन पर जमकर मेहनत कर रहे हैं। बीते कुछ समय से ग्वालियर घराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर चंबल संभाग में अपनी प्रजा के बीच रिश्ते प्रगाढ़ कर रहे हैं। बीजेपी जहां इसे सोशल पॉलिटिक्स का नाम दे रही है तो वहीं कांग्रेस ने तंज किया है कि महाराज अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना चाहते हैं।
कई समाजों के सम्मेलन में की शिरकत
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर चंबल संभाग में विभिन्न जातियों के सामाजिक सम्मेलनों में शिरकत करना जारी रखा है। वे सभी से अपने दिल और खून के रिश्ते की दुहाई देते चले आ रहे हैं। बीते एक माह में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जाट, राठौर, वैश्य, शिवहरे, यादव, जैन और बघेल समाज के आयोजनों में हिस्सा लिया। वे जनता को यह जताने का पूरा प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने पार्टी भले ही बदली हो लेकिन क्षेत्र की जनता से उनका नाता पीढ़ियों पुराना है। माना जा रहा है कि इससे बीजेपी को क्षेत्र में काफी फायदा मिलेगा।
कांग्रेस ने कसा तंज
इधर कांग्रेस एमएलए सतीश सिकरवार ने सिंधिया की सोशल पॉलिटिक्स पर तंज कसते हुए कहा कि व्यक्ति अपने आप को राजनीति में जिंदा रखने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। वह अपने अस्तित्व और राजनैतिक करियर को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। सिंधिया लाख सोशल पॉलिटिक्स की दुहाई दें, पीढ़ियों और खून का रिश्ता होने की बातें कहें, लेकिन सच्चाई यह है कि ये सारे रिश्ते केवल चुनाव तक की उम्र लेकर बनाए जा रहे हैं। बाद में इनका कोई मोल नहीं रहेगा। खास बात यह है कि सिकरवार ने जिंदा रखने की जो बात कही है, उसे सिंधिया के उसी ट्वीट पर तंज किया है, जिसमें उन्होंने जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है वाला शेर ट्वीट किया था।