संजय गुप्ता. INDORE. इंदौर में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और विधानसभा एक के विधायक कैलाश विजयवर्गीय ने मप्र में अपनी भूमिका को लेकर टिप्पणी की है। शनिवार को मीडिया ने उनसे पूछा था कि कहा जा रहा है कि मप्र में कैलाश जी बड़ी भूमिका में दिखेंगे? इस पर क्या कहेंगे? इस पर विजयवर्गीय ने कहा कि अभी भी बड़ी भूमिका में हैं, हम महामंत्री हैं। वहीं मंत्रिमंडल कब तक बनने के सवाल पर विजयवर्गीय ने खुलासा किया कि 17 दिसंबर को बैठक हो रही है, इसमें निर्णय हो जाएगा।
संसद की सुरक्षा में चूक छोटी बात- विजयवर्गीय
विजयवर्गीय ने कहा कि संसद की सुरक्षा में चूक छोटी बात थी, इससे बड़ी बात कांग्रेस सांसद धीरज साहू के यहां करोड़ों रुपए मिलने का है, जिसे ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस संसद का मुद्दा उठा रही है। इस पर गृहमंत्री बोल चुके हैं कि तह तक जाएंगे, जांच की जाएगी, फिर कोई मुद्दा बनता नहीं है। लेकिन साहू पर कांग्रेस या कोई कुछ नहीं बोलता है। साहू द्वारा इस जब्त राशि पर सफाई दिए जाने पर विजयवर्गीय ने कहा कि वह तो जांच एजेंसी देखेंगी। साथ ही विजयवर्गीय ने कहा कि अमृत काल में देश के लिए हम लोग क्या कर सकते हैं संकल्प लें, विकसित भारत यात्रा उसी का हिस्सा है, हम गांव-गांव जा रहे हैं और लोगों से कह रहे हैं भारत दुनिया का सबसे ताकतवर देश है। पीएम नरेंद्र मोदी भारत को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनाने में जुटे हुए हैं।
सीएम की रेस के पहले और बाद में दिल्ली-भोपाल रहे
सीएम नाम की रेस में विजयवर्गीय भी मजबूत दावेदार थे। भोपाल में 11 दिसंबर को विधायक दल की बैठक के पहले वह दिल्ली भी गए थे और फिर भोपाल में बने रहे थे। इसके बाद 11 दिसंबर को सीएम नाम के लिए डॉ. मोहन यादव का नाम घोषित हुआ। इस दौरान मंच पर मौजूद विजयवर्गीय के पैर भी यादव ने छुए थे, उन्हें वह बड़े भाई के रूप में मानते हैं। बाद में 12 दिसंबर को डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में ही विजयवर्गीय के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। इस दौरान महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला और अन्य भी उनके साथ थे। इसके बाद एक बार फिर विजयवर्गीय भोपाल से दिल्ली रवाना हुए और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
विधानसभा में हस्ताक्षर का वीडियो भी डाला
विजयवर्गीय शुक्रवार को ही इंदौर लौटे थे, उन्होंने इसी दौरान अपने टिव्टर (x) एकाउंट पर विधानसभा जाकर विधायक पद के रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने संबंधी वीडियो को भी अपलोड किया था। इंदौर में उनका पुरानी तरह से लोगों से मेल-मुलाकातों का दौर शुरू हो गया। शनिवार को वह नेहरू स्टेडियम में नारी शक्ति से जुड़े डॉ. दिव्या गुप्ता के आयोजन में पहुंचे और स्कूली छात्राओं को जागरूकता संदेश दिया।
नजरें अब प्रदेशाध्यक्ष जैसी अहम जिम्मेदारी पर, मंत्रीमंडल में आना मुश्किल
वहीं, अब राजनीतिक जानकारों की माने तो विजयवर्गीय के कद के हिसाब से उनके लिए बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष जैसा पद ही बनता है। मंत्रीमंडल में तो वह लगातार 12 साल रह चुके और साल 2015 में आठ साल पहले इसे छोड़ चुके हैं, ऐसे में वह उनके कद के मुताबिक नहीं है, डिप्टी सीएम एक बार फिर भी सोचा जा सकता था। लेकिन अब संभव है कि विजयवर्गीय ने पार्टी स्तर पर यही मांग रखी हो कि वह तो नहीं लेकिन रमेश मेंदोला को शामिल किया जाए और अच्छा विभाग दिया जाए। वैसे भी तीनों राज्यों में सबसे ज्यादा वोट से जीतने के बाद और चौथी बार के विधायक होने के नाते उनका अधिकार वैसे भी बनता है।
सब कुछ दिल्ली से हो रहा तय
मंत्रीमंडल से लेकर अन्य जिम्मेदारियों पर भी दिल्ली हाईकमान ही फैसला लेगा। अभी तक दिख रहे रूख से यह बात साफ हो रही है कि अब राज्यों में जो भी होगा दिल्ली से हरी झंडी लेकर ही होगा। ऐसे मंत्रीमंडल में यदि हाईकमान ने बोल दिया कि विजयवर्गीय को रहना है तो फिर वही होगा, या फिर दिल्ली की राजनीति में सक्रिय किया तो वह करेंगे, वैसे भी वह राष्ट्रीय महासचिव तो है ही। इस नाते केंद्रीय राजनीति की ही जिम्मेदारी ही पार्टी ने उन्हें दी हुई है। लेकिन इन सभी के बीच विजयवर्गीय के समर्थकों में भारी निराशा और हताशा साफ देखी जा रही है, उन्हें लग रहा है कि पार्टी उन्हें उनका हक नहीं दे रही है और उनके कद के मुताबिक पद नहीं दिया जा रहा है। उन्हें कोई जिम्मेदारी मिलती या मेंदोला को मंत्रीमंडल में जगह मिलती है तो समर्थकों में उत्साह फिर जागेगा।