लंबी संविधानिक प्रक्रिया के कारण आठ महीने से जेल में बंद होने के बाद भी कटारा बने हुए हैं आरपीएससी सदस्य

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Pooja Kumari
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लंबी संविधानिक प्रक्रिया के कारण आठ महीने से जेल में बंद होने के बाद भी कटारा बने हुए हैं आरपीएससी सदस्य

JAIPUR. राजस्थान में सरकारी भर्ती के लिए बनी संस्था राजस्थान लोक सेवा आयोग में सदस्यों की नियुक्ति तो राज्य सरकार के स्तर पर हो जाती है लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी सदस्य को हटाने की प्रक्रिया काफी लंबी है और राष्ट्रपति तक जाती है। इस लंबी संवैधानिक प्रक्रिया के कारण ही आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा 8 महीने से भी ज्यादा समय से जेल में होने के बावजूद आरपीएससी मेंबर बने हुए हैं और आरपीएससी की वेबसाइट पर भी सदस्य के रूप में ही नजर आ रहे हैं।

बाबूलाल कटारा ने किया था पेपर लीक

राजस्थान में पिछले सरकार के समय आरपीएससी सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए बाबूलाल कटारा 24 दिसंबर 2022 को हुई वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा का क्वेश्चन पेपर लीक करने के मामले में आरोपी है। आरपीएससी में बाबूलाल कटारा के पास विशेषज्ञों से क्वेश्चन पेपर सेट करने की जिम्मेदारी थी और इसी का उन्होंने बेजा फायदा उठाते हुए इस परीक्षा का पेपर लीक करा दिया था। राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में बाबूलाल कटरा को 18 अप्रैल 2023 को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी कारवाई करते हुए कटारा की संपत्ति अटैच की थी। वहीं एसीबी ने कटारा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था। कटारा अप्रैल से ही जेल में है लेकिन उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है।

ये प्रक्रिया है।

राजस्थान लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है और यहां पर सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल के जरिए होती है। इन्हें हटाने की प्रक्रिया के लिए सरकार की तरफ से राज्यपाल को सिफारिश भेजी जाती है और राज्यपाल से रेफरेंस राष्ट्रपति के पास जाता है और राष्ट्रपति इसे सुप्रीम कोर्ट को भेजते हैं और वहां से सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होती है। राज्य सरकार अगस्त में राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को रेफरेंस भेजने की प्रक्रिया पूरी कर चुकी है, लेकिन अगस्त के बाद 2 महीने से मामला राष्ट्रपति के यहां अटका हुआ है। राजस्थान में बीजेपी की सरकार है, जिसने क्वेश्चन पेपर लीक को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना रखा था और अब यह भारतीय जनता पार्टी सरकार की जिम्मेदारी हो गई है कि वे जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरा कराए।

संशोधन होना चाहिए

विधि विशेषज्ञ और राजस्थान सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येंद्र सिंह राघव का कहना है कि जिस तरह अध्यक्ष या सदस्य की नियुक्ति राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल के माध्यम से होती है इस तरह से यदि किसी सदस्य को हटाना है तो उसकी प्रक्रिया में भी संशोधन किया जाना चाहिए। सबसे अहम बात ये है कि भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग को पूरी तरह से स्वतंत्र संस्थान बनाया जाना चाहिए। जिस तरह यहां किसी सदस्य को हटाने के लिए एक लंबी संवैधानिक प्रक्रिया अपनाई जाती है इस तरह से नियुक्ति के लिए भी प्रदेश के मुख्यमंत्री विपक्ष के नेता और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की एक समिति होनी चाहिए ताकि नियुक्तियां पूरी तरह से पारदर्शी हो सके।

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