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JAIPUR. राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा अशोक नगर थाने के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। किरोड़ी लाल मीणा परिवादी अधिवक्ता टीएन शर्मा के साथ जल जीवन मिशन (जेजेएम) में कथित घोटाले पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए दोपहर बाद थाने पर पहुंचे थे। लेकिन मामला दर्ज नहीं होने पर वो थाने के बाहर धरने पर बैठ गए। किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि घोटाले को लेकर हम मंत्री महेश जोशी, एसीएस सुबोध अग्रवाल सहित अन्य अधिकारियों पर मामला दर्ज करवाने आए थे, लेकिन पुलिस हमारी एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है।
किरोड़ी के समर्थन में नेता प्रतिपक्ष राठौड़ पहुंचे थाने
किरोड़ी के समर्थन में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ भी थाने पहुंचे। राठौड़ ने कहा कि राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा तथ्यों के आधार पर मामला दर्ज करवाने आए हैं, लेकिन पुलिस उनकी एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है। राठौड़ ने कहा कि एफआईआर अनिवार्य करने का दावा करने वाली सरकार उनकी एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है। मैंने भी कमिश्नर से बात की है। वो मामला दर्ज करने के लिए तैयार नहीं हैं। राठौड़ ने कहा कि इस मामले में किरोड़ीलाल मीणा अकेले नहीं हैं। राज्य सरकार चेत जाए, नहीं तो किरोड़ी के साथ अन्य सांसद और विधायक भी धरने पर बैठेंगे। बीजेपी इस घोटाले को बड़ा मुद्दा बनाएगी।
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चहेतों को 900 करोड़ के टेंडर जारी किए
किरोड़ीलाल मीणा ने जल जीवन मिशन में घोटाले का आरोप लगाते हुए दो शिकायतें लेकर अशोक नगर थाने पहुंचे थे। पहली शिकायत में उनका आरोप है कि पीएचईडी विभाग ने प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत अपनी चहेती दो फर्मों गणपति ट्यूबवैल कंपनी शाहपुरा और श्री श्याम ट्यूबवैल कंपनी शाहपुरा को विगत दो वर्षों में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार पर 900 करोड़ के टेंडर जारी कर दिए। इन दोनों फर्मों ने भारत सरकार के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के फोरमेट की नकल करके उसी पर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र तैयार करवाए और इसी के आधार पर पीएचईडी विभाग से वर्क आर्डर प्राप्त कर लिए। इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने 7 जून 2023 को अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल को भी पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
टेंडर्स में RTPP एक्ट की अवहेलना
दूसरी शिकायत में किरोड़ी का आरोप है कि विभाग ने 6 अक्टूबर 2021 से 24 नवंबर 2022 के बीच 11 विभिन्न कार्यों के लिए 48 निविदाएं आमंत्रित की गई थी। जिनका कुल मूल्य लगभग दस हजार करोड़ था। इन टेंडर्स में आरटीपीपी एक्ट की अवहेलना की गई है। वित्त विभाग के निर्देश के बाद भी कंपनियों को पूल बनाने का मौका दिया गया। वहीं 10 प्रतिशत प्रीमियम राशि पर टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई। किरोड़ी का आरोप है कि यह पूरा घोटाला करीब 20 हजार करोड़ का है। अशोक नगर थाने से पहले किरोड़ी ने सचिवालय पहुंचकर मुख्य सर्तकता आयुक्त के नाम भी ज्ञापन दिया।