कोरिया के अनुराग का नाम गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज, 10 सालों से गोवंश को रेडियम बैंड पहनाकर दुर्घटना से बचाने का काम कर रहे है

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Pratibha Rana
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कोरिया के अनुराग का नाम गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज, 10 सालों से गोवंश को रेडियम बैंड पहनाकर दुर्घटना से बचाने का काम कर रहे है

KOREA. छत्तीसगढ़ के कोरिया में रहने वाले अनुराग दुबे का नाम गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। अनुराग 10 सालों से गोवंश को रेडियम बैंड पहनाकर दुर्घटना से बचाने का काम कर रहे है। इसी वजह से उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। रायपुर के महावीर गौशाला के भवन में सर्टिफिकेट, मेडल, बैच, टीशर्ट पहनाकर गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने उन्हें सम्मानित किया। 



गोल्डन बुक रिकॉर्ड में गोवंश को बचाने वाला



दरअसल अनुराग दुबे पिछले 10 सालों से गोवंश के गले में रेडियम पहनाकर उन्हें सड़क हादसों से बचा रहे हैं। उनके इस काम को देखते हुए रायपुर में गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज किया गया है। रायपुर के महावीर गौशाला के भवन में सर्टिफिकेट, मेडल, बैच, टीशर्ट पहनाकर गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने उन्हें सम्मानित किया है। बताया जाता है कि अनुराग जहां रहते हैं, वह उनका घर है। लेकिन वहां उनके परिवार के सदस्यों के साथ कई गाय और बछड़े भी रहते हैं। पिछले दस सालों से उनका घर पूरी तरह गौशाला बन चुका है। 



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छत्तीसगढ़ हेड ने अनुराग को सम्मानित किया



रायपुर के महावीर गौशाला प्रांगण में 12 जून को गौ सेवकों का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में अनुराग दुबे ने कोरिया जिले का प्रतिनिधित्व किया। उसी समय गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ हेड ने अनुराग को सम्मानित किया गया। बता दें, यह पहला ऐसा रिकॉर्ड है जिसमें कोई व्यक्ति गोवंश को रेडियम बैंड पहनाकर उनको दुर्घटना से बचाने का काम कर रहा है। 



गौ प्रेमी अनुराग दुबे



अनुराग कई सालों से ये काम कर रहे है। वह सड़कों पर लावारिस घूम रहे थे और पर्याप्त आहार ना मिलने के चलते कमजोर हो गए गायों को अपने घर ले आते है। इसके अलावा सड़क हादसे में घायल हो चुके गौवंशों को भी अनुराग घर लाकर उनकी पूरे भाव से सेवा करते हैं। अनुराग दुबे को गौ सेवक के रूप में जाना जाता है। जहां कहीं भी गौवंशों के सड़क पर घायल होने, नाली या गड्ढे में फंस जाने की सूचना उन्हें मिलती है, वह मौके पर पहुंचकर उसे बचाने की पूरी कोशिश करते हैं।



घायल असहाय जानवरों का सहारा हैं अनुराग



अनुराग सड़कों पर घायल अवस्था में पड़े जानवर, जिनपर कोई ध्यान नहीं देता। जब भी उन्हें पता चलता है कि कोई जानवर घायल है, वे उसे अपने घर ले आते हैं और उसकी देखभाल करते हैं। उन्होंने कई जानवरों को घायल अवस्था से ठीक किया है। बेजुबानों का सहारा बनकर कंपकपाती ठंड में गायों के लिए अलाव की व्यवस्था भी कराई है।

 


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