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KOTA. राजस्थान के कोटा में लग रही दुनिया की सबसे बड़ी घंटी विवादों में घिर गई है। घंटी के कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य का नगर विकास न्यास (यूआईटी) और कॉन्ट्रैक्टर पर आरोप है कि उन्होंने डेढ़ करोड़ रुपए का पेमेंट अटका दिया है। इसके साथ ही घंटी बनाने का श्रेय डिजाइनर को दे दिया है।
यूआईटी ने नहीं किया था पेमेंट
देवेंद्र आर्य ने कहा कि इस घंटी को बनाने में 1 साल से ज्यादा का समय लगा है। जिसमें यूआईटी ने राजकोट, भिलाई और राउरकेला से मंगवाए मैटल समेत अन्य सामग्री का पेमेंट बहुत बाद ने किया था। इसके लिए उन्होंने खुद के पैसे भी खर्च किए थे।
इसका श्रेय सभी मजदूरों को जाना चाहिए- प्रोजेक्ट डिजाइनर
इस पर प्रोजेक्ट डिजाइनर अनूप बरतरिया ने कहा कि ये सरकार का काम है, इसका श्रेय सभी मजदूरों को जाना चाहिए। उन्होंने कहा
कि दुनिया की सबसे बड़ी घंटी रिवर फ्रंट पर स्थापित करने के सपने धरातल पर लाने के लिए हम सबने काम किया है। अगर श्रेय लेने की बात है तो इस प्रोजेक्ट में लगे हर मजदूर को इसका श्रेय मिलना चाहिए।
13 तरह की धातुओं को पिघलाकर बनी ये खास घंटी
बता दें कि कोटा में रिवर फ्रंट पर बिना जोड़ यानी की सिंगल पीस कास्टिंग वाली घंटी लगने वाली थी। इस सिंगल पीस कास्टिंग वाली घंटी का वजन 79 हजार किलो है। यह 13 तरह की धातुओं को पिघलाकर बनाई गई है। इस खास घंटी को बजाने से इसमें से ओम की ध्वनि सुनाई देगी, जिसका असर 8 किलोमीटर तक रहेगा। फिलहाल, घंटी कास्टिंग के बाद से मोल्ड बॉक्स में ही है। इस घंटी का व्यास 8.5 मीटर और ऊंचाई 9.25 मीटर है। इसे बनाने में 200 से ज्यादा एक्सपर्ट की टीम लगी और इस दौरान करीब हजार कर्मचारियों ने 10 अलग-अलग प्रकार के प्रोजेक्ट पर काम किया था। यही नहीं बल्कि इसे बनाने में 200 से ज्यादा कर्मचारियों ने लगातार 40 घंटे काम किया था।
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