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संजय गुप्ता, INDORE. हुकमचंद मिल मजदूरों को 32 साल की लड़ाई के बाद उनकी बकाया राशि मिल रही है। हाईकोर्ट में भी इस केस पर मुहर लग गई है। इस पूरी लड़ाई के बाद 5895 मजूदर परिवारों को हक की राशि मिल रही है। वहीं मजदूरों की ओर से केस लड़ने वाले दोनों वकीलों को इसके लिए प्रारंभिक तौर पर 3.27-3.27 करोड़ यानि कुल 6.54 करोड़ की राशि का भुगतान हो रहा है। लेकिन अभी भी दस करोड़ से ज्यादा की राशि का भुगतान बाकी है। यह अधिवक्ता 18 से 20 साल से मजदूरों के साथ कानूनी मोर्च पर लड़ाई लड़ रहे थे।
मजदूर और वकीलों के बीच था यह करार
मजदूर यूनियन के नरेंद्र श्रीधर ने द सूत्र को बताया कि वकील भी यह केस कोर्ट में जाने के बाद से हमारे लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। अधिवक्ति गिरीश पटवर्धन 20 साल से तो धीरज पंवार 18 साल से केस लड़ रहे हैं। मजदूरों की सहमति से वकीलों के साथ करार हुआ था कि भुगतान राशि का तीन-तीन फीसदी दिया जाएगा। अभी तो कम ही राशि दी है। अब हम सभी मिलकर फिर बैठक करेंगे, जिससे कोई बीच रास्ता निकले तो मजदूरों पर भी अधिक भार नहीं हो।
3-3 फीसदी के हिसाब से यह राशि बनती है
मजदूरों को 217.90 करोड़ का भुगतान होगा, 65 करोड़ पहले टुकड़ों-टुकड़ों मे मिल चुके हैं, यानि कुल भुगतान राशि 282.50 करोड़ रुपए बनती है। इसका तीन फीसदी यानि 8.48 करोड़ रुपए बनता है। दो अधिवक्ता है तो यह राशि 8.48-8.48 करोड़ यानि करीब 17 करोड़ रुपए बनती है, जिसमें से अभी फिलहाल 6.54 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है, जो अभी 1.15 फीसदी ही है। करार के मुताबिक दस करोड़ से ज्यादा की राशि का भुगतान अभी अधिवक्ताओं को होना बाकी है। इसके लिए मजूदर और अधिवक्ता बैठकर कोई रास्ता निकालेंगे।
इस दौरान अधिवक्ताओं ने नहीं ली कोई राशि, मजदूरों के साथ लगे रहे
श्रीधर बताते हैं कि अधिवक्ताओं ने इस लड़ाई में पूरा साथ दिया, कानून के हर मोर्च पर वह हमारे साथ खड़े रहे क्योंकि कानूनी समझ हमारे पास नहीं थी। हमने मैदान में मोर्चा संभाले रखा और किसी को जमीन पर कब्जा नहीं लेने दिया। हर रविवार को हम मजूदर बैठक करते रहे और हर स्तर पर अपनी मांग बुलंद करते रहे। यह मिली-जुली लड़ाई थी जिसमें सभी के सहयोग से यह सफल हुआ है।
महापौर, अधिवक्ताओं की हाईकोर्ट ने की तारीफ
हाईकोर्ट इंदौर द्वारा जारी किए गए फैसले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव के प्रयासों की तारीफ की गई है। साथ ही इस केस को लड़ने वाले अधिवक्ताओं, इस काम में जुटे सभी अधिकारियों की भूमिका की भी सराहना की है। उल्लेखनीय है कि महापौर पद संभालने के बाद भार्गव ने सबसे पहले इसी मुद्दे को लिया था और मिशन बनाया था कि मिल मजूदरों को उनकी राशि दिलाना है। एक साल से उनके इन प्रयासों के बाद यह प्रोजेक्ट सफल हुआ है और 32 साल से लड़ाई लड़ रहे मजदूरों को उनका हक मिल रहा है।