JAIPUR. अजमेर के होटल मकराना राज में स्टाफ से मारपीट करने के मामले में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। इसमें आईएएस गिरधर कुमार और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई की गिरफ्तारी की मांग की है। राठौड़ ने पत्र में राज्य की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लिखा, ऐसा लगता है कि प्रदेश में आईपीसी के स्थान पर जीपीसी (गहलोत पैनल कोड) प्रभावी है। प्रदेश में शासन व्यवस्था समाप्त हो गई और अब पोपाबाई का राज कायम है।
राठौड़ ने पत्र में यह भी लिखा
सीएम गहलोत को भेजे पत्र में राठौड़ ने अजमेर की घटना का जिक्र करते हुए लिखा अभी हाल ही का ताजा प्रकरण अजमेर का है जिसमें 11 जून की रात एक भारतीय प्रशासनिक सेवा और एक भारतीय पुलिस सेवा के अफसर ने अपने मातहतों को साथ लेकर होटल मकराना राज के कार्मिकों से ना केवल मारपीट की बल्कि इस अपराध पर पर्दा डालने की भी भरपूर कोशिश की गई। संगठित गिरोह की तरह हमला करने की यह घटना स्टील फेम कही जाने वाली देश की अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के आचरण पर तो सवाल खड़ा करती ही है, पुलिस एवं प्रशासनिक ढांचे में शामिल लोगों की खुद को कानून से ऊपर समझने की प्रवृत्ति की ओर भी इशारा करती है।
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सरकार की मिलीभगत और ठप्प कानून व्यवस्था का आरोप
पुलिस-प्रशासन अपराधी के बीच नेक्सस होने से अपराधों में वृद्धि हो रही है। इस घटना में हुई मारपीट होटल में लगे कैमरों में स्पष्ट कैद है। इन अफसरों की करतूत के तमाम सबूतों और वीडियो फुटेज और रिकोर्डिंग उपलब्ध होने के बावजूद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया, यह सरकार की मिलीभगत तथा ठप्प कानून व्यवस्था को दर्शाती है। हाल ही में प्रदेश में ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं जिनमें आंकड़े बताते हैं कि पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र में अपराधिक गतिविधियों में 18 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है ऐसा लगता है कि प्रदेश में आईपीसी के स्थान पर जीपीसी (गहलोत पैनल कोड) प्रभावी है।
मामले की उच्च अधिकारी की स्वतंत्र एजेंसी से जांच का अनुरोध
नेता प्रतिपक्ष राठौड़ ने पत्र में लिखा, आईपीएस सुशील द्वारा अपने इलाके में दबदबा इतना बना रखा है कि 2020 में ट्रेनिंग के उपरांत पोस्टिंग होने पर सभी होटलों और गेस्ट हाउसों और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में बिना पैसे दिए ठहरना, सुविधाओं का उपयोग करना और आम दिनचर्या की वस्तुओं को फ्री में नियमित रूप से मंगवाना इत्यादि शामिल हैं। तीन साल में प्राप्त की गई इन सुविधाओं का लेखा-जोखा बनाया जाए, तो रकम इतनी अधिक हो जाएगी कि जो थाने आईपीएस के अधीनस्थ हैं, अगर उन सभी की सम्पत्तियों को नीलाम कर दिया जाए, तो भी उस रकम की भरपाई नहीं होगी। उन्होंने पत्र में सीएम से अनुरोध किया कि उक्त प्रकरण की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए प्रकरण की जांच उच्च अधिकारी की स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए। साथ ही पीड़ितों को न्याय दिलवाने के संबंध में आईपीएस सुशील और आईएएस गिरधर को शीघ्र गिरफ्तार किया जाए।