नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा- महाकाल लोक की जांच से लोकायुक्त रहें दूर, शिकायत के बाद भी सालों नहीं हुई कार्रवाई

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Neha Thakur
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नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा- महाकाल लोक की जांच से लोकायुक्त रहें दूर, शिकायत के बाद भी सालों नहीं हुई कार्रवाई

BHOPAL. मध्य प्रदेश के उज्जैन महाकाल का मुद्दा इन दिनों गरमाता जा रहा है। दरअसल, चुनावी साल में कांग्रेस इस मामले को हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने लोकायुक्त एनके गुप्ता को महाकाल लोक मामले की जांच से दूर रहने को कहा है। इसके पीछे तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि लोकायुक्त गुप्ता सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। 1 साल पहले ही हमारे विधायक महेश परमार ने महाकाल लोक में हो रहे घोटाले की शिकायत की थी। गुप्ता इतने लंबे अरसे तक इस भ्रष्टाचार को दबाए क्यों बैठे रहे।



ओलावृष्टि मुआवजा राशि बांटने में भी हुआ भ्रष्टाचार



पत्रकार वार्ता के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कहा- इससे पहले गोहद में ओलावृष्टि की मुआवजा राशि बांटने में भ्रष्टाचार हुआ था। यह मामला भी हमने उठाया था। इसे राजस्व मंत्री ने भी विधानसभा में स्वीकार किया था, कि भ्रष्टाचार हुआ है। मैंने जो दस्तावेज दिए थे, उसके आधार पर ही मामला दर्ज हो जाना चाहिए था, लेकिन लोकायुक्त गुप्ता कार्रवाई नहीं कर पाए। उन्होंने- भोपाल मास्टर प्लान में भ्रष्टाचार के बीज पहले ही वो दिए गए हैं। नियम है कि कैचमेंट एरिया के 50 मीटर में मकान नहीं बनाए जाएंगे। ये तो घोषणा हो गई लेकिन, नक्शे में कर दिया 500 फीट। अब 500 फीट में रहने वाले परेशान होंगे, फिर सरकार संशोधन करेगी कि लाओ और ले जाओ ऑर्डर। नक्शे और नियमों में भिन्नता है। सरकार जेब भरेगी।



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कुर्सी पर बैठकर लोकायुक्त कर रहे अन्याय



डॉ. गोविंद सिंह ने कहा- ईमानदार डीजे मकवाना बतौर लोकायुक्त डीजी​​​ ​​​​कार्रवाई करना चाहते थे, लेकिन उनको दबाव डालकर हटवा दिया। मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश का लोकायुक्त कार्यालय बंद कर दिया जाए। इस पर जनता की गाढ़ी कमाई से जो खर्च हो रहा है, उसे बचाया जाए। लोकायुक्त की कुर्सी पर बैठकर एनके गुप्ता अन्याय कर रहे हैं। जो लोकायुक्त न्याय नहीं करें, भ्रष्टाचार को दबाने का काम करें, अब वहीं महाकाल लोक में भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं।



MP में लोकायुक्त कार्यालय बंद कर देना चाहिए



महाकाल लोक घोटाले की जांच केवल उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के आयोग द्वारा कराई जाए, तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। लोकायुक्त से मध्यप्रदेश की जनता का विश्वास उठ चुका है। उनसे हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते।



हवा में उड़ गई थीं महाकाल लोक की 6 मूर्तियां



उज्जैन में 28 मई को आंधी-बारिश के कारण महाकाल लोक की मूर्तियों को नुकसान पहुंचा था। सप्तऋषि की 7 में से 6 मूर्तियां पेडस्टल से नीचे गिर गई थीं। पूरे महाकाल लोक में ऐसी करीब 136 मूर्तियां लगाई गई हैं। इनकी लागत 15 करोड़ रुपए है। इस हिसाब से औसतन एक मूर्ति बनाने में 11 लाख रुपए खर्च हुए है। महाकाल लोक बनने की शुरुआत 2018 में हुई थी। फ्लोर का काम शुरू होने के बाद सबसे पहले सप्तऋषियों की मूर्तियां स्थापित की गई थीं।​​​​​​



6 मूर्ति अंदर से थीं खोखली



उज्जैन में तेज आंधी-बारिश के कारण धराशायी हुईं महाकाल लोक की 6 मूर्तियां अंदर से खोखली थीं। महाकाल लोक में मूर्तियां गिरने के मामले की जांच तेज हो गई है। शनिवार 3 जून को लोकायुक्त की टीम महाकाल लोक पहुंची। टीम के सदस्यों ने पेडस्टल पर चढ़कर करीब आधा दर्जन मूर्तियों का निरीक्षण किया। काफी देर तक एक-एक मूर्ति को बारीकी से देखा। टीम ने उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड से मूर्तियों के संबंध में जानकारी मांगी है। अफसरों ने कहा कि जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।


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