संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में सभी नौ विधानसभा सीट गंवाने के बाद कांग्रेस में ईवीएम का खौफ कम नहीं हो रहा है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा द्वारा इस पर सवाल खड़ा करने के बाद कांग्रेस के इंदौर प्रत्याशी सत्यनाराण पटेल, पिंटू जोशी ने भी हार के लिए ईवीएम पर दोष मढ़ा है। अब कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश यादव ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की है।
यह लिखा है पत्र में...
यादव ने पत्र में मांग की है कि- ईवीएम की सुरक्षा प्रणाली को लेकर ईवीएम बनाने वाली कंपनी और ईवीएम उपयोग करने वाला चुनाव आयोग के दावों का सत्यापन सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट कमेटी बनाकर किया जाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और ईवीएम निर्माण करने वाली कंपनियों ने ईवीएम हैकिंग और छेड़छाड़ के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई और कमेटी से मई 2019 में रिपोर्ट लेकर खुद को ही क्लीन चिट देकर मामला खत्म कर दिया।
आयोग ने यह कहकर दावा किया है कि हैकिंग नहीं हो सकती
यादव ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट में बताया गया कि ईवीएम की हैकिंग या उससे छेड़छाड़ क्यों नहीं हो सकती, इसके दो तर्क दिए गए थे। पहला तर्क था की चुनाव आयोग जिस ईवीएम का इस्तेमाल करता है, वो स्टैंड अलोन मशीनें होती हैं. उसे न तो किसी कम्प्यूटर से कंट्रोल किया जाता है और ना ही इंटरनेट या किसी नेटवर्क से कनेक्ट किया जाता है, ऐसे में उसे हैक करना नामुमकिन है। इसके अलावा ईवीएम में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता है, उसे रक्षा मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा मंत्रालय से जुड़ी सरकारी कंपनियों के इंजीनियर बनाते हैं। इस सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को किसी से भी साझा नहीं किया जाता है।
आयोग के तर्कों को यह कहकर कांग्रेस कर रही खारिज
आयोग के इन तर्कों को लेकर यादव के आरोप है कि अगर स्टेंड अलोन मशीनों को विधानसभा या लोकसभा सीटों का डाटा अपलोड करते समय सरकारी इंजीनियर सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को लीक कर दें तो सब कुछ संभव हो जाएगा। ईवीएम बनाने वाली कंपनी और चुनाव आयोग के कर्मचारियों की मिलीभगत से ईवीएम को आसानी से छेड़छाड़ करके चुनावों में परिणामों को प्रभावित करने की प्रबल संभावना रहती हैं। प्रत्येक ईवीएम का एक अलग सीरियल नंबर होता है। चुनाव आयोग एक ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करता है, जिससे पता चलता है कि कौन सी मशीन कहां है। ईवीएम की सीयू में एक माइक्रो चिप लगी होती है। इसी चिप में उम्मीदवार का डेटा रहता है। इस माइक्रो चिप में मालवेयर के जरिए छेड़छाड़ की जा सकती है। माइक्रो चिप को मनमुताबिक प्रोग्रामिंग भी किया जा सकता हैं। यादव के आरोप है कि माइक्रो चिप प्रोग्रामिंग के जरिए वोट किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में सेट की गई टाइमिंग अनुसार बदले जा सकते हैं। यह सबसे आसान तरीका हैं। इसमें ईवीएम बैंक करने की आवश्यकता ही नहीं हैं। अगर प्रोग्रामिंग में यह फिक्स हैं की 600 वोट चिंहित उम्मीदवार को मिलना हैं तो निश्चित ही मिलेगें।