JAIPUR. राजस्थान के उपमुख्यमंत्री बनाए गए प्रेमचंद बैरवा का जीवन संघर्ष भरा रहा हैं। बैरवा साधारण किसान परिवार से आते हैं। एक समय था जब वह पढ़ाई के साथ खेती भी करते थे। उन्होंने साझेदारी में खेती के साथ बेलदारी (मजदूरी) की। एलआईसी के एजेंट बने। इतना ही नहीं सिलाई का काम भी किया। सिलाई का काम उन्हें फल गया यानी लकी साबित हुआ और वह गारमेंट्स कारोबारी बन गए। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए दिए गए अपने शपथ पत्र के अनुसार उनकी संपत्ति 30 करोड़ है। इसमें सबसे बड़ी बात उन पर कोई कर्ज नहीं है
एबीवीपी से शुरू किया राजनीतिक सफर
आपको बता दे कि प्रेमचंद बैरवा मौजमाबाद तहसील के श्रीनिवास पुरम गांव के रहने वाले हैं, जो दलित परिवार से आते हैं। और उन्होंने अपना राजनीतिक सफर एबीवीपी से शुरू किया। बैरवा ने साल 2000 में दूदू के वार्ड 15 से जिला परिषद सदस्य के तौर पर चुनाव जीत दर्ज की थी। इसके बाद वह बीजेपी एससी मोर्चा के जयपुर ग्रामीण के जिलाध्यक्ष बने थे। इसके साथ ही वे बैरवा महासभा के अध्यक्ष के पद पर भी कार्यरत रहे हैं। 2013 में जब दूदू सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित हुई तब उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। विधायक के साथ-साथ वह पेट्रोल पंप के डीलर भी है। इसके बाद 2018 के चुनाव में बैरवा को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार उन्होंने जीत दर्ज की और सीधे उपमुख्यमंत्री के पद पर पहुंचे। बैरवा पार्टी के सदस्यों के बहुत करीबी और लोकप्रिय हैं।
बैरवा को भजन कीर्तन का बड़ा शौक
बैरवा के डिप्टी सीएम बनने से उनका परिवार काफी खुश दिखाई दे रहा है। डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की पत्नी नारायणदेवी गृहिणी हैं। उनका कहना है कि उनके पति डिप्टी सीएम बैरवा को भजन कीर्तन का बड़ा शौक है। वह ढोलक और मंजीरा अच्छा बजा लेते हैं। पत्नी यह भी बताती हैं कि उन्होने बकरियां भी चराई है, घास पूस के कच्चे मकान में रहा करते थे। वहीं बैरवा की शिक्षा की बात करें तो वे एमफिल और पीएचडी हैं।
18 में हारे, 23 में बड़ी जीत
बीजेपी विधायक प्रेमचंद बैरवा दूदू सीट से जीत कर आए हैं। उन्होंने इस बार कांग्रेस के धाकड़ नेता बाबूलाल नागर के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज की है। बैरवा ने नागर को 35 हजार 743 वोटों के अंतर से हराया है। उन्होंने 2018 में अपनी हार के बाद वापसी की है। पिछले चुनामें भी दूदू सीट से बैरवा ने कांग्रेस के बाबूलाल नागर के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन वे 14 हजार 779 वोटों से हार गए थे।