शपथ के 4 घंटे बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का पहला फैसला, रात 10 से सुबह 6 बजे तक नहीं बजेंगे लाउड स्पीकर

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Rahul Garhwal
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शपथ के 4 घंटे बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का पहला फैसला, रात 10 से सुबह 6 बजे तक नहीं बजेंगे लाउड स्पीकर

BHOPAL. मध्यप्रदेश में अब रात 10 बजे से सुबह 6 बजे लाउड स्पीकर बजाए तो खैर नहीं। नवनियुक्त मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की लाइन पर चलते हुए शपथ लेने के 3 घंटे बाद कड़ा कदम उठाया और गृह विभाग को आदेश दिए। इसके बाद विभागीय अधिकारियों ने आनन-फानन में मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम-1985 में प्रशासकीय आदेश जारी कर दिए। ये सीएम पद की शपथ लेने के बाद मोहन यादव का पहला आदेश है।

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केंद्र सरकार का कानून

इसके बाद मुख्यमंत्री को बताया गया कि प्रशासकीय आदेश को कोई भी कोर्ट में घसीट सकता है। लिहाजा, इसे ध्वनि प्रदूषण अधिनियम 2000 में नियम बनाकर लागू करना बेहतर होगा। केंद्र सरकार का कानून है, लेकिन मध्यप्रदेश में इसे लागू करने के लिए जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। गृह विभाग के आदेश के बाद अब प्रदूषण विभाग नए सिरे से नियम बना रहा है। नियमों में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। प्रदेश के किसी भी हिस्से में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउड स्पीकर चलते पाए गए तो जुर्माना या जेल भेजने तक की सजा हो सकती है। ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) 2000 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने चार अलग-अलग प्रकार के क्षेत्रों के लिए ध्वनि मानदंड रखा है। इसमें इंडस्ट्रियल, कमर्शियल, रेसीडेंसियल और सुनसान इलाकों का पैमाना है।

जानिए क्या है नियम...

  • औद्योगिक क्षेत्र के लिए लिए यह 75 डेसिबल दिन के समय और रात में 70 डेसिबल।
  • वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए 65 डेसिबल दिन के समय और रात में 55 डेसिबल।
  • आवासीय क्षेत्र के लिए 55 डेसिबल दिन में और 45 डेसिबल रात में।
  • साइलेंस जोन के लिए 50 डेसिबल दिन में और 40 डेसिबल रात में।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक, हार्न्स के लिए 125 डेसिबल अधिकतम सीमा है, जबकि दो पहिया वाहनों के लिए 105 डेसिबल। कानूनन इससे अधिक की आवाज पर लाइसेंस जब्त हो सकता है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के उल्लंघन पर कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।

तेज मतलब कितनी तेज

जिस आवाज को सुनते हुए आप असहज महसूस ना करें, वो स्तरीय माना जाता है। इसके अलावा अगर आप किसी आवाज से कानों में या सिर में तकलीफ महसूस करें या अहसज हो जाएं तो वो शोर है।

WHO का अध्ययन भी जान लीजिए

विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अगर आवाज का स्तर 70 डेसिबल से कम है तो इससे किसी भी सजीव को कोई नुकसान नहीं है, लेकिन अगर कोई 80 डेसिबल से अधिक की आवाज में 8 घंटे से अधिक समय तक रहता है तो ये खतरनाक हो सकता है।

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