Bhopal. चुनावी मौसम में मध्यप्रदेश के मामा यानि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रेवड़ियां बांटने मानो दुकान खोलकर बैठे हैं। पिछले दिनों उन्होंने जिला और जनपद अध्यक्षों का मानदेय बढ़ाया था, अब प्रदेश में कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त अध्यक्ष और उपाध्यक्षों का मानदेय बढ़ाने कवायद चल रही है। बता दें कि वर्तमान में जनप्रतिनिधियों में सबसे कम मानदेय निगम मंडलों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को मिलता है। जो कि उन्हीं मंडलों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के वेतन से भी कम है। इसी कारण सरकार इस बाबत जल्द ऐलान कर सकती है।
प्रदेश में 39 निगम-मंडल
बता दें कि प्रदेश में 39 निगम और मंडल हैं, जिनमें से 35 में कैबिनेट का दर्जा प्राप्त अध्यक्ष और 4 में अध्यक्षों को राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है। जानकारी के मुताबिक इनके मानदेय में 5 गुना इजाफा किया जा सकता है। हालांकि अंतिम फैसला होना अभी बाकी है। बता दें कि अभी कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त अध्यक्ष को 10 हजार रुपए मानदेय और 3 हजार रुपए भत्ता मिलता है। राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त अध्यक्ष का मानदेय 6500 रुपए और 3500 रुपए भत्ता दिया जाता है।
2011 में बढ़ा था मानदेय
बता दें कि इससे पहले साल 2011 में निगम मंडल के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों का मानदेय सरकार ने बढ़ाया था। उस वक्त इसमें महज 2 हजार रुपए के आसपास बढ़ोतरी की गई थी। कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त जनप्रतिनिधि होते तो पावरफुल हैं लेकिन इनका मानदेय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के वेतन से भी कम होता है। इसलिए सरकार इस बार सम्मानजनक मानदेय दिए जाने पर विचार कर रही है।
पेंशन की भी नहीं होती सुविधा
एक बात और है कि निगम मंडल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को कार्यकाल खत्म होने के बाद किसी प्रकार की पेंशन पाने की पात्रता नहीं है। कार्यकाल खत्म होते ही मानदेय भी बंद कर दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो सरकार इन्हें पेंशन देने भी विचार कर रही है।