Bhopal : नागरिक आपूर्ति निगम गोदामों में सड़ चुके अनाज को बेचने की जुगत लगा रहा है। मध्य प्रदेश के 26 जिलों के गोदामों में 1 लाख 18 हजार 741 क्विटंल सड़ा गेहूं, ज्वार, बाजरा और चावल रखा है। अधिकारियों की लापरवाही की वजह से इतनी ज्यादा मात्रा में अनाज गोदामों में ही सड़ गया। अब जिम्मेदार इसे सस्ते में ठिकाने लगाने की तैयारी कर रहे हैं। निगम ने इसके लिए फिर टेंडर जारी किए हैं।
वहीं बैक डोर से भी शराब निर्माता कंपनियों से संपर्क साधा जा रहा है। हैरान करने वाली बात ये है कि इसकी खबर विभागीय मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को नहीं है। आमतौर पर विभाग में होने वाले कामों की जानकारी मुखिया होने के नाते मंत्रियों को देने की परम्परा है, लेकिन नागरिक आपूर्ति निगम के अफसर इस नैतिकता को भी भूल चुके हैं। द सूत्र ने इस मामले में मंत्री राजपूत से बात करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
26 जिलों के गोदामों में भरा पड़ा सड़ा अनाज
गौरतलब है कि नागरिक आपूर्ति निगम प्रदेश में अनाज की आपूर्ति की व्यवस्था संभालता है। उसके पास किसानों से खरीदे गए अनाज को सुरक्षित गोदामों में रखने से लेकर वितरण के लिए राशन दुकानों तक पहुंचानने और निगरानी का जिम्मा है। विभिन्न एजेंसियों के जरिए खरीदे गए अनाज को निगम ने प्रदेश के गोदामों में रखवाया है। निगम ने इन्हीं गोदामों में रखे 1 लाख 18 हजार 741 क्विटंल सड़े हुए अनाज को बेचने का टेंडर निकाला है। यह सड़ा गेहूं, ज्वार, बाजरा और चावल शहडोल, रीवा, शिवपुरी, श्योपुर, उज्जैन, हरदा, बड़वानी, विदिशा, छतरपुर, नर्मदापुरम, सागर, टीकमगढ़, अनूपपुर, भोपाल, सीहोर, रायसेन, मुरैना, भिंड, अशोकनगर, दमोह, विदिशा, पन्ना, राजगढ़, रायसेन, भोपाल, मुरैना और नरसिंहपुर जैसे 26 जिलों के 170 गोदामों में भरा है।
पशु आहार बनाने की स्थिति भी नहीं
गोदामों में रखा अनाज सड़ चुका है। बारिश में लगातार भीगने और नमी में पड़े रहने से अनाज की हालत इतनी खराब है कि अब उसे पशु आहार के रूप में भी उपयोग नहीं किया जा सकता। इसलिए इसके खरीदार सामने नहीं आ रहे हैं। यानी अनाज को व्यवस्थित नहीं रखने की वजह से सवा लाख क्विटंल अनाज बर्बाद हो चुका है। इतनी भारी माात्रा में अनाज सड़ने पर भी आपूर्ति निगम और विभाग के अफसर चुप्पी साधे बैठे हैं। बड़ी लापरवाही पर जिम्मेदारी तय करने और कार्रवाई करने की जगह सड़ा अनाज ठिकाने लगाने की कोशिश तेज कर दी गई है। इससे पहले भी साल 2024 में ही निगम चार बार अनाज के सड़े स्टॉक को क्लीयर करने का टेंडर जारी कर चुका है लेकिन अब तक इसे खरीदने में किसी कंपनी या उद्योग ने रुचि नहीं दिखाई है।
शराब कारोबारियों से कर रहे संपर्क
बताया जाता है कि गोदामों में जो अनाज सड़ा है, वह साल 2021 से 2024 के बीच हुई खरीदी का है। इसमें कुछ हिस्सा साल 2015 से 2020 के बीच हुई खरीदी के अनाज का भी है। हालांकि ये अनाज पहले ही सड़ चुका था, लेकिन गोदामों से बाहर नहीं निकाला गया। इसे पहले ही निकाल दिया जाता तो कम कीमत पर ठिकाने लगाया जा सकता था, लेकिन अब ये पूरी तरह सड़ चुका है। हालत ये है कि इसे खरीदने कोई कंपनी आगे नहीं आ रही है। वहीं बीते चार सालों में गोदामों में सड़े अनाज की हालत भी खराब है और ये पशु आहार के रूप में भी उपयोगी नहीं रहा। अब इस सड़े हुए गेहूं, चावल, ज्वार और बाजरा को शराब निर्माता कंपनियों को बेंचकर ठिकाने लगाने की कोशिश की जा रही है। निगम के कुछ अधिकारी ऐसी कंपनियों के एजेंटों के सहारे संपर्क में है।
इतनी बार टेंडर निकाल चुका निगम
नागरिक आपूर्ति निगम साल 2021 से लेकर 2024 के बीच सड़े हुए अनाज की नीलामी के लिए 6 बार टेंडर जारी कर चुका है। इतनी कोशिशों के बाद भी निगम गोदामों में भरे पड़े सड़े-गले अनाज को पूरी तरह ठिकाने नहीं लगा सका है। नागरिक आपूर्ति निगम के पोर्टल पर साल 2021 में 6 और 16 दिसम्बर को टेंडर जारी किया गया था। इसके बाद साल 2023 में फिर दो बार यानी 25 मई और 8 अगस्त को सड़े अनाज की नीलामी का टेंडर प्रकाशित किया गया। तब भी स्टॉक क्लीयरेंस नहीं हुआ। इस वजह से चालू वर्ष यानी 2024 में फिर 21 मार्च और 23 अगस्त को टेंडर लगाया गया है।
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