जबलपुर में नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों के लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो बच्चों के प्रति अपराध को रोकने बने कानून से लेकर सामाजिक व्यवस्था और शिक्षा सहित बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ताजा मामला जबलपुर के गोहलपुर थाने से सामने आया है जिसमें एक मटन की दुकान चलाने वाले व्यक्ति ने दुकान पर बुलाकर 10 वर्षीय बालक के साथ दुष्कृत्य किया है।
क्या है पूरा मामला
आरोपी राजा उर्फ बलीद कुरैशी जो मंडी मदार टेकरी का रहने वाला है। वह अहमद नगर में मटन की दुकान को चलता है। आरोपी एक 10 वर्षीय बच्चे को बहलाफुसला कर अपनी दुकान में ले गया और उसके साथ दुष्कृत्य किया। जानकारी के अनुसार आरोपी के द्वारा उस बच्चे के साथ लगातार गलत काम किया जा रहा था। घटना के बाद बच्चे ने इसकी सूचना अपने परिजनों को दी और उसके बाद उसके परिजन शिकायत करने थाने पहुंचे । मामले मे पीड़ित बच्चे और परिजनों के द्वारा गोहलपुर पुलिस थाने मे FIR दर्ज करवाई गई है।
पुलिस ने मामला किया दर्ज
परिजनों की शिकायत पर गोहलपुर पुलिस ने आरोपी राजा उर्फ बलीद कुरैशी के खिलाफ दुष्कृत्य की विभिन्न धाराओं में FIR दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और वैधानिक कार्रवाई करते हुए न्यायालय में पेश कर उसे जेल भेज दिया है। आरोपी हनुमानताल थाना अंतर्गत रहने वाला है इसलिए उसके खिलाफ पूर्व में किए गए अपराधों की भी जांच की जा रही है।
ऐसे अपराधों को सबकी जिम्मेदारी
बाल यौन अपराधों को रोकने में समाज की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। सबसे पहले समाज में बच्चों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है। स्कूलों, परिवारों और सामुदायिक संगठनों को बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में सिखाना चाहिए। ताकि वे किसी भी अनुचित व्यवहार को पहचान सकें और तुरंत इसकी सूचना दे सकें। माता-पिता और अभिभावकों को अपने बच्चों से खुलकर बात करना चाहिए, ताकि बच्चे किसी भी प्रकार की समस्या के बारे में बात करने में हिचकिचाएं नहीं। इसके साथ ही, बच्चों के साथ काम करने वाले लोगों की पृष्ठभूमि की जांच और सुरक्षा नीतियों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि किसी भी संभावित खतरे से उन्हें बचाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया है जागरूकता फैलाने का आदेश
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी पॉक्सो अधिनियम पर एक विस्तृत आदेश पारित किया गया था जिसमें इससे जुड़ी जागरूकता को अधिक से अधिक फैलाने पर जोर दिया गया था। समाज को बाल यौन अपराधों के प्रति एक सख्त रवैया अपनाना चाहिए। पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों को सहयोग दिया जाना चाहिए, ताकि वे बिना किसी डर के न्याय पाने की प्रक्रिया में शामिल हो सकें। कानूनी प्रावधानों और सख्त दंड का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों से जुड़े सभी संस्थानों जैसे स्कूल, खेलकूद क्लब, हॉस्टल, में भी बाल सुरक्षा नीतियों को लागू करना और जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। वहीं बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना समाज के हर सदस्य का कर्तव्य है, ताकि सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में बच्चों का विकास ही सके।
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