BHOPAL. बीते एक दशक से खेतों में हरी-भरी फसलों का सपना देख रहे प्रदेश के हजारों किसानों को झटका लगा है। जलसंसाधन विभाग ने प्रदेश के जिन चार जिलों में 11567 करोड़ की लागत वाली 9 सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृत की थीं उन पर अब गृहण लग गया है। वजह है कि विभाग द्वारा स्वीकृत इन बांधों के निर्माण के लिए कोई भी कंपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। पांच महीने पहले जलसंसाधन विभाग ने इन सिंचाई परियोजनाओं के टेंडर जारी किए थे लेकिन कोई बड़ी कंपनी ही आगे नहीं आई। नतीजा विभाग को इन प्रोजेक्ट्स के टेंडर निरस्त करने पड़ गए। अब सवाल ये है कि जहां प्रदेश के टेंडरों की मारामारी है वहीं ठेकेदार जल संसाधन विभाग के कामों से दूर क्यों भाग रहे हैं। आखिर इस बेरुखी की वजह क्या है।
खेतों में सिंचाई का सपना रहेगा अधूरा
मध्यप्रदेश में दो दशकों में कई छोटी-बड़ीं सिंचाई परियोजनाओं पर काम हुआ है जिससे सिंचाई का रकबा भी बढ़ा है। हालांकि, अब भी बुंदेलखंड, चंबल, मालवा-निमाड़ सहित ग्वालियर अंचल में अब भी बड़ा हिस्सा सिंचाई के साधनों से अछूता है। प्रदेश सरकार लगातार किसानों को सिंचित खेती का सपना दिखा रही है। किसान भी सरकार के भरोसे खुशहाल होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। प्रदेश के शिवपुरी, मंदसौर, बुरहानपुर और सागर जिलों में ऐसे ही सूखी खेती करने वाले किसानों के लिए सरकार ने 9 छोटी-बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को लाने का वादा किया है। लेकिन इन परियोजनाओं को मूर्त रूप देने वाला जल संसाधन विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा है।
पांच महीने में भी नहीं मिले ठेकेदार
जल संसाधन विभाग को बांध बनाने के लिए ठेकेदार नहीं मिल रहे हैं। विभाग को शिवपुरी, मंदसौर, बुरहानपुर और सागर जिलों में बनने वाले 9 बांधों के लिए 11567 करोड़ की स्वीकृति भी मिल चुकी है। बांध और नहरों के निर्माण के लिए एजेंसी के चयन की प्रक्रिया पांच महीने से चल रही है। विभाग टेंडर भी जारी कर चुका है लेकिन कोई भी बड़ी निर्माण कंपनी इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। टेंडर के बावजूद कंपनियों के आगे नहीं आने के कारण समय बीतता जा रहा है और इरीगेशन प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ रही है। इसको देखते हुए अब विभाग ने टेंडर प्रक्रिया ही निरस्त कर दी है। जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता विनोद देवड़ा द्वारा इसके लिए फाइल भी आगे बढ़ा दी गई है।
छोटी इरीगेशन प्रोजेक्ट भी प्रभावित
चार जिलों में बनने वाले 9 बांध और नहरों के टेंडर निरस्त होने का असर गुना और श्योपुर जिलों पर भी हुआ है। इस वजह से गुना, अशोकनगर सहित आसपास के जिलों में स्वीकृत सात छोटे सिंचाई प्रोजेक्ट भी बंद होने की कगार पर हैं। विभाग की दलील है कि पांच महीने की समयावधि में भी टेंडर को लेकर सक्षम ठेकेदार सामने नहीं आए हैं। टेंडर प्रपत्र नहीं मिलने के कारण टेंडर निरस्त करना जरूरी है। भविष्य में जरूरत के आधार पर फिर टेंडर बुलाए जाएंगे।
इन जिलों में अटके सिंचाई प्रोजेक्ट...
- शिवपुरी: टेंडर निरस्त होने का सबसे ज्यादा नुकसान शिवपुरी जिले को हुआ है। क्योंकि 7748 करोड़ की लागत वाले 4 बांधों के टेंडर निरस्त किए हैं। जिनमें कूनो नदी पर 4084 करोड़ का कटीला बांध, पार्वती नदी पर 2859 करोड़ की कुंभराज कॉम्पलेक्स, रेपनी नदी पर 310 करोड़ का पावा बांध और करई नदी पर 495 करोड़ का बांध प्रस्तावित थे।
- मंदसौर: 2331 करोड़ की दो परियोजना के टेंडर निरस्त किए हैं। इनमें मल्हारगढ़ में शिवना नदी पर 601 करोड़ और 1730 करोड़ की सूक्ष्म दाब युक्त सिंचाई परियोजनाएं शामिल हैं।
- बुरहानपुर: दो सिंचाई परियोजनाएं निरस्त की हैं। इनमें 1318 करोड़ कौक नावया सिंचाई परियोजना और 151 करोड़ की ठोटी उतावली मध्यम सिंचाई परियोजना के टेंडर निरस्त किए हैं।
- सागर : बीना सिंचाई कॉम्पलेक्स के अंतर्गत छोटे सेडल डेम की डाउन स्ट्रीम पर सर्विस रोड, पैरापेट वॉल, टेनिंग वॉल जैसे कामों के लिए निर्माण कंपनियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
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