हरदा फैक्टरी के अग्रवाल के 12 लाइसेंस, कलेक्टर की 1 पर ही कार्रवाई

हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के पीछे नियमों को ताक पर रखते हुए लाइसेंस का खेल खेला गया है। विस्फोटक एक्ट के 11 नियमों को धता बताते हुए फैक्टरी प्रशासन की नाक के नीचे चल रही थी और इसमें स्टे देने, हटने, रिन्यू करने का पूरा खेल रचा गया।

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BP shrivastava
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हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के पीछे नियमों को ताक पर रखते हुए लाइसेंस का खेल खेला गया है।

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संजय गुप्ता, INDORE. हरदा में पटाखा फैक्ट्री ( Harda factory ) में हुए ब्लास्ट के पीछे विशुद्ध रूप से नियमों को ताक पर रखते हुए लाइसेंस का खेल खेला गया है। विस्फोटक एक्ट के 11 नियमों को धता बताते हुए फैक्टरी प्रशासन की नाक के नीचे चल रही थी और इसमें स्टे देने, हटने, रिन्यू करने का पूरा खेल रचा गया। कलेक्टर ( Collector )  ने अपने स्तर पर जारी 15 किलो के दस लाइसेंस में से केवल एक पर कार्रवाई की, संभागायुक्त ने इस पर स्टे दिया, उधर एडीएम ने इन लाइसेंस की अवधि खत्म होने पर अग्रवाल के आए आवेदन के आधार पर इन्हें रिन्यू भी कर डाला। 

अग्रवाल के पास 1 नहीं 12 पटाखा लाइसेंस

अग्रवाल के पास एक-दो नहीं पूरे 12 पटाखा लाइसेंस निर्माण व विक्रय के हैं। इसमें दो लाइसेंस विस्फोटक कंट्रोल से था जो 15 किलो से ज्यादा के थे और 10 लाइसेंस 15 किलो के थे, जो कलेक्टर हरदा से जारी थे। 

स्टे और कार्रवाई केवल एक पर हुई

अग्रवाल के एसडीएम की रिपोर्ट पर कलेक्टर ऋषि गर्ग द्वारा केवल एक ही लाइसेंस पर कार्रवाई का आदेश जारी हुआ था, यानि दस में से केवल एक फैक्टरी को ही सील बंद करने का आदेश हुआ, नौ पर काम चल रहा था। जो जारी रहा, इन पर कोई कार्रवाई नही की गई। 

संभागायुक्त कार्यालय में यह हुआ

एसडीएम की रिपोर्ट पर कलेक्टर गर्ग ने एक फैक्टरी को सील करने का आदेश 018/22 जो 26 सितंबर को दिया गया। इस आदेश के खिलाफ अग्रवाल संभागायुक्त नर्मदापुरम (मालसिंह) के पास गए जिसमें 14 अक्टूबर को सुनवाई और अगली सुनावई तक स्टे दे दिया गया। जो सामान्य तौर पर एक माह का होता है। नवंबर 2022 में संभागायुक्त मालसिंह का ट्रांसफर हो जाता है। अगली सुनवाई इसमें 21 दिसंबर को लगती है, यानि नियमानुसार 21 दिसंबर 2022 को स्टे खुद ही निरस्त हो गया, क्योंकि यह केवल अगली सुनवाई तक था। 

... एडीएम ने लाइसेंस को रिन्यू कर डाला

 वहीं कलेक्टर कार्यालय से जारी दस लाइसेंस की अवधि खत्म हो रही थी, जिस पर एडीएम मुख्यालय हरदा ने अग्रवाल बंधुओं के आवेदन पर इन्हें फिर रिन्यू कर डाला। यहीं सबसे बड़ी चूक हुई। लाइसेंस रिन्यू करने के पहले यह सब नहीं देखा गया कि कलेक्टर कार्रवाई कर चुके हैं, संभागायुक्त कोर्ट में केस चल रहा है और ना ही किसी तरह की मौका निरीक्षण कर प्रतिवेदन बनाया गया कि वहां पर 11 नियमों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है। यह प्रशासन की ओर से किसी ने झांका तक नहीं। इसके बाद अग्रवाल बंधुओं का काम लाइसेंस रिन्यू के बाद फिर चलता रहा। 

संभागायुक्त के स्टे आदेश में यह लिखा गया था

उपरोक्त व्यवसाय गतिविधियों हेतु उप मुख्य विस्फोटक नियंत्रक भोपाल द्वारा विधिवत अनुज्ञप्तियां जारी की गई थीं, एवं इनके द्वारा कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं थे। साथ ही अपीलर्थीगण अधिवक्ता के मौखिक तर्क श्रवण उपरांत उपरोक्त आदेश के क्रियान्वयन को आगामी सुनवाई तक स्थगित किया जाता है। साथ ही अपीलर्थीगण जारी मंजूरी शर्तों के अनुसार सभी व्यावसायिक गतिविधियां कलेक्टर हरदा द्वारा प्राधिक्रत अधिकारी की देख रेख मे ही जारी रखेंगे । साथ ही वह हर दिन आवक जावक एवं स्टॉक पंजी अनिवार्य रूप से संधारित करेंगे। आदेश में यह भी लिखा कि उप मुख्य विस्फोटक नियंत्रक भोपाल उपरोक्त प्रतिवेदन पर कार्रवाई हेतु स्वतंत्र रहेंगे, जो कि अपीलर्थीगण पर बंधनकारी रहेगी।

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